Thursday, March 28, 2024

‘लोकरंग’ के द्वारा लोक चेतना को बढ़ाने का प्रयास

लोकरंग सास्कृतिक समिति के तत्वाधान में विगत 14 वर्षों से सांस्कृतिक भड़ैंती, फूहड़पन के विरुद्ध, जनसंस्कृति के संवर्द्धन के लिए एक अभियान जारी रखा गया है। इसी प्रयास में ‘लोकरंग 2021’ का चैदहवां आयोजन, दिनांक 10-11 अप्रैल को कुशीनगर जनपद के गांव-जोगिया जनूबी पट्टी, डाक-फाजिलनगर में आयोजित होने जा रहा है। लोकसंस्कृतियों की उपेक्षा, उनके छीजते वितान को बचाने, उनके सामाजिक और जनपक्षधर स्वरूप से आम जनता को परिचित कराने के लिये ‘लोकरंग’ कार्यक्रम ने बिना किसी अकादमिक सहयोग के अन्तर्राष्ट्रीय जगत में अपनी पहचान बना ली है। यह अकारण नहीं है कि विश्व भोजपुरी डायस्पोरा में लोकरंग को सम्मान के साथ देख जाता है। मॉरीशस, गयाना, सूरीनाम और नीदरलैंड से भोजपुरी गिरमिटिया गायकों की टीमें, अपने व्यय पर पूर्वांचल के एक सामान्य से गांव में पधारती हैं। इसी कड़ी में दक्षिण अफ्रीका की एक टीम पधार रही है। 

 लोकरंग सांस्कृतिक समिति ने हर वर्ष लोकरंग कार्यक्रमों में गांव की अनपढ़ या अल्प शिक्षित महिलाओं को मंच पर उतारा तथा कजरी, सोहर, देवी गीत, पीड़िया गीत और जंतसार को प्रस्तुत कर, लोकगीतों और स्त्री के प्रति सम्मान का भाव प्रदर्शित किया हैं। इस वर्ष गांव की महिलाएं पीड़िया गीत से कार्यक्रम की शुरुआत करेंगी। संस्था ने अब तब हुड़का, पखावज, फरुवाही, धोबियाऊ, जांघिया नृत्य, कहरवा, बिरहा, कजरी, सोहर, निर्गुन, कौव्वाली, आल्हा, चइता, कबीर गायकी को स्थान दिया है। भोजपुरी के महत्वपूर्ण कलाकारों एवं गीतकारों की रचनाओं को मंच पर प्रस्तुत कर, सांस्कृतिक और साहित्यिक वातावरण का निर्माण किया है। इस वर्ष का आयोजन भोजपुरी के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर भोलानाथ गहमरी और मशहूर लोक गायक मुहम्मद खलील की याद में आयोजित हो रहा हैं।

लोकरंग 2021 में असम का बीहू नृत्य, नटरंग कल्चरल एसोसिएशन (Natrang Cultural Association), द्वारा प्रस्तुत किया जायेगा। जैसलमेर से मांगणियार कलाकारों की अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त टीम, इमामुद्दीन के नेतृत्व में पधार रही है। बुन्देलखण्ड का राई नृत्य, कुशीनगर का फरुवाही नृत्य, वाराणसी का बिरहा गायन के अलावा दोनों रात के कार्यक्रम में लोकशैली के दो नाटक प्रस्तुत किए जाएंगे। पहली रात उर्मिलेश थपलियाल कृत्य- तुम सम पुरुष न मो सम नारी, परिवर्तन रंग मंडली, जीरादेई द्वारा तथा दूसरी रात मुंशी प्रेमचंद कृत्य बूढ़ी काकी का मंचन, सूत्रधार, आजमगढ़ द्वारा किया जायेगा। पटना हीरावल और परिवर्तन रंग मंडली जीरादेई, सिवान के कलाकारों द्वारा भोजपुरी जनगीतों की प्रस्तुति होगी।

लोकरंग एक कला उत्सव के रूप में स्वयं को स्थापित कर चुका है।  संभावना कला मंच, गाजीपुर के मशहूर चित्रकारों की एक बड़ी टीम गांव को कलाग्राम में बदलने के लिए चार दिन पूर्व से ही डेरा डाल रही है। इस टीम का नेतृत्व डॉ. राजुकमार सिंह करेंगे। जयपुर से राजू बहुरुपिया अपनी कला का प्रदर्शन आसपास के गांवों में करेंगे। 

संस्था ने लोकसंस्कृतियों के संरक्षण के नाम पर मंच प्रस्तुतियों के अलावा शोधात्मक कार्य भी किए हैं। भिखारी ठाकुर के अग्रज, गुमनाम लोक कलाकार रसूल की खोज करने का श्रेय इसी संस्था को जाता है। रसूल पर संस्था ने अपने शोधपरक पुस्तक- ‘लोकरंग-1’ में विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराई तो देश के कई शैक्षिक संस्थानों द्वारा उन पर पीएचडी (PhD) कराई गई। रसूल को इग्नू के भोजपूरी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया । इसी प्रकार संस्था द्वारा ‘लोकरंग-2’ एवं लोकरंग-3 पुस्तक का प्रकाशन किया गया। लोकरंग 1 एवं 2 दोनों छपरा एवं आरा विश्वविद्यालय के एम.ए. (भोजपुरी) पाठ्यक्रम में शामिल हैं ।

हर वर्ष की तहर इस वर्ष भी कार्यक्रम के दूसरे दिन विचार गोष्ठी आयोजित होगी, जिसका विषय है- ‘लोक का संकट और लोक साहित्य’। इस विचार गोष्ठी में देश के तमाम विद्वान भाग ले रहे हैं। गोष्ठी की अध्यक्षता हिन्दी के शीर्ष आलोचक, प्रो. मैनेजर पाण्डेय करेंगे। देश के जाने-माने कवि प्रो. दिनेश कुशवाह इस कार्यक्रम का संचालन करेंगे।

 सम्पूर्ण आयोजन, लोकरंग परिसर के मुक्ताकाशी मंच पर प्रस्तुत होंगे। अतिथियों के रहने, खाने आदि की तैयारी में पूरा गांव अभी से जुटा हुआ है।

सुभाष चन्द्र कुशवाहा, अध्यक्ष (लोकरंग सांस्कृतिक समिति) द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर  

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles