पहाड़ की खुरदुरी जमीन पर मोहन मुक्त ने खड़ा किया है कविता का हिमालय

Share this… Facebook Twitter Whatsapp Telegram वो तुम थे एक साधारण मनुष्य को सताने वाले अपने अपराध पर हँसे ठठाकर, और अपने आसपास जमा रखा मूर्खों का झुंड  अच्छाई को बुराई से मिलाने के लिए, कि न छंट सके धुंध, बेशक हर कोई झुका तुम्हारे सामने कसीदे पढ़े तुम्हारी शराफ़त और अक़्ल के तुम्हारे सम्मान … Continue reading पहाड़ की खुरदुरी जमीन पर मोहन मुक्त ने खड़ा किया है कविता का हिमालय