Wednesday, April 24, 2024

सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और फिल्मकारों की गिरफ्तारी और दमन के खिलाफ जगह-जगह प्रतिरोध

वाराणसी/रांची। 19 जुलाई 2022 को बीएचयू के मुख्य द्वार लंका गेट पर बनारस के तमाम संगठनों ने स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह और एक्टिविस्ट हिमांशु कुमार सहित तमाम राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हो रहे राजकीय दमन के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। कार्यक्रम के शुरुआत में ही मौजूद लोगों और पुलिस के बीच तीखी नोक-झोंक हुई। जिसके कारण कार्यक्रम अपने नियत समय से कुछ समय बाद ही सुचारू रूप से चल पाया। इस कार्यक्रम में प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति (PS4) के प्रमुख डॉक्टर छेदीलाल निराला ने अपनी बात रखते हुए कहा कि पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ होते हैं, लोकतंत्र में लोक की समस्याओं को पत्रकार ही सामने रखते हैं। लेकिन आज रूपेश कुमार जैसे तमाम जनपक्षधर पत्रकारों के साथ ज्यादती हो रही है। उन्हें कई अलोकतांत्रिक हथकण्डों का इस्तेमाल करके फंसाया जा रहा है, ताकि कॉरपोरेट और सरकार की मिलीभगत सामने न आ पाए।

इस अवसर पर समाजवादी जन परिषद से अफलातून ने कहा कि एक तरफ मोदी सरकार आदिवासियों पर जुल्म ढा रही है, वहीं दूसरी तरफ आदिवासियों को लुभाने के लिए द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति के चुनाव में खड़ा कर रही है। जबकि यही द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड की राज्यपाल रहते हुए कभी भी आदिवासियों पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ एक चूं तक नहीं की। मोदी सरकार ने झारखंड के ही एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी की भी हत्या कर दी। क्रूरता की हद यह है कि महीनों तक उन्हें पानी पीने वाला स्ट्रॉ तक नहीं दिया गया।

वाराणसी में विरोध प्रदर्शन

कार्यक्रम को संबोधित करता हुए रजनीश भारती ने पुलिसिया दमन पर कहा कि जब भी आप सरकार की नीतियों का विरोध करेंगे, तब सरकार पुलिस को आगे कर देती है। एक तरफ हम मेहनतकश लोग हैं, दूसरी तरफ पुलिस जो स्वयं मजदूर-किसान परिवार से आते हैं। दोनों को आपस में लड़ाकर सरकार और कॉरपोरेट जगत के लोग जनता को लूटते रहते हैं।

कृपा वर्मा ने सोलिडेरिटी देते हुए अपनी बातचीत में कहा कि आज के दौर में कानून, संविधान सबका गला घोंटा जा रहा। संसद में बैठकर तमाम अपराधी जनता को लूटने का कानून बना रहे हैं। आज भारत की परिस्थिति श्रीलंका जैसी है। किसी भी तानाशाह का सिक्का ज्यादा दिन नहीं चलता है। ठीक हिटलर और मुसोलिनी की तरह इस सरकार को भी उखाड़ कर फेंका जाएगा। या फिर उनकी हालत श्रीलंका जैसी कर दी जाएगी और उन्हें अपनी जान बचाकर भागना पड़ जाएगा।

भगतसिंह छात्र मोर्चा से मानव उमेश ने अमीर अज़ीम की ‘सब याद रखा जाएगा’ कविता के माध्यम से अपनी बातचीत में कहा कि आज जो भी सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं उन्हें दबाया जा रहा। चाहे हिमांशु कुमार हों, रूपेश कुमार सिंह हों, तीस्ता सीतलवाड़ हों या भीमा कोरेगांव के तमाम राजनैतिक बंदी हों। हम जब भी प्रोटेस्ट करते हैं तो भारी संख्या में पुलिस हमें रोकने के लिए जुट जाती है। आखिर हमारे बोलने से, हमारे लिखने से या हमारे पढ़ने से इन्हें क्या दिक्कत है? साफ समझ में आता कि यह शोषक वर्ग चाहता है कि उनके द्वारा किए जा रहे जुल्म होते रहें, लेकिन उसके खिलाफ बोलने वाला कोई न हो। इन गिरफ्तारियों के माध्यम से सरकार हर बोलने वाले को डराना चाहती है लेकिन हम इनसे डरने वाले नहीं हैं।

