Thursday, March 28, 2024

क्या अब कोविड-19 का इस्तेमाल जनसंख्या घटाने के टूल के तौर पर होने लगा है?

कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। अब तक 80 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि करीब साढ़े चार लाख लोगों की इससे मौत हो चुकी है। अनुमान है कि 5 करोड़ लोगों की मौत कोविड-19 से होगी इसका इलाज आते-आते। अब ये अनुमान है या टारगेट बात इसी पर करुंगा। 

पिछले 8 सालों में इबोला (2014) मार्स-कोव (2012), कोविड-(2019) तीन महामारियां आईं। इसमें सार्स, मार्स और कोविड-19 तो एक ही पैटर्न की बीमारियां हैं। तो क्या सार्स से मार्स-कोव और मार्स-कोव से कोविड-19 तक का सफ़र जानबूझकर ख़तरनाक बनाया गया है? क्या सार्स और मार्स-कोव को जेनेटिकली मॉडीफाई करके इसे इसके वर्तमान स्वरूप तक पहुँचाया गया है।

वुहान से बाहर चीन में कहीं और नहीं फैली पर पूरी दुनिया में फैल गई, कैसे

वैचारिक रूप से कम्युनिस्ट देश होने के चलते चीन पूंजीवाद का स्वाभाविक शत्रु है। यदि किसी तरह ये साबित कर दिया जाए कि चीन ने जानबूझकर पूरी दुनिया को खतरे में डाला है तो चीन पर कई देशों द्वारा प्रतिबंध लगवाकर चीन की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त किया जा सकता है और नई इकनॉमिक पॉवर बनकर अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती देने के चीन के मंसूबे पर पानी फेरा जा सकता है।

अतः शुरू से ही कोविड-19 का सोर्स लगातार वुहान सेट करने की कोशिश की गई, और एक तरह से सेट भी कर दिया गया। पहला मरीज या पहला विस्फोट मिलने का ये आशय तो नहीं होता कि बीमारी का सोर्स वही है। फिर वुहान ही क्यों। दो वजह है। पहला ये कि वुहान में चीन का वायरोलॉजी सेंटर है और दूसरा हुनान सीफूड थोक बाज़ार है। यानि यदि ये सिद्ध हुआ कि कोरोना वाइरस आर्टिफिशियल है तो वुहान वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट में बना है और यदि प्राकृतिक है तो वुहान के सीफूड मार्केट से आया। 

वहीं वुहान में 18 अक्टूबर 2019 से शुरु हुए मिलिट्री वर्ल्ड गेम में 110 देशों के 10 हजार से अधिक लोग जुटे थे और आयोजन के ठीक 6 सप्ताह बाद ही वुहान में कोविड-19 की शुरुआत हुई। 

सबसे बड़ी बात ये है कि कोविड-19 जो वुहान के बाहर चीन में नहीं फैला वो पूरी दुनिया में कैसे फैल गया। दरअसल ये पूरी दुनिया में फैल नहीं गया बल्कि फैलाया गया। सार्स और मार्स-कोव इसलिए ज़्यादा घातक नहीं साबित हुए क्योंकि उनका प्रसार एक साथ पूरी दुनिया में नहीं हो पाया। और पूरी दुनिया की चिकित्सा सुविधाएं उनके खिलाफ़ झोंक दी गईं। 

जबकि कोविड-19 को एक साथ पूरी दुनिया में फैलाया गया। एक साथ पूरी दुनिया में कोविड-19 फैलाने का फायदा ये है कि सारी दुनिया में मेडिकल इक्विपमेंट और चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी हो जाएगी तो इससे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के मरने की संभावना होगी। 2017 के एक आंतरिक पेंटागन प्लान में कोरोना महामारी और चिकित्सा उपकरणों की बड़ी कमी की वार्निंग दी गई थी। तो क्या ये तैयारी तब से ही चल रही थी।

https://www.businessinsider.in/politics/news/an-internal-pentagon-plan-from-2017-warned-of-a-coronavirus-outbreak-and-a-massive-shortage-of-medical-equipment/articleshow/75015452.cms#click=https://t.co/WXMfWOPg8n

