Tag: Manto

  • जन्मदिन पर विशेष: मंटो होने का दर्द और जोखिम

    जन्मदिन पर विशेष: मंटो होने का दर्द और जोखिम

    यह मुकाम बहुत कम कलमकारों को हासिल है कि उनके जिक्र के बगैर साहित्य के इतिहास के कुछ पन्ने कोरे-से रह जाएं। बेशक उर्दू के महान अफसानानिगार सआदत हसन मंटो को यह मुकाम बखूबी हासिल है। वह उपमहाद्वीप की तमाम भाषाओं में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले उर्दू लेखक हैं। शुरुआत से लेकर अब तक,…

  • जब बेदी और मंटो में ख़तो-किताबत बंद हो गई

    जब बेदी और मंटो में ख़तो-किताबत बंद हो गई

    अफ़साना निगार राजिंदर सिंह बेदी का दौर वह हसीन दौर था, जब उर्दू अदब में सआदत हसन मंटो, कृश्न चंदर, इस्मत चुग़ताई और ख़्वाजा अहमद अब्बास जैसे महारथी एक साथ अपने अफ़सानों से पूरे मुल्क में धूम मचाए हुए थे। इन सबके बीच एक प्यार भरी नोक-झोंक भी चलती ही रहती थी। एक बार मंटो…

  • पुण्यतिथिः कथ्य और संवेदना के स्तर पर मंटो के करीब है शानी का लेखन

    पुण्यतिथिः कथ्य और संवेदना के स्तर पर मंटो के करीब है शानी का लेखन

    शानी के मानी यूं तो दुश्मन होता है और गोयाकि ये तखल्लुस का रिवाज ज्यादातर शायरों में होता है, लेकिन शानी न तो किसी के दुश्मन हो सकते थे और न ही वे शायर थे। हां, अलबत्ता उनके लेखन में शायरों सी भावुकता और काव्यत्मकता जरूर देखने को मिलती है। शानी अपने लेखन में जो…

  • जयंती पर विशेष: हाशिये की महिलाओं की जुबान थीं इस्मत चुगताई

    जयंती पर विशेष: हाशिये की महिलाओं की जुबान थीं इस्मत चुगताई

    उर्दू और हिंदी की दुनिया में ‘इस्मत आपा’ के नाम से मशहूर इस्मत चुगताई की पैदाइश उत्तर प्रदेश के बदायूं शहर की है। अलबत्ता उनका बचपन और जवानी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई शहरों में गुजरा। बाद में वे बंबई पहुंची, तो वहीं की होकर रह गईं। इस्मत चुगताई की जिंदगी पर शुरुआत से…

  • एक ज़िंदा कसक का नाम है मंटो, जो हमेशा बनी रहेगी

    एक ज़िंदा कसक का नाम है मंटो, जो हमेशा बनी रहेगी

    आज, 11 मई को उर्दू के अनोखे अफसानानिगार सआदत हसन मंटो का जन्मदिन है। उन्हें याद करते हुए पहले उनकी कहानियों के कुछ सियाह हाशिये पढ़िये। इस्लाह ——–  “कौन हो तुम?”  “तुम कौन हो?”  “हर-हर महादेव – हर-हर महादेव – हर हर महादेव।”  “सबूत क्या है?”  “सबूत – मेरा नाम धर्मचन्द है।”  “यह कोई सबूत…

  • मंटो की जयंती पर विशेष: जो बात की, खुदा की कसम लाजवाब की

    मंटो की जयंती पर विशेष: जो बात की, खुदा की कसम लाजवाब की

    उर्दू अदब के बेमिसाल अफसानानिगार सआदत हसन मंटो, आज ही के दिन यानी 11 मई, 1912 को अविभाजित भारत में लुधियाना के छोटे से गांव समराला में जन्मे थे। मंटो ने 43 साल की अपनी छोटी सी जिंदगानी में जी भरकर लिखा। गोया कि अपनी उम्र के 20-22 साल उन्होंने लिखने में ही गुजार दिए।…