Thursday, April 25, 2024

democracy

लोकतंत्र के अंतर्मन में सत्ता का शोर और समाज के निर्भय होने का स्वप्न 

आम चुनाव 2024 का पहला चरण 19 अप्रैल को पूरा हुआ। राजनीतिक विश्लेषक और विशेषज्ञ मतदान प्रतिशत में गिरावट और लोकतंत्र के पर्व के प्रति लोगों के उदासीन रुझान की व्याख्या अपने-अपने  ढंग से कर रहे हैं। चुनाव संघर्ष...

लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।

मोदी की गारंटी: भाजपा की जगह मोदी, लोकतंत्र की जगह तानाशाही

मतदान की शुरुआत होने में जब महज पांच दिन बचे थे तब कहीं जाकर मौजूदा सत्ता पार्टी भाजपा ने अपना “चुनाव घोषणापत्र” जारी किया। उपभोक्ताओं को लुभाने वाली मार्केटिंग की शैली में लिखे चुस्त खोखले संवादों, अनुपलब्धियों और विफलताओं...

हर्ष मंदर का लेख: कांग्रेस घोषणा पत्र उम्मीद जगाता है 

भारतीय आम चुनाव के रूप में देश में विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक मुकाबला होने जा रहे हैं। भारतीय गणतंत्र के अब तक के सफर में यह चुनाव सबसे महत्वपूर्ण भी होने वाले हैं। चुनाव के नतीजे तय करेंगे...

लोकतंत्र में चुनाव लघुता का पर्व और गर्व होता है, प्रभुता का पर्व और प्रसाद नहीं‎

लोकतंत्र में चुनाव सबसे बड़ा पर्व होता है, लोकतंत्र का पर्व। लोकतंत्र का पर्व असल में किस का पर्व होता है? लोक का होता है। लोकतंत्र में चुनाव लघुता का पर्व और गर्व होता ‎है, प्रभुता का पर्व और...

हरियाणा की जमीनी पड़ताल-2: पंचायती राज नहीं अब कंपनी राज! 

यमुनानगर (हरियाणा)। सोढ़ौरा ब्लॉक हेडक्वार्टर पर पच्चीस से ज्यादा चार चक्का वाली गाड़ियां खड़ी थीं। पचास से ज्यादा लोग एक शख्स को घेरे खड़े थे। पूछने पर पता चला कि ये इलाके के सरपंच हैं जो अपनी समस्याओं को...

लोकतंत्र का पेपर लीक है आखिर सन्नाटा क्यों है गुमराही चच्चा

कोलाहल का हद के पार चला जाये तो अपने पीछे सन्नाटा छोड़ जाता है। विपक्षी गठबंधन के नेताओं के भाषणों से शब्दों और वाक्य खंडों को चुन-चुनकर शब्द गोलों को उछालते रहना चुनाव प्रचार की शैली नहीं हो सकती...

धीमी आवाज पर कान हो हाथ में वोटर कार्ड हो कि यह मुल्क हम सब का ‎है

पूरी दुनिया भारत के लोकतंत्र के भविष्य पर भारत के निर्णय का बेकरारी से इंतजार कर रहा है। सब की नजर हिंदी पट्टी में भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति की ताकत और ध्रुवीकरण की मंशा पर लगी हुई है। जनादेश...

संविधान, लोकतंत्र, राष्ट्रीय एकता, सभ्य और बेहतर जीवन हमारा हक है

ऐतिहासिक रामलीला मैदान में विपक्षी गठबंधन की ‎‘लोकतंत्र बचाओ’‎ रैली सफलतापूर्वक शुभ-शुभ संपन्न हुई। सफल इसलिए कि उसका संदेश इस कठिन समय में लोगों का भरोसा हासिल करने में कामयाब रही है। कठिन समय में भारत के लोग अपनी...

लोकतंत्र में शासक बदलते रहते हैं लोकतंत्र नहीं बदलता

परिवर्तन प्रकृति का अपरिवर्तनीय नियम है। संसार में बदलाव की प्रक्रिया जारी रहती है। इस बदलाव के अपने नियम हैं। हर बदलाव में मूल तत्व बना रहता है। बुनियाद नहीं बदलती है। जैसे, मनुष्य बदलता रहता है। मनुष्यता नहीं...

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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर

धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...