Friday, March 29, 2024

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जन्मशती वर्ष में पुण्य स्मरण: ऐसे ही नहीं बनते मधु दंडवते

जन्मशती वर्ष में मधु दंडवते (21 जनवरी 1924-12 नवंबर 2005) का स्मरण जहां प्रेरणा देने वाली ऊर्जा से भर देता है वहीं अपने दौर के अनैतिक और बेहद कम पढ़े लिखे नेताओं पर नजर दौड़ाने से एक प्रकार की...

तानाशाहों की निगाह में खटकते रहते हैं ‘प्रबीर पुरकायस्थ’

लेखक 'ज्ञान प्रकाश' ने अपनी किताब 'इमरजेंसी क्रॉनिकल' में  'न्यूजक्लिक' के संस्थापक पत्रकार-लेखक 'प्रबीर पुरकायस्थ' की 1975 की 'इमरजेंसी' में कुख्यात 'मीसा' के तहत गिरफ्तारी को विस्तार से बताया है। तब वे जेएनयू के छात्र थे और इमरजेंसी के...

कुलदीप नैयर: मानवाधिकार तथा लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए आजीवन संघर्षरत रहे

नई दिल्ली। यह अस्सी के दशक की बात है। मैं गांधीवादियों, समाजवादियों और आंबेडकरवादियों के विभिन्न आंदोलनकारी समूहों को साथ लाने की कोशिश का हिस्सा बन गया था। इस काम में दिल्ली के विजय प्रताप, पटना के रघुपति और...

फ्रांस में फिर भड़की हिंसा, पेरिस के बाहरी हिस्से में लगा कर्फ्यू

फ्रांस में पिछले 3 दिनों से हिंसा और आगजनी का आलम बना हुआ है। मंगलवार की सुबह एक 17 वर्षीय अल्जीरियाई मूल के युवक नाहेल की पुलिस द्वारा गोली मारकर हत्या की घटना के बाद से पेरिस में उबाल...

आपातकाल क्या होता है, जानना हो तो कश्मीर जाएं

25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी, अड़तालीस साल बीत गए हैं, लोग अब भी पूछते हैं- कैसा था वह समय? यदि आज 2023 में, आपको समझना है कि आपातकाल में ज़िंदगी कैसी थी, जाइए...

1975 का आपातकाल बनाम 2023 की अघोषित इमरजेंसी

1975 की 25-26 जून की रात के दरमियान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल (इमरजेंसी) घोषित कर दिया था। तत्काल तमाम नागरिक अधिकार स्थगित। विपक्ष और विरोधियों की धरपकड़। केंद्रीय एजेंसियों को ऊपर से लेकर नीचे तक जुल्म करने...

लोकतंत्रः अतीत, वर्तमान और भविष्य

(वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अरुण कुमार त्रिपाठी के संपादकत्व में 'आज के प्रश्न' श्रृंखला के तहत ‘लोकतंत्र: अतीत, वर्तमान और भविष्य’ शीर्षक से एक किताब प्रकाशित हुई है। किताब में तकरीबन 12 लेखकों के लेख शामिल किए गए हैं।...

यह इमर्जेंसी का नहीं, पाकिस्तानी सियासत का ‘रिपीट’ नजर आता है

बहुत सारे लोग आज के राजनीतिक दौर की तुलना सन् 1975-77 के दौर की ‘इमर्जेंसी’ से कर रहे हैं। संयोगवश, मैंने इमर्जेंसी देखी थी। निस्संदेह, वह बहुत बुरी थी। लोकतंत्र का भारतीय रूप-रंग स्थगित-सा हो गया था। नेताओं, कार्यकर्ताओं...

देश में स्वस्थ लोकतंत्र के बने रहने के लिए स्वतंत्र प्रेस का होना जरूरी: चीफ जस्टिस चंद्रचूड़

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि किसी देश में लोकतंत्र बचे रहने के लिए मीडिया को आज़ाद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब प्रेस को सत्ता से सच बोलने और सत्ता से कड़े सवाल पूछने से...

राइट टू हेल्थ पास करने वाला पहला राज्य बना राजस्थान, क्या यह देश के अन्य राज्यों के लिए मॉडल बनेगा?

राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने राइट टू हेल्थ बिल पारित किया है। मंगलवार को राज्य सरकार ने विधानसभा में विपक्ष के विरोध और सड़कों पर निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के प्रदर्शन के बीच यह बिल...

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ग्रेट निकोबार द्वीप की प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर संकट, द्वीप को सैन्य और व्यापार केंद्र में बदलने की योजना

आज दुनिया भर में सरकारें और कॉर्पोरेट मुनाफ़े की होड़ में सदियों पुराने जंगलों को नष्ट कर रही हैं,...