Friday, March 29, 2024

जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा मुखिया राम रहीम की मुश्किलें और बढ़ीं, गुरु ग्रंथ बेअदबी कांड में हो सकती है पूछताछ

बहुचर्चित डेरा सच्चा सौदा सिरसा और डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम सिंह अब नए विवादों में हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब बेअदबी कांड में पंजाब पुलिस की एसआईटी ने डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम सिंह को मुख्य साजिशकर्ता करार देते हुए उसे बाकायदा एफआईआर में नामजद किया है। साथ ही डेरे की राष्ट्रीय कमेटी के तीन प्रमुख सदस्यों हर्ष धूरी, संदीप बरेटा व प्रदीप कलेर को भी नामजद किया गया है। डेरा मुखी बलात्कार और हत्या के मामलों में हरियाणा के रोहतक जिले की सुनारिया जेल में सख्त उम्र कैद की सजा काट रहा है।

एक अति संवेदनशील मामले में उस पर नया केस दर्ज करने वाली पंजाब पुलिस की एसआईटी टीम के प्रभारी डीआईजी रणबीर सिंह खटड़ा के अनुसार हरियाणा की जेल में बंद गुरमीत राम रहीम को प्रोडक्शन वारंट पर लाकर गहन पूछताछ की जाएगी। इसका सीधा मतलब है कि डेरा मुखी एक और बेहद संवेदनशील तथा संगीन मामले में उलझेगा। लेकिन इस बार उसके साथ-साथ सूबे के कतिपय दिग्गज सियासतदान भी लपेटे में आएंगे। शिरोमणि अकाली दल के चंद बड़े नेताओं से गुरमीत राम रहीम की अंदरुनी नज़दीकियां हैं, जो कभी जगजाहिर थीं। 

बलात्कार, हत्या और अन्य कई विवादास्पद मामलों में फंसने के बाद अकाली और भाजपा नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर उनसे दूरी बना ली लेकिन भीतर ही भीतर वे डेरा मुखी से जुड़े रहे। गुरमीत राम रहीम सिंह से अकाली-भाजपा गठबंधन का रिश्ता वस्तुतः ‘वोट का रिश्ता’ रहा है। वक्त-वक्त पर डेरा सच्चा सौदा हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में कभी कांग्रेस, कभी अकालियों तो कभी भाजपा का समर्थन करता रहा है। पंजाब और हरियाणा के कुछ विधानसभा हलकों में उसके अनुयायियों के वोट निर्णायक माने जाते हैं। जब तक डेरा सच्चा सौदा सिरसा और गुरमीत राम रहीम सिंह का जलवा कायम रहा तब तक हर सियासी पार्टी इस खुली कवायद में रही कि चुनावों के दौरान डेरा मुखी का खुला आशीर्वाद किसी भी तरह हासिल हो जाए।                                              

खैर, श्री गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी के जिस संवेदनशील मामले में गुरमीत राम रहीम सिंह को मुख्य साजिशकर्ता करार देकर पंजाब पुलिस की एसआईटी ने आरोपी बनाया है वह 5 साल पुराना है। 2015 में डेरा प्रमुख की फिल्म ‘एमएसजी’ रिलीज हुई थी, जिस पर कुछ सिख संगठनों को एतराज था। राज्य में कई जगह सिख संगठनों और डेरा प्रेमियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। एक जून 2015 को जिला फरीदकोट के गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब का पावन स्वरूप चोरी हो गया और बाद में उसके अंग (पन्ने) क्षत-विक्षत मिले। श्री गुरु ग्रंथ साहब के स्वरूप को चोरी के बाद 4 महीने तक छुपा कर रखा गया। 25 सितंबर, 2015 को बुर्ज जवाहर सिंह के गुरुद्वारा के बाहर पोस्टर लगाए गए, जिसमें कई आपत्तिजनक और सिखों की भावनाओं को आहत करने वाले शब्द थे।

12 अक्टूबर को जिला फरीदकोट के बरगाड़ी में पावन ग्रंथ के अंग बिखरे मिले थे। पूरे पंजाब में तनाव व्याप्त हो गया। आगजनी और हिंसा की कई घटनाएं हुईं। कुख्यात बहबल कलां (कोटकपूरा) गोली कांड हुआ। एक अलग आईएसटी उसकी जांच कर रही है। इस आईएसटी के जांच-दायरे में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी सहित कई पुलिस अधिकारी और विधायक तथा अकाली नेता हैं। कई गिरफ्तारियां भी हुईं हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बरगाड़ी में हुई बेअदबी के बाद तत्कालीन अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार ने भी विशेष जांच टीम एवं न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। तह तक सही-सही कोई नहीं जा पाया या जाने नहीं दिया गया। बढ़ते दबाव के मद्देनजर यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया लेकिन सीबीआई भी आखिरकार नाकाम रही। उसने क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी।      

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बरगाड़ी और बहबलकलां कांड बड़ा चुनावी मुद्दा थे। शिरोमणि अकाली दल के सरपरस्तों पर सीधी उंगलियां उठ रही थीं। मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की रहनुमाई में कांग्रेस की हर चुनावी रैली में वादा किया जाता था कि पार्टी अगर सत्ता में आई तो इन कांडों की गहन जांच कराई जाएगी। तीन साल तक जांच चलती रही और अब अचानक 4 जुलाई के बाद उसने रफ्तार पकड़ ली। पहले डेरा सच्चा सौदा सिरसा के 7 अनुयायी गिरफ्तार किए गए और उनसे पूछताछ व सुबूत हासिल करने के आधार पर डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम सिंह और उसके 3 सिपहसालारों पर 6 जुलाई को मामला दर्ज कर लिया गया। एसआईटी प्रभारी रणवीर सिंह खटड़ा के अनुसार पुलिस हरियाणा के जिला रोहतक की उच्च सुरक्षा प्रबंधों वाली सुनारिया जेल में बंद गुरमीत राम रहीम सिंह को प्रोडक्शन वारंट पर लेकर पूछताछ करेगी।

