Thursday, March 28, 2024

खोरी गांव के समर्थन में जंतर-मंतर प्रदर्शन करने पहुंचे हजारों लोगों को दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार

नई दिल्ली। आज गांव को तोड़ने के फैसले के ख़िलाफ़ खोरी गांव से प्रदर्शन करने पहुंचे पांच-छह हजार लोगों को दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। गौरतलब है कि खोरी गांव को 6 हफ्ते के अन्दर तोड़ने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने 7 जून को सुनाया था, जिसमें 10000 से भी ज्यादा परिवार व लगभग 1 लाख 40 हज़ार लोग दशकों से रह रहे थे। तबसे से ही लोग यहां पर लगातर इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं। 

हर रोज गांव के लोगों को पुलिस उठा कर पुलिस स्टेशन में ले जा कर पीटती है और अनगिनत मुकदमों में फंसा रही है। गांव के लोगों का पानी, बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाओं की सप्लाई एकदम बंद कर दी गई है। इस तरह बिल्कुल अमानवीय व्यवहार प्रशासन की तरफ से बढ़ रहा है। गांव में बहुत सी मौतें सिर्फ पानी ना मिलने की वजह से हुई हैं। ये सब के चलते 10 से भी ज्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली। 

अभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार 6 हफ़्तों में से 4 हफ्ते निकल जाने के बाद लोगों के अंदर आशियाने टूटने और मौत का खौफ़ बढ़ता जा रहा है। जब प्रशासन बुलडोजर और क्रेन लेकर गांव पहुंच रहा है तो लोग घर टूटने से पहले खुद बुलडोजर के सामने आकर मरने के लिए तैयार हैं। लोगों के पास और कोई रास्ता नहीं है।

जनता के सवालों पर उनके द्वारा वोट देकर चुने हुए मंत्री और सरकार भी चुप्पी साधे हुए है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों को बेघर करने के लिए ये दलील दी जा रही है कि यह वन विभाग के अधिकार के अंदर आ रही अरावली की ज़मीन है, जिसपर इन लोगों की अवैध रिहायश है। जबकि इसके साथ ही 400 एकड़ ज़मीन रामदेव को दी जा रही है, बक्सवाहा जंगल में हीरा खदान के लिए 2 लाख पेड़ काटने का फैसला लिया जा रहा है।

ऐसे फैसले किए जा रहे हैं, जो हमारे देश के लोगों और पर्यावरण को ताक पर रखते हुए, साम्राज्यवादी बाहरी कंपनियों को लुटाने के किए जा रहे हैं। दूसरी तरफ इस देश के लोगों से ही यहां की जमीन पर रहने का अधिकार छीना जा रहा है। 

क्या यही न्याय है? ये देश का विकास है? अगर ये न्याय नहीं है तो इसके खिलाफ़ इकट्ठा हो रहे लोग कैसे ग़लत हैं ?

खोरी मजदूर आवास संघर्ष समिति ने आज पुलिस द्वारा अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे खोरी के लोगों को गिरफ्तार किए जाने का विरोध करते हुये निम्न मांगे सरकार के सामने रखी है-

1.देश की ज़मीन बाहरी कंपनियों को बेचने कि बजाय वहां के लोगों को दी जाए उसपर रहने का अधिकार दिया जाए। 

2. खोरी को तोड़ने के फ़ैसले पर विचार करके लोगों के पक्ष में फैसला लिया जाए। 

3. तोड़े गए घरों के लिए उचित मुआवज़ा दिया जाये और इस दौरान आत्महत्या के द्वारा जितनी जानें गईं है उनके जिम्मेदार अधिकारियों को सजा दी जाए।

4. तुरंत खोरी में अमानवीय तरह से बन्द कि गई बिजली, पानी और बुनियादी चीजों को सप्लाई बहाल की जाए।

(सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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