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संस्कृति-समाज
अख़्तर-उल-ईमान, जिनकी नज़्मों में इश्क-मुहब्बत ही नहीं, ज़िंदगी की जद्दोजहद दिखाई देती है
अख़्तर-उल-ईमान अपने दौर के संज़ीदा शायर और बेहतरीन डायलॉग राइटर थे। अक्सर लोग उन्हें फ़िल्मी लेखक के तौर पर याद करते हैं, मगर यह भूल जाते हैं कि फ़िल्मों में आने से पहले वो एक नामचीन शायर थे, और...
संस्कृति-समाज
दीगर शायरों से ज़ुदा, बेहद ख़ास और बग़ावती तेवर वाले थे मजरूह सुल्तानपुरी
1 अक्टूबर, 1919 यही वो तारीख है जब तरक़्क़ीपसंद शायर मजरूह सुल्तानपुरी का जन्म हुआ था। तरक़्क़ीपसंद तहरीक के शुरुआती दौर का अध्ययन करें, तो यह बात सामने आती है कि तरक़्क़ीपसंद शायर और आलोचक ग़ज़ल विधा से मुतमईन...
संस्कृति-समाज
जन्मदिवस पर विशेष: अपने जीते जी गाथा पुरुष बन गए हबीब तनवीर
बीसवीं सदी के चौथे दशक में मुल्क के अंदर तरक़्क़ी-पसंद तहरीक अपने उरूज पर थी। इप्टा के नाटक अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता और सरोकारों के चलते पूरे मुल्क में मक़बूल हो रहे थे। इप्टा से जुड़े हुये अदाकर-निर्देशकों ने हिंदोस्तान...
संस्कृति-समाज
जन्मदिवस पर विशेष: सांप्रदायिक राज्य अपने ही सहधर्मियों को ले डूबेगा- फ़िराक़ गोरखपुरी
फ़िराक़ गोरखपुरी हालांकि अपनी ग़ज़लों और मानीख़ेज़ शे’र के लिए जाने जाते हैं, मगर उन्होंने नज़्में भी लिखी। और यह नज़्में, ग़ज़लों की तरह खू़ब मक़बूल हुईं। ‘आधी रात’, ‘परछाइयां’ और ‘रक्से शबाब’ वे नज़्में हैं, जिन्हें जिगर मुरादाबादी,...
संस्कृति-समाज
बलराज साहनी: अवाम को समर्पित रही जिंदगी
अमरीक -
बलराज साहनी होना या बनना सबके बूते की बात नहीं और शायद इसीलिए उन सरीखी शख्सियत को जिन्हें दुनिया हमेशा याद रखेगी। इनका जन्म 1 मई 1913 को हुआ। यानी समूची दुनिया में मनाए जाते मजदूर दिवस के...
संस्कृति-समाज
एक गैर गांधीवादी का गांधी को श्रद्धांजलि
कल शाम से ही अनमयस्क की स्थिति में हूं। सोच रहा था कल गांधी जयंती होगी। मैं किस तरह से गांधी को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करूंगा? मैं गांधीवादी नहीं हूं ।गांधी से मेरे बहुत मतभेद हैं ।उनकी इतिहास...
संस्कृति-समाज
जन्मदिन पर विशेष: फ़ैज की गजलों से कांप उठती थी सत्ता की रूह
मुझसे पहली सी मुहब्बत मेरी महबूब न माँग
मैंने समझा था के तू है तो दरख्शाँ है हयात
तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या है
तेरी सूरत से है आलम में बहारों को है सबात
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में...
संस्कृति-समाज
जन्मदिन पर विशेष: जवाहर के साथ था जेपी का घनिष्ठ रिश्ता
जवाहरलाल नेहरू (1889 -1964) और जयप्रकाश नारायण (1902 -1979) हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की दो ऐसी विभूतियाँ हैं , जिनमें समानता के अनेक तत्व हैं, हालांकि विभेद के भी अनेक बिंदु हैं। दोनों ने विदेशों में शिक्षा पायी और दोनों...
संस्कृति-समाज
जन्मदिन पर विशेष: भगत सिंह चाहते थे सर्वहारा की सत्ता
भगत सिंह को भारत के सभी विचारों वाले लोग बहुत श्रद्धा और सम्मान से याद करते हैं। वे उन्हें देश पर कुर्बान होने वाले एक जज़बाती हीरो और उनके बलिदान को याद करके उनके आगे विनत होते हैं। वे...
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प्रधानमंत्री मोदी की देन: हर क्षेत्र में सिर्फ तबाही ही तबाही
अनिल जैन -
अपने जीवन के 72वें साल में प्रवेश कर रहे नरेंद्र मोदी ने सात साल पहले प्रधानमंत्री बनने के ढाई महीने बाद जब स्वाधीनता दिवस पर लाल किले से पहली बार देश को संबोधित किया था तो उनके भाषण को...
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ग्राउंड रिपोर्ट: पुंछ में केसर उत्पादन की संभावनाएं बढ़ीं
जम्मू के पुंछ जिले में किसान एजाज़ अहमद पांच वर्षों से केसर की सफल खेती कर रहे हैं, जिसे जम्मू विश्वविद्यालय ने समर्थन दिया है। सरकार से फसल सुरक्षा की मांग करते हुए, अहमद पुंछ को प्रमुख केसर उत्पादन केंद्र बनाना चाहते हैं, जबकि महिला किसानों ने भी केसर उत्पादन में रुचि दिखाई है।
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