Author: प्रेम सिंह

  • क्या एक देश के रूप में फिलिस्तीन मिथक बन जाएगा और इजराइल यथार्थ?

    क्या एक देश के रूप में फिलिस्तीन मिथक बन जाएगा और इजराइल यथार्थ?

    यह सही है कि गाजा पट्टी में पिछले करीब दो सप्ताह से जारी इजराइल द्वारा किए जा रहे फिलिस्तीनियों के नरसंहार के लिए हमास जिम्मेदार है। 1987 में अस्तित्व में आया हमास फिलिस्तीनियों के मौजूदा नरसंहार के लिए तो जिम्मेदार है, लेकिन उसके 7 अक्तूबर के हमले में हुईं इजराइली नागरिकों की हत्याओं के लिए…

  • डॉ मनमोहन नवउदारवादी अर्थव्यवस्था के शास्त्रीय खिलाड़ी और नरेंद्र मोदी अंधी चालें चलते हैं

    डॉ मनमोहन नवउदारवादी अर्थव्यवस्था के शास्त्रीय खिलाड़ी और नरेंद्र मोदी अंधी चालें चलते हैं

    अंग्रेजी दैनिक ‘दि इंडियन एक्सप्रेस’ (8 सितंबर 2023) में पूर्व वित्तमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का इंटरव्यू प्रकाशित हुआ है। यह खास इंटरव्यू अखबार के किस पत्रकार ने लिया है, इसकी जानकारी नहीं दी गई है। बताया गया है कि ‘दि इंडियन एक्सप्रेस’ ने जी20 की पूर्व संध्या पर डॉ सिंह का यह…

  • अगस्त क्रांति: नव-साम्राज्यवादी गुलामी के दलदल में भारत का शासक-वर्ग

    अगस्त क्रांति: नव-साम्राज्यवादी गुलामी के दलदल में भारत का शासक-वर्ग

    ‘‘यह एक छोटा-सा मंत्र मैं आपको देता हूं। आप इसे हृदय पटल पर अंकित कर लीजिए और हर श्वास के साथ उसका जाप कीजिए। वह मंत्र है- ‘करो या मरो’। या तो हम भारत को आजाद करेंगे या आजादी की कोशिश में प्राण दे देंगे। हम अपनी आंखों से अपने देश का सदा गुलाम और…

  • सांप्रदायिक हिंसा: क्यों नहीं सुनते हैं प्रधानमंत्री?

    सांप्रदायिक हिंसा: क्यों नहीं सुनते हैं प्रधानमंत्री?

    हरियाणा के नूंह कस्बे में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान और जयपुर-मुंबई सेंट्रल सुपरफास्ट एक्सप्रेस के सवारी डिब्बे में होने वाली हत्याओं के संदर्भ में लिखा गया ‘दि इंडियन एक्सप्रेस’ (2 अगस्त 2023) का प्रथम संपादकीय गौर-तलब है। संपादकीय का शीर्षक ‘लाइन खींचो’ (ड्रा दि लाइन) सख्त हिदायत और चेतावनी के अंदाज में लिखा गया है। संपादकीय के उप-शीर्षक से यह तथ्य स्पष्ट…

  • पहलवान और न्याय के लिए उनका संघर्ष

    पहलवान और न्याय के लिए उनका संघर्ष

    ‘इंडियन एक्सप्रेस’ (23 मई 2023) में मुखपृष्ठ पर प्रथम स्टोरी के रूप में प्रकाशित अपने आलेख ‘बहुत-सी लड़कियों की तरह सालों-साल मुझे भी चुप-चाप इस शख्स (बृजभूषण शरण सिंह) के हाथों (यौन-उत्पीड़न) सहना पड़ा’ में विनेश फोगाट ने एक गौरतलब बात कही है: “अब कोई डर नहीं बचा था। केवल इतना ही डर बाकी था…

  • कौन कर रहा है ‘राजनीतिक शिष्टता’ पर हमला?

    कौन कर रहा है ‘राजनीतिक शिष्टता’ पर हमला?

    ‘इंडियन एक्सप्रेस’ (30 मार्च 2023) में एम राजीव लोचन का लेख ‘एन अटैक ओन सिविलिटी’ (शिष्टता पर हमला) छपा है। यह लेख उन्होंने अखबार के 25 मार्च 2023 के प्रथम संपादकीय (लीड एडिटोरियल) ‘डिस्क्वालीफाइड’ के जवाब में लिखा है। संपादकीय कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को सूरत न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा के बाद रद्द…

  • वर्तमान दौर में कर्पूरी ठाकुर की प्रासंगिकता

    वर्तमान दौर में कर्पूरी ठाकुर की प्रासंगिकता

    समाजवादी नेता मधु लिमये (1 मई 1922–8 जनवरी 1995) के जन्मशती वर्ष के उपलक्ष्य में पिछले दो सालों से विविध कार्यक्रम हो रहे हैं। जनवरी से दो और प्रमुख समाजवादी नेताओं मधु दंडवते (21 जनवरी 1924–12 नवंबर 2005) और कर्पूरी ठाकुर (24 जनवरी 1924–17 फरवरी 1988) के जन्मशती वर्ष भी शुरू हो गए हैं। ‘जननायक…

  • चंडीगढ़-विवाद : कृपया जिम्मेदारी से संभालें

    चंडीगढ़-विवाद : कृपया जिम्मेदारी से संभालें

    यह टिप्पणी पंजाब और हरियाणा राज्यों के बीच 1966 से शुरू हुए चंडीगढ़-विवाद के इतिहास और राजनीति के बारे में नहीं है। केंद्र सरकार के केंद्र-शासित प्रदेश चंडीगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था में फेर-बदल संबंधी बयान, और उस बयान पर पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के ‘पलटवार’ – विधानसभा में चंडीगढ़ को पंजाब में…

  • कांग्रेस: अंदर का कलह, बाहर की अपेक्षाएं

    कांग्रेस: अंदर का कलह, बाहर की अपेक्षाएं

    फरवरी-मार्च में संपन्न हुए पांच विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के अति निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी में आतंरिक कलह तेज़ हुआ है। दूसरी तरफ राजनीतिक पंडित, अन्य पार्टियों के नेता, राजनीतिक रूप से जागरूक नागरिक भविष्य की राजनीति के लिए कांग्रेस की भूमिका पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। सवालिया निशान लगाने वालों में एक…

  • विधानसभा चुनाव : बहस से गायब नई शिक्षा नीति

    विधानसभा चुनाव : बहस से गायब नई शिक्षा नीति

    करीब एक महीने तक चले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का समापन होने जा रहा है। केवल उत्तर प्रदेश में 7 मार्च को अंतिम चरण का चुनाव बाकी है। चुनावों के दौरान चली बहस का ज्यादातर हिस्सा पार्टियों/नेताओं के बीच होने वाले आरोप-प्रत्यारोपों की भेंट चढ़ गया। अखबारों, पत्रिकाओं, ऑनलाइन, सोशल मीडिया और टीवी चैनलों…