अगर पंजाब पुलिस डेरा मुखी की जुबान इस पूरे प्रकरण पर पूरी तरह खुलवाने में कामयाब रही तो यकीनन पंजाब के कई बड़े सियासतदानों पर आफत आएगी। पंजाब पुलिस इससे पहले हरियाणा सरकार और वहां के जेल प्रशासन से कह चुकी है कि वह सुनारिया जेल में बंद गुरमीत राम रहीम से विशेष पूछताछ करना चाहती है लेकिन हर बार सुरक्षा का हवाला दिया गया। इस बार इस बाबत अदालत में अर्जी दाखिल की गई है। सूत्रों के मुताबिक जरूरत पड़ने पर पुलिस हाई कोर्ट का रुख करेगी। गुरमीत राम रहीम के हरियाणा भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ करीबी रिश्ते हैं।                                        

बता दें कि सिखों से डेरा मुखी की अदावत के मामले में मशहूर फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार भी एक पक्ष हैं। एसआईटी प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल के साथ-साथ अभिनेता अक्षय से भी पूछताछ कर चुकी है। अक्षय, सुखबीर सिंह बादल और गुरमीत राम रहीम सिंह के करीबी दोस्त हैं। पंजाब में आम चर्चा है कि जब डेरा मुखी सिख पंथ से निष्कासित था तो अक्षय कुमार के बंगले पर सुखबीर सिंह बादल ने गुरमीत राम रहीम सिंह से मुलाकात की थी। प्रसंगवश, पंथ से बहिष्कृत व्यक्ति को सिख पंथ की मर्यादा के मुताबिक समुदाय विरोधी कारगुजारी माना जाता है।                                 

दरअसल, डेरा सच्चा सौदा के सिरसा (हरियाणा) मुख्यालय से सटे पंजाब के मालवा इलाके में 2007 के बाद डेरे और मुखी गुरमीत राम रहीम सिंह का प्रभाव मुतवातर बढ़ता गया। उनका वर्चस्व बढ़ाने में अकालियों और कांग्रेसियों ने अपने-अपने तईं भूमिकाएं अदा कीं। इसका एक नतीजा यह भी निकला कि गुरमीत राम रहीम सिंह खुद को सरकारों का ‘सरताज’ मानने लगा। 2005 और 2007 के बीच डेरे की कई शाखाएं पंजाब, हरियाणा, राजस्थान सहित कई राज्यों में खुल गईं। सबका प्रभारी उन्हें बनाया गया–जिनका राजनैतिक संपर्क तंत्र मजबूत था। 2007 में डेरा प्रमुख ने दशम गुरु गोबिंद सिंह जी की तरह पोशाक पहनकर अमृतपान कराने का स्वांग रचा। आम सिखों ने इसका पुरजोर विरोध किया।

गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और उसे पंथ से निष्कासित कर दिया गया। उसे सर्वोच्च श्री अकाल तख्त साहिब पर तलब किया गया। लेकिन अघोषित रूप से खुद को श्री अकाल तख्त साहिब से भी बड़ा मानने वाला डेरा मुखी पेश नहीं हुआ। 10 साल तक डेरा प्रेमियों और सिखों के बीच तगड़ा तनाव रहा। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले अकालियों ने डेरा समर्थकों के वोट लेने के श्री अकाल तख्त साहिब से डेरा मुखी को माफी दिलवा दी तो सिख समुदाय में चौतरफा रोष फैल गया। चार दिन की बहाने बाजी के बाद यह माफी वापस ले ली गई। पहले दी गई माफी और फिर उसकी वापसी पर अब तक संशय बरकरार है।                         

बहरहाल, अब डेरा मुखी की बेअदबी कांड में नामजदगी पंजाब की राजनीति को नया मोड़ देगी। विधानसभा चुनाव दो साल बाद हैं। शिरोमणि अकाली दल सिखों में खोई अपनी साख बहाल नहीं कर पाया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर

 सिंह एक-एक करके अकालियों से पंथक एजेंडे छीन रहे हैं।                      

इस बीच सर्वोच्च सिख संस्था श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि पंजाब पुलिस को बेअदबी मामले में डेरा सच्चा सौदा सिरसा मुखी गुरमीत राम रहीम को प्रोडक्शन वारंट पर लाकर सख्ती के साथ पूछताछ करनी चाहिए। बादलों के समर्थन से जत्थेदार बनने वाले ज्ञानी जी कहते हैं, “श्री गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी किसी भी सिख के लिए असहनीय है और गुनहगारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।” डेरा सच्चा सौदा, उसके मुखिया और राष्ट्रीय समिति के तीन सदस्यों की नामजदगी के बाद पंजाब का सियासी पारा उफान पर है लेकिन फिलहाल तक शिरोमणि अकाली दल इस घटनाक्रम पर खामोश है। ‘खामोश’ तो है पर ‘सामान्य’ नहीं!

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

‘ऐ वतन मेरे वतन’ का संदेश

हम दिल्ली के कुछ साथी ‘समाजवादी मंच’ के तत्वावधान में अल्लाह बख्श की याद...

Related Articles