आदिवासी युवक की हत्या मामले में सुरक्षा बलों के खिलाफ कार्रवाई न होने पर सैकड़ों लोगों ने किया लातेहार में प्रदर्शन

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12 जून, 2021 को पिरी गाँव (गारू, लातेहार) के आदिवासियों पर सुरक्षा बलों द्वारा गोलीबारी, ब्रम्हदेव सिंह की गोली से हत्या और सरकार की निष्क्रियता के विरुद्ध 31 अगस्त, 2021 को पिरी व आसपास के गावों के सैंकड़ों ग्रामीणों व विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने लातेहार ज़िला मुख्यालय में विरोध प्रदर्शन किया। धरना का आयोजन पिरी ग्राम सभा व निम्न संगठनों द्वारा किया गया था – अखिल भारतीय आदिवासी महासभा, अखिल झारखंड खरवार जनजाति विकास परिषद, झारखंड जनाधिकार महासभा व संयुक्त ग्राम सभा (लातेहार, पलामू, गढ़वा)। धरना में कई जन संगठनों व राजनैतिक दल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

12 जून, 2021 को पिरी के ब्रम्हदेव सिंह समेत कई आदिवासी पुरुष नेम सरहुल मनाने की तैयारी के अंतर्गत शिकार के लिए गाँव से निकले ही थे कि उन पर जंगल किनारे से सुरक्षा बलों ने गोली चलानी शुरू कर दी। उन्होंने हाथ उठा कर चिल्लाया कि वे आम जनता हैं, पार्टी (माओवादी) नहीं हैं और गोली न चलाने का अनुरोध किया। युवकों के पास पारंपरिक भरटुआ बंदूक थी जिसका इस्तेमाल ग्रामीण छोटे जानवरों के शिकार के लिए करते है।

ग्रामीणों ने गोली नहीं चलायी थी। लेकिन सुरक्षा बल की ओर से गोलियां चलती रहीं एवं दिनानाथ सिंह के हाथ में गोली लगी और ब्रम्हदेव सिंह की गोली से मौत हो गयी। पहली गोली लगने के बाद ब्रम्हदेव को सुरक्षा बलों द्वारा थोड़ी दूर ले जाकर फिर से गोली मार के मौत सुनिश्चित की गयी। दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाय पुलिस ने मृत ब्रम्हदेव समेत छः युवकों पर ही विभिन्न धाराओं के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज कर दी है। साथ ही, प्राथमिकी में पुलिस ने घटना की गलत जानकारी लिखी है।

हालाँकि ब्रम्हदेव की पत्नी जीरामनी देवी व ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय प्रशासन व पुलिस को आवेदन देकर ब्रम्हदेव की हत्या के लिए ज़िम्मेदार सुरक्षा बलों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है, लेकिन आज तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है।

धरने की शुरुआत में लोगों ने मृत ब्रम्हदेव सिंह को याद करते हुए एक मिनट का मौन रखा। धरने को अनेक लोगों ने संबोधित किया। धरने के दौरान लोगों ने नारे लगाए और इस संघर्ष को मंज़िल तक पहुंचाने का संकल्प लिया।

धरने के अंत में  लोगों ने मुख्यमंत्री को संबोधित संलग्न मांग पत्र उपायुक्त को दिया व निम्न मांग की:

• ब्रम्हदेव सिंह की हत्या के लिए ज़िम्मेवार सुरक्षा बल के जवानों व पदाधिकारियों के विरुद्ध जीरामनी देवी के आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज की जाए एवं दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

• पुलिस द्वारा ब्रम्हदेव समेत छः आदिवासियों पर दर्ज प्राथमिकी को रद्द किया जाए। गलत बयान व प्राथमिकी दर्ज करने के लिए स्थानीय पुलिस व वरीय पदाधिकारियों पर प्रशासनिक कार्रवाई की जाए।

• जीरामनी देवी को कम-से-कम 10 लाख रु का मुआवज़ा व सरकारी नौकरी दी जाए एवं सरकार उनके 2 साल के बच्चे की पढ़ाई और परवरिश की जिम्मेवारी ले। अन्य पाँचों पीड़ितों को पुलिस द्वारा प्रताणना का मुआवज़ा मिले।

• नक्सल विरोधी अभियानों की आड़ में सुरक्षा बलों द्वारा लोगों को परेशान न किया जाए। किसी भी गाँव के सीमा में सर्च अभियान चलाने से पहले पांचवीं अनुसूची क्षेत्र ग्राम सभा व पारंपरिक ग्राम प्रधानों  की सहमति ली जाए। स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बलों को आदिवासी भाषा, रीति-रिवाज, संस्कृति और उनके जीवन-मूल्यों के बारे में प्रशिक्षित किया जाय और संवेदनशील बनाया जाय।

(स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह की झारखंड से रिपोर्ट।)

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