Friday, March 29, 2024

पीएफआई के नाम पर जौनपुर से गिरफ्तार साजिद और हुजैफा के परिजनों से रिहाई मंच ने की मुलाकात, माले ने की पाबंदी की निंदा

जौनपुर/लखनऊ। रिहाई मंच ने पीएफआई के नाम पर जौनपुर के सहावें से गिरफ्तार मोहम्मद साजिद और उसरौली से गिरफ्तार अबू हुजैफा के परिजनों से मुलाकात की है। इस बीच सीपीआईएमएल ने पीएफाई और उसके संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंधों की निंदा की है।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने बताया कि जौनपुर के सहावें से गिरफ्तार मोहम्मद साजिद की अम्मी शहजादी ने बताया कि 27 सितंबर की सुबह 6 बजे दो लोग आए दरवाजा खटखटाए साजिद के अब्बू-भाई घर पर ही थे, दरवाजा खोला तो उन्होंने साजिद के बारे में पूछा। साजिद सो रहा था उसे जगाया और वे उसे लेकर चले गए। पीछे से उसका भाई थाने गया। उन्होंने बताया कि एक साल पहले भी एक बार उसे उठाया गया था। उस वक्त ठंडी का मौसम था। पहले वह मदरसा में पढ़ता था पर फिर उसने मिर्जा अनवर बेग इण्टर कालेज, आज़ाद इमरानगंज शाहगंज, जौनपुर में 9वीं में पढ़ने लगा।

उसके एडमिशन के दो महीने बाद ये बवाल शुरू हो गया। इसी डर से उसको पढ़ने भी नहीं भेजते थे। पूछताछ के नाम पर जब न तब आ जाते थे। तीन दिन पहले भी आए थे पूछने के लिए। पूछने पर की इससे पहले कब आए थे तो बताया कि जब धान की रोपनी चल रही थी तब भी आए थे। पहले ज्यादा तौर पर सादे ड्रेस में आते थे। पड़ोसी बुजुर्ग अबुल हसन याद करते हुए कहते हैं कि एक साल पहले भी उसे उठाया था पर कुछ मोबाइल का मामला था। उसके एक महीने पहले उसे पूछने आए थे। इस गिरफ्तारी से गांव के छोटे बच्चे जो अमूमन किसी के आने पर इकट्ठा हो जाते हैं उनमें डर साफ देखी जा सकती है। एक बच्चे ने कहा की वो इतना छोटा था तो उसको उठा ले गए क्या पता किसको फसा दें।

साजिद की अम्मी कहती हैं कि मेरा बेटा अभी बहुत छोटा था। अब ऊपर वाले पर ही भरोसा है। घर में ही छोटी सी परचून की दुकान चलाने वाली साजिद की अम्मी बताती हैं कि उनके पति मोहम्मद अबरार दिहाड़ी मजदूर हैं।

जौनपुर के उसरौली गांव के 27 वर्षीय अबू हुजैफा की नानी फातिमा से मुलाकात हुई जो गिरफ्तारी के बाद घर आईं। हुजैफा के पिता अकील अहमद घर पर नहीं थे। नानी फातिमा और घर के अंदर से बच्चियों ने बताया कि 26 सितंबर की रात 1 बजे के करीब पुलिस आई, हुजैफा को पूछने लगी। पूरे घर की तलाशी ली। हुजैफा के पिता ने बताया कि वो मिल्लतनगर, शाहगंज रहते हैं तो फिर उनको लेकर पुलिस चली गई। 27 की शाम अकील घर आए। पुलिस वाले पूछ रहे थे कि घर पर कौन आता-जाता था। पूछने पर बताया कि इससे पहले कभी पुलिस नहीं आई।

हुजैफा के तीन भाई, चार बहनें हैं। हुजैफा की पांच साल पहले शादी हुई थी, एक बेटा और एक बेटी है। दो साल से मदरसे में पढ़ाने लगे इसके पहले लखनऊ के नदवा में पढ़ते थे। 4-5 साल नदवा की पढ़ाई की।

उधर, भाकपा-माले के बिहार राज्य सचिव कुणाल ने भारत सरकार द्वारा पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई की निंदा की है। उन्होंने कहा कि सरकार की यह कार्रवाई राज्य सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ उठने वाली आवाजों पर शिकंजा कसने के मकसद से राज्य की एजेंसियों और सरकारी तंत्र का शस्त्रीकरण है।

यह प्रतिबंध जनता के बीच इस्लामोफोबिया फैलाने और मुसलमानों को एक समुदाय के रूप में बदनाम करने का सचेत प्रयास भी है। यह मुसलमानों को सामूहिक रूप से उत्पीड़ित करने के उद्देश्य से पहले से सोची समझी राजनीतिक कार्रवाई है।

एक ओर आज देश में आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों को मुसलमानों के खिलाफ नरसंहार का आह्वान करने और संविधान के मूल्यों के खिलाफ काम करने की खुली छूट हासिल है, वहीं दूसरी ओर पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। यह भेदभावपूर्ण कार्रवाई है।

उनका कहना था कि हाल ही में आरएसएस के एक पूर्णकालिक कार्यकर्ता यशवंत शिंदे ने इस साल अगस्त में 2006 के नांदेड़ बम विस्फोट मामले में एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें आरएसएस और वीएचपी की कई ऐसी बैठकों की चर्चा है जहां पूरे देश में बम विस्फोटों की शृंखला व बम बनाने की ट्रेनिंग की योजना बनाई जाती थी। इसकी जांच की बजाय, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अदालत से यशवंत शिंदे द्वारा उक्त मामले में गवाह के रूप में पेश होने के लिए दायर आवेदन को खारिज करने की ही मांग कर डाली।

उन्होंने कहा कि आज भाजपा सरकार हर प्रकार के विरोध को दबाने के लिए कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 का इस्तेमाल कर रही है। यूएपीए लंबे समय तक हिरासत में रखने और जमानत पाने में कई प्रकार की कठिनाइयों का जरिया बना हुआ है। भाजपा सरकार द्वारा लाए गए कानून उसकी कठोर प्रवृत्ति को इंगित करता है।

आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों के घृणा अभियानों के कारण पहले ही मुस्लिम समुदाय को हाशिये पर धकेल दिया गया है। पीएफआई पर प्रतिबंध की यह ताजा कार्रवाई मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने की दिशा में उठाया गया एक और कदम है।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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