Saturday, April 27, 2024

मालेगांव ब्लास्ट केसः कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा समेत 7 लोगों पर आतंकी साजिश रचने का आरोप तय

जनचौक ब्यूरो

नई दिल्ली/मुंबई। मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी रहे लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित की ओर से दायर की गई याचिका को एनआईए की विशेष अदालत ने खारिज कर दिया है। कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा समेत सात आरोपियों पर आरोप तय किए गए हैं। इस मामले में सातों आरोपियों पर आतंकवाद की साजिश रचने समेत हत्या और अन्य अपराध का आरोप दर्ज किया गया है। सभी आरोपियों पर गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए) और आईपीसी की कई धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा।

इस मामले में अगली सुनवाई दो नवंबर को होगी। फैसला सुनाते वक्त न्यायाधीश वीएस पडलकर ने कहा कि सभी आरोपियों पर अभिनव भारत संस्था बनाने और 2008 में मालेगांव धमाका करने का आरोप तय किया जाता है। मामले में पुरोहित के अलावा अन्य आरोपियों में प्रज्ञा सिंह ठाकुर, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी और सुधाकर चतुर्वेदी शामिल हैं।

कोर्ट के फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि इससे पहले उन्हें एनआईए ने क्लीन चिट दे दी थी। अब उन पर आरोप तय किए गए हैं। उन्होंने इस मामले को अपने खिलाफ कांग्रेस की साजिश बताया। उनका कहना था कि वो खुद को निर्दोष साबित करने को लेकर आश्वस्त हैं।क्योंकि सत्य हमेशा जीतता है।

आपको बता दें कि उत्तर महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितम्बर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधी विस्फोटक सामग्री में विस्फोट हो गया था, जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे।

मामले की गंभीरता को देखते हुए मालेगांव ब्लास्ट मामले की जांच सरकार ने एटीएस को सौंप दी थी । जांच में ‘अभिनव भारत’ संस्था का नाम सामने आया था। 24 अक्टूबर, 2008 को इस मामले में स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह को गिरफ्तार किया गया था। उस समय तीन अन्य आरोपी फरार दिखाए गए थे। बाद में यह जांच एनआईए को सौंप दी गई थी। जुलाई, 2009 में स्पेशल कोर्ट ने सभी आरोपियों पर मकोका लगा दिया था। जुलाई 2010 में बॉम्बे हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में सभी आरोपियों पर मकोका जारी रखने का फैसला सुनाया गया था।

एनआईए ने 31 मई 2016 को नई चार्जशीट फाइल की थी जिसमें रमेश, शिवाजी उपाध्याय, समीर, शरद कुलकर्णी, अजय राहिरकर, राकेश धावड़े, जगदीश महात्रे, कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी उर्फ स्वामी दयानंद पांडे, सुधाकर चतुर्वेदी, रामचंद्र कलसांगरा और संदीप डांगे के खिलाफ पुख्ता सबूत होने की बात कही गई थी।

इसके अलावा साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिव नारायण कलसांगरा, श्याम भवरलाल साहू, प्रवीण टक्कलकी, लोकेश शर्मा, धानसिंह चौधरी के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक पुख्ता सबूत नहीं होने का दावा किया था।

मई 2016 में कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कई अन्य आरोपियों ने खुद को इस मामले से बरी करने की याचिका दाखिल की थी। 25 अप्रैल, 2017 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को सशर्त जमानत दे दी थी। 23 अगस्त 2017 को कर्नल पुरोहित को भी जमानत पर छोड़ दिया गया था। 27 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलट कर मकोका को हटाने का निर्देश दिया था।

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