Friday, March 29, 2024

बीजेपी में जाएंगे मुकुल रॉय, 2 अक्टूबर तक हो जाएगा ऐलान!

कोलकाता। मुकुल रॉय ने अपने हाथों से जिस तृणमूल कांग्रेस पार्टी की नींव रखी थी, अंततः उसे ही त्यागकर अलग हो गए। अब कहां व किसके साथ खड़े होंगे? इसका खुलासा वह चार पांच दिन बाद करेंगे। यानी कि विजय दशमी या गांधी जयंती के दिन कर सकते हैं। मुकुल रॉय ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान खुद ही पार्टी छोड़ने का एलान किया है। इतना ही नहीं मुकुल रॉय ने राज्यसभा सदस्यता छोड़ने का भी फैसला किया है। मुकुल रॉय ने कहा है कि वह दुर्गा पूजा के बाद पार्टी छोड़ेंगे।

बीजेपी के संपर्क में मुकुल रॉय

मुकुल रॉय के इस्तीफे के बाद साफ हो गया है कि ममता बनर्जी की पार्टी में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। मुकुल रॉय बीजेपी नेतृत्व के संपर्क में हैं। सूत्रों के मुताबिक इसी माह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के कोलकाता दौरे पर आने के बाद मुकुल को पार्टी में शामिल कराने को लेकर प्रदेश भाजपा के नेताओं से उनकी चर्चा हुई थी। मुकुल रॉय भी भाजपा में शामिल होने के लिए लगभग मन बना चुके हैं। इसकी भनक मिलते ही ममता बनर्जी ने उन्हें तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटा दिया। इधर हाल ही में मुकुल रॉय और बंगाल बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के बीच बैठक भी हुई थी। बीजेपी नेताओं के संपर्क में रहने को लेकर तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने मुकुल रॉय को सतर्क भी किया था।

बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष के अनुसार मुकुल रॉय कहां जाएंगे ये तो पता नहीं लेकिन वे बीजेपी नेतृत्व के संपर्क में है। माना तो यही जा रहा है कि मुकुल रॉय बीजेपी में ही शामिल होंगे, लेकिन यह भी चर्चा है कि वह अलग पार्टी भी बना सकते हैं। इसके बाद बीजेपी से तालमेल कर चुनाव लड़ सकते हैं।

राज्यसभा भी छोड़ेंगे रॉय

हालांकि अंदरूनी सूत्र कहते हैं कि मुकुल रॉय तो चाहते थे नया दल गठन करके बीजेपी से गठबंधन करना, लेकिन अमित शाह ने उनसे बीजेपी ही जॉइन करने को कहा है। अमित शाह उनकी सांगठनिक क्षमता को देखते हुए पश्चिम बंगाल में ही इसका लाभ उठाना चाहते हैं। मुकुल रॉय की राज्यसभा की सदस्यता 2 अप्रैल’18 को समाप्त हो रही है। ऐसे में 6 महीने से भी कम वक्त के लिए राज्यसभा के सांसद की हैसियत से वह बीजेपी जॉइन नहीं करना चाहते। मुकुल रॉय ने यह इच्छा अमित शाह के सामने व्यक्त की थी जिसे अमित शाह ने स्वीकार कर लिया है। वह 2 अक्टूबर के बाद कभी भी राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे सकते हैं ताकि वह स्वतंत्र होकर बीजेपी जॉइन कर सकें। इससे 6 महीने की अवधि भी कम हो जाएगी और उन्हें मिलने वाली सुख सुविधाओं पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नही पड़ेगा। मुकुल रॉय के लिए इसमें भी एक अड़चन आ रही है, राज्यसभा सांसद के रूप में उनका MPLAD फंड का पूरा उपयोग व क्लियरेन्स नहीं मिला है। ऐसे में इस अवधि के दौरान उन्हें यह पूरा करने को कह दिया गया है। तेज गति से फाइल तैयारी का काम भी शुरू हो गया है।

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