अमेरिका ने सेट किया दो से ढाई लाख अमेरिकियों की मौत का टारगेट

1 अप्रैल 2020 को पेंटागन ने फेडरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी (FEMA) द्वारा 1 लाख मिलिट्री ग्रेड बॉडी बैग और 85 रेफ्रीजेरेटड बैग मांगने की पुष्टि की। जबकि व्हाइटहाउस ने कोविड-19 से 2 लाख अमेरिकियों के मरने की आशंका जताई। अब ये आशंका है या टारगेट ये तो व्हाइटहाउस ही बेहतर बता सकता है। 1 अप्रैल 2020 तक अमेरिका में 4770 लोगों की ही कोरोना से मौत हुई थी, अमेरिका के पास 50 बॉडी बैग स्टॉक भी था बावजूद इसके 1 लाख बॉडी बैग का ऑर्डर दिया गया। जबकि अमेरिका में इस तारीख तक संक्रमितों की संख्या 2 लाख 15 हजार थी।

https://twitter.com/PAULAP828/status/1245730577451569153?s=19

21 अप्रैल को डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी द्वारा ई एम ऑयल ट्रांसपोर्ट इन्क को 1 लाख बॉडी बैग (human remains pouches) के लिए 5,140,000 डॉलर का पेमेंट किया गया।

https://www.usaspending.gov/#/award/CONT_AWD_70FB7020C00000011_7022_-NONE-_-NONE-

30 अप्रैल को जब 1 लाख नए बॉडी बैग का ऑर्डर अमेरिकी सरकार द्वारा दिया गया। तब तक सरकार द्वारा 12.1 मिलियन डॉलर का पेमेंट किया गया था।

जबकि उस वक़्त अमेरिका में टेस्टिंग बड़ा इश्यू थी। टेस्टिंग किट की शॉर्टेज के चलते बड़े पैमाने पर टेस्टिंग नहीं हो पा रही थी। 

जुलाई 2019 में महामारी के संबंध में FEMA की वॉर्निंग

फेमा द्वारा जुलाई 2019 में व्हाइट हाउस को लिखे 37-पेजों की रिपोर्ट में “पैंडेमिक सिनेरियो” शीर्षक के अंतर्गत लिखा गया है- “जो राष्ट्र के सामने आने वाले विभिन्न खतरों को देखता है, शीर्षक “महामारी परिदृश्य” के तहत एक नौ-वाक्य है। यह तबाही के एक क्रम का वर्णन करता है, जो कि “इन्फ्लुएंजा वायरस के नए (नोवल) स्ट्रेन” के रूप में एक तबाही प्रकट होगी और पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में फैलकर 30% आबादी को संक्रमित करेगी।

इस परिदृश्य में, “पारंपरिक फ्लू के टीके इस स्ट्रेन के खिलाफ अप्रभावी हैं, और सीडीसी का अनुमान है कि इसके लिए नये टीके के बड़े पैमाने पर उत्पादन में महीनों लग सकते हैं।”

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि “महामारी के चलते, सोशल डिस्टेंसिंग प्रभावी रूप से लागू होगी। सोशल डिस्टेंसिंग के चलते जनोपयोगी सेवाएं, पुलिस, अग्निशमन, सरकार, और अन्य आवश्यक सेवाएं बाधित होंगी और कर्मचारी नदारद होंगे। व्यवसाय बंद हो जाएगा जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर सेवाएं खत्म हो जाएंगी।” 

“लाखों लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत होगी और लाखों लोग बाहर चिकित्सीय इलाज के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे होंगे, अस्पताल जल्द ही खचाखच भर जाएंगे।” 

इसके अलावा सितंबर 2019 में लिखे व्हाइटहाउस आर्थिक परिषद की सलाहकारों की एक रिपोर्ट में इन्फ्लुएंजा महामारी से पांच लाख से ज़्यादा लोगों की मौत और आर्थिक नुकसान का अनुमान लगाया गया था। 

https://www.whitehouse.gov/wp-content/uploads/2019/09/Mitigating-the-Impact-of-Pandemic-Influenza-through-Vaccine-Innovation.pdf

वहीं अक्टूबर 2019 में लिखी गयी एक दूसरी रिपोर्ट में चीन से माइग्रेट करके अमेरिका आने वाली महामारी से 30 प्रतिशत अमेरिकी निवासियों को संक्रमित करने का अनुमान लगाया गया था। 

इसके अलावा 2019 में जनवरी से अगस्त के बीच फेमा और अमेरिका की हेल्थ ह्युमन सर्विस द्वारा मिलकर इन्फ्लुएंजा महामारी के खिलाफ़ प्रतिक्रिया देने की अमेरिका की संघीय सरकार और अमेरिका के 12 राज्यों की क्षमता जांचने के लिए ‘Crimson Contagion’ के कोड-नाम से एक सिम्यलेशन (नकली अभ्यास) भी किया गया था।  

मास्टरमाइंड है बिल गेट्स

वुहान में कोविड-19 का पहला केस आने से ठीक डेढ़ महीने (6 सप्ताह) पहले 18 अक्टूबर 2019 को इवेंट 201 का आयोजन किया गया। ठीक इसी तारीख को यानि 18 अक्टूबर 2019 को ही वुहान शहर में मिलिट्री वर्ल्ड गेम का उद्घाटन और अमेरिका पुरुष टीम का फुटबॉल मैच हुआ।

वहीं 18 अक्टूबर 2019 को ही न्यूयॉर्क में महामारी को लेकर ही इवेंट 201 का आयोजन किया गया। विश्व आर्थिक मंच और बिल की साझेदारी में जॉन्स हॉपकिन्स सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से इसका आयोजन किया था। 

2015 के एक सेमिनार में बिल गेट्स ने कहा था कि न्यूक्लियर वॉर भी देश की जनसंख्या उतना नहीं घटी सकती जितना कि एक वायरस महामारी। उन्होंने कहा था कि एक वायरस महामारी दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी को कम कर सकती है। बता दें कि बिल गेट्स अफ्रीका समेत दुनिया के कई देशों में जनसंख्या नियंत्रण का कार्यक्रम चलाते हैं।

14 मई 2020 को इटली की संसद में पार्लियामेंट मेंबर Sara Cunial (सारा कुनियाल) ने भाषण देते हुए कोविड-19 के बरअक्श बिल गेट्स पर हमला किया। सारा ने कहा है कि WHO के मुख्य फाइनेंसर बिल गेट्स ने वर्ष 2018 में एक महामारी की भविष्यवाणी की थी। जिसकी शुरुआत अक्टूबर 2019 से हम देख रहे हैं।

बिल गेट्स दशकों से निर्जनीकरण (depopulation) और वैश्विक राजनीति को तानाशाही तरीके से कंट्रोल करने पर काम कर रहे हैं। कृषि तकनीक और ऊर्जा पर एकाधिकार प्राप्त करने को लक्ष्य करके। 

 सारा कुनियाल बिल गेट्स के शब्दों को कोट करती हैं – “यदि हम वैक्सीन, प्रजनन और स्वास्थ्य पर अच्छा काम कर सकें तो हम विश्व की 10-15 प्रतिशत आबादी को कम कर सकते हैं” और “केवल जनसंहार ही दुनिया को बचा सकता है (only genocide can save the world)।”

सारा कुनियाल आंकड़ों के हवाले से बताती हैं कि केवल अफ्रीका में वैक्सिनेशन से लाखों स्त्रियों का बंध्याकरण कर दिया गया। भारत में पोलियो महामारी से बचाने के लिए लगाये जाने वाले वैक्सीन से 5 लाख से ज़्यादा बच्चों को लकवाग्रस्त कर दिया गया। जिससे इस बीमारी से ज्यादा इसके वैक्सीन से लोग मरे।

ज़रूरतमंद आबादी को, स्टेरिलाइजेशन मोनसैंटो कंपनी द्वारा डिजाइन किए गए जीएमओ को उदारतापूर्वक दान करके वो हमारे इम्यून सिस्टम को रिप्रोग्राम करने वाले टूल के तौर पर  quantum tatoo और mRNA  वैक्सीन को मान्यता दिलवाने पर विचार कर रहा है।

कोविड-19 पर भारत सरकार का वर्तमान स्टैंड 

भारत सरकार की प्राथमिकता में अब कोरोना नहीं बल्कि विरोधी विचारधारा के लोगों को ठिकाने लगाना और कर्नाटक तथा मध्यप्रदेश की तर्ज़ पर हर राज्य में अपनी सत्ता कायम करना है। जबकि भारत में कोविड-19 संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़कर सवा तीन लाख हो गई है। देश के कई राज्यों में जिस तरह से क्वारंटाइन सेंटर बंद कर दिए गए हैं। मंदिर-मस्जिद जैसी गैर ज़रूरी चीजें खोल दी गई हैं, गैर ज़रूरी इस अर्थ में कि ये बंद भी रहते तो दुनिया का कारोबार इनके बिना न रुकता। शादी-ब्याह, तेरही-बरखी जैसे आयोजनों को मंजूरी दे दी गई है। सार्वजनिक यातायात खोल दिए गए हैं। कौन कहां से आ रहा है कहां जा रहा है इससे सरकार और प्रशासन को अब कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा है। उससे स्पष्ट है कि भारत सरकार ने भी कुछ टारगेट सेट किया है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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