इसके बाद शहजादे जी ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए अपनी बातचीत में कहा कि जब-जब सरकार द्वारा जनता का दमन हुआ है, तब तब जनता ने ईंट का जवाब पत्थर से देते हुए उस सरकार को उखाड़ फेंका है। संविधान के माध्यम से हर एक नागरिक को मौलिक अधिकार दिया गया है। लेकिन वास्तव में कोई अधिकार लागू नहीं होता। आज हर एक वर्ग चाहे मजदूर हो, किसान हो सभी इसी दमन का शिकार है।

भगतसिंह छात्र मोर्चा से इप्शिता ने हिमांशु कुमार और रूपेश कुमार सिंह पर हुए दमन का कारण बताते हुए कहा कि बस्तर में हिमांशु कुमार ने CRPF, पुलिस और सरकार की तमाम मशीनरी पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर किया कि वहां तमाम निर्दोष आदिवासियों को फर्जी एनकाउंटर के नाम पर मारा जा रहा। सोनी सोरी जैसी तमाम महिलाओं के साथ जघन्य बलात्कार किया जा रहा है।

बोकारो में विरोध प्रदर्शन

इप्शिता ने आगे कहा कि जब-जब रूपेश कुमार और हिमांशु कुमार जैसे तमाम लोग इसके खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, तो पूरी व्यवस्था का असली भयानक चेहरा सामने आ जाता है। रूपेश कुमार झारखंड समेत तमाम आदिवासी इलाके में कॉरपोरेट दमन के खिलाफ मुखर रूप से लिख रहे थे, इसलिए उन्हें 3 साल के अंदर दूसरी बार गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है। आदिवासी लूट-खसोट की व्यवस्था से तंग आकर एक नई व्यवस्था की बात कर रहे हैं, इस शासन-प्रशासन से तमाम तरीकों से लड़ रहे हैं, इसलिए उन्हें कुचला जा रहा है। हमें भी एक नई व्यवस्था को गढ़ना होगा, इसके लिए संघर्ष करना होगा और जल-जंगल- जमीन को बचाना होगा।

कार्यक्रम में भगत सिंह छात्र मोर्चा के साथियों की तरफ से ‘गॉंव छोड़ब नाही, जंगल छोड़ब नाही’ गीत प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में PS4, BCM, कम्युनिस्ट फ्रंट, सिटीजन फ़ॉर पीस, प्रलेस, PUCL, CYSS संगठन मौजूद रहे। इसके अलावा वी के सिंह, अनिल, मनीष शर्मा, शहजादी, आकांक्षा, ममता कुमारी, अनुपम, विनय, संदीप, गणेश, अमर बहादुर, ब्रम्हनारायण, शशिकांत, कुलदीप तिवारी, आदि मौजूद रहे। इस कार्यक्रम का संचालन अनुपम ने किया।

झारखंड के बोकारो में मजदूर संगठन समिति शाखा बोकारो स्टील द्वारा रूपेश कुमार सिंह की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए उनकी अविलम्ब रिहाई की मांग की गई।

एक कार्यक्रम के माध्यम से कहा गया कि झारखंड में जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा की लूट सहित आदिवासियों पर पुलिसिया दमन, प्रदूषण, मजदूरों-किसानों के अधिकारों पर हो रहे हमले के खिलाफ लेख लिखकर सरकार के दमनकारी जनविरोधी नीतियों को उजागर एवं कारपोरेट घरानों और सरकार के गठजोड़ का भंडाफोड़ करने वाले जनपक्षीय स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह को दिनांक 17 जुलाई को रामगढ़ स्थित आवास पर सर्च वारंट के बहाने सरायकेला खरसावां पुलिस ने रूपेश कुमार सिंह को फर्जी मुकदमे में गिरफ्तार कर लिया। जबकि रुपेश कुमार सिंह की सार्वजनिक पहचान स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर है। वे कई मीडिया संस्थानों के लिए लिखते रहे हैं। उनका अपना यू-ट्यूब चैनल भी है, जिस पर वे अपनी स्टोरीज़ पोस्ट करते रहे हैं। वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कई मुद्दों पर राज्य के मुख्यमंत्री और उच्चाधिकारियों आदि को भी टैग कर ट्वीट्स किए हैं, जिस पर संबंधित मंत्रियों द्वारा ट्वीट कर कार्रवाई भी की गयी है।

कार्यक्रम में जनपक्षीय स्वतंत्र पत्रकार रुपेश कुमार सिंह की फर्जी मुकदमे में गिरफ्तारी का विरोध करते हुए उनको बिना शर्त रिहाई की मांग की गई।

मौके पर दीपक कुमार, अरविंद कुमार, संतोष मूर्मु, संतोष सिंह, इम्तियाज अंसारी, वासुदेव महतो, प्रदीप कुमार, सुरेन्द्र कुमार आदि मौजूद थे।

