Friday, April 26, 2024

सत्येंद्र रंजन

क्या पश्चिमी प्रभु वर्ग में पड़ गई है फूट?

टकर कार्लसन की पहचान एक धुर दक्षिणपंथी पत्रकार की रही है। उन्हें लोकप्रियता अपने धुर दक्षिणपंथी एजेंडे के लिए चर्चित फॉक्स न्यूज चैनल का एंकर रहते हुए मिली। वे डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक रहे हैं। राजनीति में ट्रंप के...

दक्षिणी राज्यों ने केंद्र के खिलाफ क्यों खोल दिया है मोर्चा?

दक्षिणी राज्यों ने अपने साथ वित्तीय ‘अन्याय’ को अब एक बड़ा मुद्दा बना दिया है। लेकिन उनकी शिकायत सुनने के बजाय ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी ने इस मसले को अपने खास...

चुनाव का निष्पक्ष दिखना भी जरूरी है

चुनावों की निष्पक्षता और पवित्रता पर जितने गंभीर प्रश्न अब उठ रहे हैं, वैसा आजाद भारत के इतिहास में कभी नहीं हुआ। चर्चा सोशल मीडिया से फैलते हुए अब राजनेताओं और विशेषज्ञों तक पहुंच चुकी है। सिर्फ हाल के...

अंतरिम बजटः मोदी सरकार के ‘आत्म-विश्वास’ का राज क्या है?

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश लेखानुदान विधेयक (vote on account) यानी अंतरिम बजट में जो दावे किए, उन्हें मेनस्ट्रीम मीडिया ने उसी रूप में प्रस्तुत कर दिया। यह सवाल पूछने की जहमत आम तौर...

आर्थिक रिपोर्ट या सियासी परचा?

इस बार की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट सरकार ने संसद में पेश करने के बजाय प्रेस कांफ्रेंस में जारी कर दी। बाद में सफाई दी गई कि चूंकि इस बार संसद में पूर्ण बजट पेश नहीं हो रहा है, इसलिए...

हकीकत क्या है ‘विकसित’ भारत के हल्ले की?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले आम चुनाव के लिए ‘विकसित भारत’ को अपने प्रचार का मुख्य थीम (विषयवस्तु) बनाया है। इसके लिए हाल में देश भर में ‘विकसित भारत’ यात्रा निकाली गई। अपने भाषणों में मोदी 2027 तक (जब...

एक प्रतिरोध जिसमें बड़ी संभावनाएं छिपी हैं

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने जालंधर में अपने राष्ट्रीय अधिवेशन में अगले 16 फरवरी को ग्रामीण बंद यानी देहाती इलाकों में पूर्ण हड़ताल का आह्वान किया। उसके बाद उसने ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों से गुजारिश की कि वे भी...

चीनी घुसपैठ पर पर्दादारी: आखिर क्यों और किससे?

नई दिल्ली। भारतीय सैनिकों की वीरता कथा को भारतीय जनता से छिपाने की कोशिश अगर होती दिखे, तो यह सहज सवाल उठेगा कि आखिर ऐसा क्यों किया गया है और इसके पीछे मकसद क्या है? इन सवालों पर हम लौटेंगे।...

आम बदहाली के बीच चमकते-दमकते छह करोड़ लोग

चालू वित्त वर्ष में भारत सरकार ने प्रत्यक्ष करों से 17.2 लाख करोड़ रुपये की आमदनी का अनुमान लगाया था। सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक दिसंबर की समाप्ति तक सरकार 14.7 लाख करोड़ की रकम...

चंद परिवारों में क्यों सिमटी भारत की राजनीति ?

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल में यह दिलचस्प बात कही कि गुजरे 30 वर्षों में बिहार में सिर्फ साढ़े पांच सौ परिवारों के सदस्य विधायक बने हैं। इन परिवारों के सदस्य विभिन्न दलों में आते-जाते रहते हैं और...

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विवाहित महिलाओं के स्त्रीधन पर उनके अधिकार को मजबूत करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम...