चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में नई कैबिनेट के गठन के दूसरे दिन नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। आज दोपहर नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया। कांग्रेस अध्यक्ष को भेजी अपनी चिट्ठी में सिद्धू ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में गिरावट समझौते से शुरू होती है, मैं पंजाब के भविष्य को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता हूं।इसीलिए मैं पंजाब प्रदेश अध्यक्ष के पद से तुरंत इस्तीफा देता हूं।
नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे पर पूर्व मुख्यमंत्री व बाग़ी नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी ट्वीट करके कहा है कि – “मैंने पहले ही कहा था कि वो एक स्थिर आदमी नहीं हैं, बॉर्डर से जुड़े पंजाब जैसे राज्य के लिए बिल्कुल फिट नहीं हैं।”
सिद्धू के इस्तीफे के पीछे जो मुख्य वजह उभरकर सामने आ रही है वह पंजाब सरकार के नये कैबिनेटमें नवजोत सिंह सिद्धू का नहीं चल पाना बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री चरण सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली कैबिनेट का विस्तार कांग्रेस आलाकमान ने पूरी तरह से अपनी रणनीति के तहत किया है। संभवतः कैबिनेट विस्तार में अपनी न चलने से नवजोत सिंह सिद्धू नाराज़ चल रहे थे।बता दें कि इसी साल 18 जुलाई 2021 को नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था। जिसके बाद से ही सिद्धू मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच वर्चस्व की लड़ाई जारी थी। 19 सितंबर 2021 को कैप्टन अमरिंदर सिंह का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और 21 सितंबर को चरण सिंह चन्नी को नया मुख्यमंत्री बनाया गया। उस मौके पर पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने सिद्धू को आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री मैटेरियल मानते हुये कहा था कि सिद्धू अगले चुनाव में सीएम पद का चेहरा होंगे। इस पूरे घटनाक्रम को सिद्धू की शह और अमरिंदर सिंह की मात के तौर पर देखा जा रहा था। इस्तीफा देने के बाद से ही कैप्टन अमरिंदर सिंह खुलकर नवजोत सिंह सिद्धू के ख़िलाफ़ आ गये थे।
सिद्धू के करीबी नेताओं को नहीं मिली जगह
सिद्धू के नाराज़गी के मुख्य कारणों में राणा गुरजीत सिंह को नवजोत सिंह सिद्धू के विरोध के बावजूद मंत्री बनाना, सुखजिंदर रंधावा को गृह विभाग देना, एपीएस देयोल को एडवोकेट जनरल बनाना, सिद्धू के क़रीबी कुलजीत नागरा को मंत्रिमंडल में शामिल न करना, और नये मंत्रिमंडल के गठन ओर मंत्रियों के पोर्टफोलियो बंटवारे में अपनी राय न लिया जाना शामिल है।
दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के इलाके से मदन लाल जलालपुर को कैबिनेट में शामिल करवाना चाहते थे, लेकिन हाईकमान इस पर राजी नहीं हुआ। वहीं कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने जिन लोगों को कैबिनेट में जगह नहीं मिले उन लोगों को सांत्वना देने की कोशिश करते हुये कहा था कि-“जिन्हें मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिली है उन्हें सरकारी संस्थाओं और संगठन में स्थान दिया जाएगा।
राहुल गांधी के चहेतों को मिली कैबिनेट में जगह
26 सितंबर को हुये मंत्रीमंडल विस्तार राहुल गांधी ने न तो मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की ज्यादा चलने दी है और न ही नवजोत सिद्धू की। पंजाब कैबिनेट में राहुल गांधी अपनी यूथ ब्रिगेड को एंट्री कराने में सफल रहे । विजय इंद्र सिंगला, भारत भूषण आशु, अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, कुलजीत नागरा ये सभी वह चेहरे हैं जो राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं। चरणजीत सिंह चन्नी के मंत्रिमंडल की 18 सदस्यी टीम में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में शामिल रहे आठ मंत्री चन्नी कैबिनेट में अपनी जगह बनाने में सफल रहे जबकि कैप्टन के करीबी पांच मंत्रियों की छुट्टी कर दी गई। जबकि सात नए चेहरों को मंत्रीमंडल में शामिल किया गया। इनमें रणदीप सिंह नाभा, राजकुमार वेरका, संगत सिंह गिलजियां, परगट सिंह, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और गुरकीरत सिंह कोटली नए चेहरे के तौर पर शामिल किए गए।जबकि पंजाब में सबसे वरिष्ठ मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा हिंदू चेहरा व छह बार के विधायक हैं और हाईकमान के करीबियों में और सरकार के संकट मोचक माने जाते हैं। वहीं मनप्रीत बादल पांच बार के विधायक हैं और राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं। राणा गुरजीत सिंह की 2018 में अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद वापसी हुई है, मंत्रिमंडल में उनके प्रवेश का विरोध हो रहा था। इसके बावजूद राहुल ने उन्हें तवज्जो देकर सीधा संदेश दिया कि अब पंजाब में कांग्रेस हाईकमान के मनमुताबिक फैसले होंगे।