वहीं जिले के बोकारो थर्मल में मजदूर संगठन समिति की स्थानीय शाखा के सदस्यों ने एक बैठक करके पत्रकार रुपेश कुमार सिंह की गिरफ्तारी की निंदा की। शाखा अध्यक्ष रघुवर सिंह ने कहा कि पत्रकार रूपेश कुमार राज्य में जल, जंगल, जमीन की हो रही लूट, आदिवासियों पर पुलिसिया दमन तथा मजदूरों व किसानों के अधिकारों पर हो रहे हमले को लेकर लगातार लिख रहे थे। इसी कारण सरकार के इशारे पर पुलिस ने फर्जी मुकदमा के आधार पर सोमवार को उनके घर की घंटों तलाशी ली और उन्हें गिरफ्तार किया। बैठक में मांग की गई कि उन्हें बिना शर्त रिहा किया जाना चाहिए। मौके पर सचिव रज्जाक अंसारी सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे।

वहीं एक सामाजिक जन संगठन झारखंड जन संघर्ष मोर्चा (झारखंड) द्वारा झारखंड के जनपक्षीय स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह सहित देश भर में अन्य पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध में आंदोलन की रूपरेखा तय करने के लिए आगामी 24 जुलाई, 2022 को झारखंड जन संघर्ष मोर्चा के संयोजक, सह संयोजक एवं सक्रिय सदस्यों की आपातकालीन एक दिवसीय बैठक रांची में 11 बजे  दिन से विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन के केन्द्रीय कार्यालय सरईटाड़, मोरहाबादी, रांची में आयोजित करने की घोषणा की गयी है।

आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रजनी मुर्मू, सुमित्रा मुर्मू , उमाशंकर बैगा ब्यास, अनूप महतो, बच्चा सिंह, डी.सी. गोहाईं और दामोदर तुरी ने अपील की है।

वहीं सिटीजन्स फोरम, पटना ( नागरिक सरोकारों व जनतांत्रिक अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध ) संस्था द्वारा छत्तीसगढ़ में कार्यरत गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाये गये पांच लाख रुपए के जुर्माने, झारखंड के जनपक्षधर पत्रकार रूपेश कुमार सिंह और बिहार के चर्चित फिल्मकार अविनाश दास की अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी के विरोध में आगामी 22 जुलाई, 2022 को पटना जीपीओ गोलम्बर से बुद्ध स्मृति पार्क, फ्रेजर रोड, पटना तक प्रतिवाद मार्च का आयोजन किया गया है।

माले विधायक विनोद सिंह ने कहा है कि स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह की गिरफ्तारी व उनके आवास पर छापा मारकर उनके लैपटॉप आदि की जब्ती निंदनीय है। यह पत्रकारिता पर हमला है। शासन में रहते भाजपा सरकार द्वारा आदिवासियों पर हमला और द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार बनाए जाने के भाजपा के दोहरे चरित्र को रूपेश कुमार सिंह ने उजागर किया था। भाकपा माले झारखंड राज्य कमेटी इसकी कड़ी निन्दा करती है। हम पत्रकार की अविलंब रिहाई की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चाहिए कि वे जिम्मेवार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करें।

वहीं भाकपा माले झारखंड राज्य के सचिव मनोज भक्त ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि स्वतंत्र पत्रकार रूपेश की गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित है। पत्रकार रूपेश कुमार सिंह की गिरफ्तारी की माले की राज्य कमेटी कड़ी निंदा करती है। राष्ट्रपति चुनाव से एक दिन पहले खरसावां पुलिस द्वारा पत्रकार रूपेश कुमार सिंह की गिरफ्तारी और उनके आवास पर छापा मारकर उनके लैपटॉप आदि की जब्ती राजनीति से प्रेरित कार्रवाई है। यह पत्रकारिकता और असहमति के अधिकार पर हमला है।

द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार बनाए जाने पर भाजपा द्वारा आदिवासी हितों की रक्षा के रूप में भाजपाई प्रचार का रुपेश सिंह ने अपनी लेख के माध्यम से भंडाफोड़ किया था। उन्होंने द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाने पर आदिवासी हितों पर प्रहार का शुरुआती कदम बताया है। रूपेश आदिवासियों के ऊपर हुए दमन का लगातार विरोध करते रहे हैं। भाजपा के दोहरे चरित्र को रूपेश कुमार सिंह ने उजागर किया था। रुपेश की गिरफ़्तारी केंद्र और राज्य सरकार की आंतरिक एकता को उजागर करता है। भाकपा माले ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पत्रकार रुपेश कुमार सिंह की अविलंब रिहाई की मांग की।

(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles