मिट्टी, हवा, पानी, पेड़-पौधे एवं जल के हिस्सों का रंग हूं, मैं उत्तराखंड हूं: मलड़ा

बागेश्वर। उत्तराखंड राज्य के 22वें स्थापना दिवस के मौके पर ओहो रेडियो देहरादून के तृतीय स्थापना वर्ष उमंगोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में “मैं उत्तराखंड हूं सम्मान” से सम्मानित हुए वृक्ष पुरुष किशन सिंह मलड़ा ने कहा कि उत्तराखंड की मिट्टी, हवा, पानी, पेड़-पौधे, व जल के हिस्सों का मैं रंग हूं। मैं उत्तराखंड हूं। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर मलड़ा जी को वृक्ष पुरुष क्यों कहते हैं। दरअसल 2018 में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने उनकी मेहनत और लगन देखकर उन्हें वृक्ष पुरुष के नाम से नवाजा था, इससे पहले मलड़ा को वृक्ष प्रेमी के नाम से जाना जाता था।

प्रकृति के प्रति अपने अलौकिक प्रेम की परिभाषा को मलड़ा जी ने सोचा ही नहीं बल्कि इसे कर दिखाने की हिम्मत भी दिखाई है। अखबारों और न्यूज़ रिपोर्ट की मानें तो मलड़ा जी 7 लाख से भी अधिक पौधे लगा चुके हैं और यह भी कहा जा सकता है कि मलड़ा के लिए हर दिन हरेला त्यौहार की तरह होता है। वो प्रत्येक शुभ अवसर को बिना पौधा रोपे नहीं मनाते हैं।

हालांकि गुजरते वक्त के साथ मलड़ा जी की उम्र भी बढ़ती जा रही है लेकिन उन्होंने उम्र को कभी अपने काम के आड़े नहीं आने दिया। लगभग 60 किलो का वजन शरीर में लिए वो आज भी नौजवानों के माफिक फुर्ती के साथ प्रकृति की सेवा में लगे हुए हैं उनका कहना है कि प्रकृति के प्रति जो पीड़ा उन्होंने अपने बचपन में महसूस की उस पीड़ा को कम करने में वो अपनी सोच से कई गुना ज्यादा सफल रहे हैं।   

मलड़ा जी 36 वर्षों से धरती को हरा-भरा करने की मुहिम में जुटे हैं।

बागेश्वर जिला मुख्यालय के मंडलसेरा निवासी किशन सिंह मलड़ा ने वर्ष 1986 से पर्यावरण संरक्षण की मुहिम छेड़ी थी। वह उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में पौधारोपण कर चुके हैं। मलड़ा न केवल वर्ष भर पौधारोपण करते हैं बल्कि लोगों और विभिन्न संस्थानों को निशुल्क पौधे भी उपलब्ध कराते हैं। पौधारोपण को धरती माता की सेवा मानने वाले मलड़ा का संपूर्ण जीवन पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित हो गया है। उनके समर्पण का असर है कि उनके पास विदेशों से भी शोधार्थी शोध के लिए पहुंचते हैं।

प्रकृति के प्रति उनकी मेहनत देवकी लघु वाटिका के नाम से जानी जाती है जहां विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, जड़ी-बूटियां मौजूद हैं। इस बगीचे में प्रवेश करते ही आपको चारों तरफ हरियाली दिखाई देगी। मलड़ा ने इस बगीचे में बाज, फलियाट, सीलिंग, अखरोट, रुद्राक्ष, अमरूद, आंवला, हरड़, तेजपात, रिंगाल, बेल पत्री व पारिजात जैसे पौधे लगाए हैं इसके अलावा वर्तमान में उनकी नर्सरी में 60 हजार से भी अधिक पौधे तैयार किए जा चुके हैं।

हालांकि शुरुआत में उन्हें परिवार व ग्रामीणों का उतना सहयोग तो नहीं मिला लेकिन धीरे-धीरे जब मलड़ा अपने मिशन में आगे बढ़ते रहे वैसे-वैसे लोग उनसे जुड़ते गए और आज हजारों की तादाद में लोग उनसे जुड़े हुए हैं और उनके प्रकृति के प्रति प्रेम को देखकर कई लोग इन तरीकों को अपना रहे हैं। यहां तक कि अपने घरों में बगीचे बनाकर हरियाली फैलाने में सहयोग दे रहे हैं। यही नहीं मलड़ा ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में शहीद हुए आंदोलनकारियों की स्मृति में शहीद स्मारक वन तैयार किया है और धीरे-धीरे इस वन के विस्तार का भी प्रयास कर रहे हैं। बागेश्वर जनपद में खास तौर पर कोई ऐसी जगह छूटी नहीं है जहां पर मलड़ा ने पौधारोपण ना किया हो।

यही कारण है कि जिले के प्रबुद्ध नागरिकों और संगठनों ने वृक्ष पुरुष को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए मुहिम छेड़ी थी। सोशल मीडिया पर स्ट्रॉ पोल डॉट कॉम में वृक्ष पुरुष मलड़ा को पद्मश्री पुरस्कार दिलाने के लिए वोटिंग कराई गई थी।

सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अंतरराष्ट्रीय सचिव/उत्तराखंड अधिवक्ता महासंघ के अध्यक्ष एडवोकेट गोविंद सिंह भंडारी ने मलड़ा को पद्मश्री पुरस्कार का असली हकदार बताते हुए कहा है कि इसके लिए जिला प्रशासन के माध्यम से राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

(बागेश्वर से लता प्रसाद की रिपोर्ट।)

लता प्रसाद
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