Tuesday, April 23, 2024

सीरिया में रूस और अमेरिकी फ़ौजें आमने-सामने

वाशिंगटनः सीरिया पर अमेरिकी मिसाइल हमले के साथ अमेरिका-रूस संबंध एक खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। क्रेमलिन ने ट्रंप प्रशासन के बल इस्तेमाल करने के फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की है साथ ही दोनों के बीच सूचनाओं के साझे करने के एक समझौते को रद्द कर दिया है। जिसमें किसी भी हवाई कार्यक्रम से पहले एक दूसरे को सूचना देने का प्रावधान था। जिससे किसी दुर्घटना की स्थिति से बचा जा सके।

 

उम्मीदों पर पानी

इसके साथ ही ट्रंप के रूस के साथ रिश्तों को ठीक करने की उम्मीदों पर भी पानी फिरता दिख रहा है। दोनों पक्षों के बीच शुक्रवार को कूटनीतिक स्तर पर कड़े शब्दों का इस्तेमाल हुआ है। पिछले कुछ सालों में दोनों के बीच इसे सबसे नाज़ुक और बुरे वक्त के तौर पर देखा जा रहा है।

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दफ्तर ने सीरिया पर मिसाइल हमले को रूस-अमेरिकी रिश्तों के लिए एक बड़ा झटका बताया है। जबकि ट्रंप प्रशासन ने सीरियाई नागरिकों पर हुए केमिकल हमले के लिए रूस को भी जिम्मेदार ठहाराया है। उसका कहना है कि रूस को इसकी जिम्मेदारी लेनी ही होगी। अमेरिका का कहना है कि मिसाइल हमला केमिकल हमले के जवाब में किया गया है।

हवाई अड्डे को बनाया निशाना

इस हमले ने रूस और अमेरिकी बलों के एक साथ काम करने की संभावनाओं को बेहद क्षीण कर दिया है। जिसमें अमेरिकी बल रूसी फौजों के साथ सीधे किसी लड़ाई में जाने से बचते थे। बताया जा रहा है कि अमेरिका ने सीरिया के जिस हवाई अड्डे पर हमला किया है उस पर रूस के कम से कम 100 सैनिक तैनात थे। जिन्हें सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार और उसकी संस्थाओं की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है।

नहीं दी पूर्व चेतावनी

एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि हमले से केवल 60 से 90 मिनट पहले रूस को सूचना दी गई थी। साथ ही उन्हें बचाव या फिर किसी तरह के शेल्टर लेने की भी सलाह नहीं दी गई थी। हालांकि रूस ने सीरिया में अमेरिकी मिसाइलों के खिलाफ कोई वायु रक्षा प्रणाली की तैनाती नहीं की थी लेकिन हमले के बाद उसने अपनी सैनिक ताकत से उसका बचाव किया। रूस के रक्षामंत्री सरजेई के शोइगू ने कहा कि रूस सीरिया में अपनी वायु रक्षा प्रणाली को और मजबूत करेगा।

समझौते के उल्लंघन का आरोप

अमेरिकी अधिकारी ने रूस पर 2013 में सीरिया के साथ हुए उस समझौते को नहीं लागू करवा पाने का आरोप लगाया जिसमें रासायनिक हथियारों को खत्म करने की बात शामिल थी। विदेश मंत्री रेक्स डब्ल्यू टिलर्सन ने कहा कि ‘निश्चित तौर पर रूस 2013 के उस समझौते को लागू करवाने में नाकाम रहा है। ऐसे में या तो रूस ने हीलाहवाली की या फिर वो समझौते को लागू करवाने में ही सक्षम नहीं है’।

सीरिया के पास नहीं है रासायनिक हथियार

जबकि रूस ने सारिया के पास किसी तरह के रासायनिक हथियार होने की बात से इंकार किया है, जिसके मंगलवार को इदलिब सूबे में इस्तेमाल करने की बात की जा रही है जिसमें 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी थी। अमेरिका समेत पश्चिमी देश इस हमले में रासायनिक हथियार इस्तेमाल किए जाने की बात कर रहे हैं। मास्को ने इसे असद सरकार पर हमले के लिए बहाना करार दिया है।

पुतिन के प्रवक्ता दमित्री एस पेस्कोव ने कहा है कि ‘सीरियाई सेना के पास कोई रासायनिक हथियार नहीं है’। रूस ने मिसाइल हमले को अंतरराष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन करार देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपातकाल बैठक बुलाने की मांग की है।

सीरिया ने अपमानजनक करार दिया

सीरिया ने शुक्रवार को अमेरिकी हमले की निंदा करते हुए उसे अपमानजनक कार्रवाई करार दिया है। असद के दफ्तर से जारी एक बयान में कहा गया है कि क्रूज मिसाइल हमला एक झूठे प्रचार अभियान का नतीजा है। सारिया ने किसी भी तरह के रासायनिक हथियार होने की बात से इंकार किया है। अमेरिकी क्रूज मिसाइल से अल शायरात एयरफील्ड पर हमला किया गया और उसने मैदान में मौजूद सीरियाई लड़ाकू विमानों और आधारभूत ढांचे को अपना निशाना बनाया।

अमेरिकी अधिकारियों का कहना था कि उसी हवाई अड्डे से रासायनिक हथियारों के हमलों को अंजाम दिया गया था। सीरियाई सेना का कहना है कि क्रूज हमले में 6 लोगों की मौत हुई है। रूसी सेना के एक प्रवक्ता ने अमेरिकी हमले को बेहद अप्रभावी करार दिया। उनका कहना था कि 59 मिसाइलों में से केवल 23 निशाने पर बैठीं।

चीनी राष्ट्रपति हैं अमेरिकी दौर पर

अमेरिका ने ये हमला उस समय किया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात होने जा रही है। दोनों देशों के बीच रिश्तों में इसका क्या असर पड़ेगा ये भी देखने की बात होगी। खास बात ये है कि इस पूरे हमले की योजना 48 घंटे पहले फ्लोरिडा के टाम्पा में अमेरिकी सेंट्रल कमांड के द्वारा तैयार की गयी। जहां राष्ट्रपति ट्रंप अपने मेहमान और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ बैठक के लिए गए हैं।

साभारः न्यूयॉर्क टाइम्स

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