Friday, April 26, 2024

कोरोना के साये में जलवायु सम्मेलन में रिकार्ड भागीदारी

जलवायु सम्मेलन कोरोना महामारी की छाया से बाहर नहीं निकल पाया है। सम्मेलन स्थल के बाहर जिन लोगों की भीड़ इकट्ठा हो रही है, उनमें सम्मेलन को लेकर प्रतिवादी आवाज उठाने वाले जलवायु कार्यकर्ताओं के अलावा सम्मेलन में प्रवेश चाहने वाले प्रतिनिधियों की कतारें भी खड़ी हैं। प्रवेश द्वार पर कोरोना का टीका का प्रमाणपत्र और दैनिक कोरोना जांच की रिपोर्ट दिखाने में समय लगने की वजह से इन लोगों की लंबी कतार लग जा रही है। सम्मेलन में शामिल होने के लिए कोरोना टीका की दोनों खुराक लेने के अलावा रोजाना कोरोना की जांच कराना अनिवार्य है। अगर दैनिक जांच कराए बिना कोई पहुंच गया तो उसकी जांच करने की व्यवस्था भी वहां है।

पृथ्वी की खराब होती हालत से सब कोई चिंतित है, जाहिर है कि नई महामारी कोरोना की छाया से कोई बाहर नहीं निकल पाया है। सभागारों में बैठने के सीमित स्थान, थोड़े अंतराल पर सेनेटाइजेशन, मास्क और फेसशील्ड लगाए लोग-ग्लासगो में जलवायु सम्मेलन का यही दृश्य है। हालांकि कोरोना-महामारी की छाया के बावजूद जलवायु सम्मेलन में पिछले सम्मेलनों से अधिक लोग आए हैं। पंजीकरण सूची में चालीस हजार से अधिक प्रविष्टियां हैं। इसके पहले पेरिस सम्मेलन 2015 में सबसे ज्यादा 36 हजार लोग आए थे। क्योटो-1997 और कोपेनहगेन 2009 में हुए सम्मेलन भी बड़े थे और उनमें भी कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष आए थे। पर ग्लासगो ने सबको पीछे छोड़ दिया है, यह बताता है कि पृथ्वी व जलवायु की स्थिति को लेकर दुनिया के लोगों की चिंता कितनी बढ़ी हुई है और इस सम्मेलन से लोगों को कितनी अपेक्षाएं हैं।

सम्मेलन में ढेर सारे भागीदार आते-जाते रहे हैं, खासकर विभिन्न देशों के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और राष्ट्राध्यक्ष शुरुआती दिनों के बाद वापस लौट गए हैं, अब देशों के नामित वार्ताकारों में बातचीत होगी। सम्मेलन के दूसरे सप्ताह में शायद ही कोई राष्ट्राध्यक्ष उपस्थित रहे। लेकिन सम्मेलन में दस से 15 हजार लोगों की उपस्थिति लगातार रहेगी जिनमें सरकारी प्रतिनिधियों के अलावा कारपोरेट जगत और गैर सरकारी संगठनों व नागरिक समाज के लोग शामिल होंगे।

आयोजकों ने आरंभ में ही स्पष्ट कर दिया था कि सम्मेलन में केवल वही लोग आएं जिनका पूर्ण टीकाकरण हो गया है। जिन देशों में टीका की आपूर्ति कम है, वहां इसे खास तौर पर भेजा गया। भागीदारों को सभास्थल पर जाने के पहले प्रतिदिन कोरोना की जांच कराना अनिवार्य है। ऐसी व्यवस्था की गई है कि व्यक्ति स्वयं भी जांच कर सकता है। इसमें 15 मिनट के भीतर जांच का परिणाम मिल जाता है। फिर भी कोई बिना जांच आयोजन स्थल पर पहुंच गया तो वहां जांच करानी होती है। सभागारों में अलग-अलग बैठने की व्यवस्था की गई है। सबसे बड़े कमरे में भी केवल 150 कुर्सियां लगी हैं। इसका मतलब है कि किसी भी बैठक में एक साथ सभी देश हिस्सा नहीं ले सकते। उन्हें अपनी दिलचस्पी के अनुसार चुनाव करना होता है और आयोजकों को बताना होता है। बातचीत के लिए विषयवार समूह बन गए हैं।

इस सभास्थल के बाहर एकत्र होने वाली भीड़ के हिस्सा वे नौजवान भी हैं जो विश्व-नेताओं से अपने भविष्य की हिफाजत की गुहार लगाते हुए रैली निकाल रहे हैं। सम्मेलन में पहला सप्ताह तो सरकारी भाषणों का था। उनके समाप्त होते-होते गैर-सरकारी प्रतिनिधियों ने भी भविष्य को लेकर चिंता जताना शुरू कर दिया। नागरिक समाज ने नेताओं के भाषणों में कोयला का इस्तेमाल एकदम बंद करने, मीथेन समेत सभी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन समाप्त करने और वनों की कटाई बंद करने की मांगें प्रमुख थीं।

अमेरीका के पूर्व उप-राष्ट्रपति अलगोर भी इन लोगों में शामिल हैं जो नागरिक समाज की आवाज बने हैं। अलगोर को 2007 में जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरुकता फैलाने के एवज में नोबल शांति पुरस्कार का हिस्सेदार बनाया गया था। उन्होंने कहा कि दुनिया में प्रगति हुई है, पर वैसी नहीं हुई जैसा हम चाहते हैं। स्विट्जर लैंड की किशोरी ग्रेटा थन्बर्ग ने सभागार के बाहर सड़कों पर निकली रैली में हिस्सा लिया। एक प्रतिरोधकारी ने जलवायु परिवर्तन को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक विनाशकारी परिघटना बताया।

सम्मेलन में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती के बारे में विभिन्न देशों से सकारात्मक पहल की अपेक्षा की जा रही है ताकि वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोका जा सके। तापमान में अभी ही जितनी बढ़ोत्तरी हो गई है, उससे तेज आंधी-तूफान, प्रचंड लू, सुखाड़ और अत्यधिक बाढ़ आने लगे हैं। इन्हीं परिस्थितियों में संयुक्त राष्ट्र संघ चाहता है कि विभिन्न देश उत्सर्जन के 1990 के स्तर से आधा करें और 2050 तक नेट-जीरो के स्तर को प्राप्त करने की व्यवस्था करें। इसका अर्थ है कि देश उससे अधिक ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन नहीं करेगा जितने का अवशोषण कर सके।

(अमरनाथ वरिष्ठ पत्रकार होने के साथ जलवायु और पर्यावरण से जुड़े विषयों के जानकार हैं। आप आजकल पटना में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles