नई दिल्ली। पहलू खान लिंचिंग मामले में अलवर स्थित एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सभी 6 आरोपियों को निर्दोष करार देकर छोड़ दिया है। कोर्ट ने उन्हें संदेह का लाभ देते हुए यह फैसला सुनाया। इस मामले में तीन दूसरे आरोपियों पर अभी फैसला होना बाकी है। खास बात ये है कि ये सभी नाबालिग हैं और उनका केस जुवनाइल कोर्ट में चल रहा है। राजस्थान सरकार ने कहा है कि वह फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देगी।
खान की अप्रैल 2017 में उस समय हत्या कर दी गयी थी जब वह जयपुर-दिल्ली हाईवे पर गाय लेकर अपने गांव जा रहे थे। तभी कथित गौरक्षकों ने उन पर हमला बोल दिया। यह घटना बहरोर के पास हुई थी। 55 वर्षीय डेयरी फार्मर पहलू हरियाणा के नूह के रहने वाले थे और गाय खरीद कर वहीं अपने घर ले जा रहे थे। गायों को उन्होंने जयपुर के पशु मेले से खरीदा था। गौरक्षकों के समूह ने उन पर गायों की तस्करी का आरोप लगाते हुए हमला कर दिया था। जबकि उन्होंने गायों की खरीद का पेपर दिखाया बावजूद इसके भीड़ ने उनकी एक नहीं सुनी। और पीट-पीट कर उन्हें अधमरा कर दिया। घटना के दो दिन बाद उनकी एक निजी अस्पताल में मौत हो गयी।
इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से आई रिपोर्ट के मुताबिक खान के परिवार को कानूनी सहायता देने वाले कासिम खान ने कहा कि “कोर्ट ने आज उन सभी छह आरोपियों को छोड़ दिया जिन पर पहलू खान की हत्या का आरोप था।”
विपिन यादव, रविंद्र कुमार, कालूराम, दयाराम, योगेश कुमार उर्फ धोलिया और भीम राठी को वीडियो के आधार पर गिरफ्तार किया गया था जो पूरे देश में घटना के बाद वायरल हो गया था। दोनों पक्षों की जिरह 7 अगस्त को पूरी हो गयी थी।
आपको बता दें कि पुलिस ने पहलू खान के खिलाफ गायों की स्मगलिंग का केस दर्ज कर दिया था उसके द्वारा पेश चार्जशीट में खान का नाम शामिल था। बाद में इसको लेकर जब बवाल हुआ तो राजस्थान के मुख्यमंत्री ने उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया। उनका कहना था कि यह सब कुछ 2017-18 के दौरान हुआ जब सूबे में बीजेपी की सरकार थी।
दिलचस्प बात यह है कि बहरोर पुलिस स्टेशन में कुल सात एफआईआर दर्ज हुए थे। लिंचिंग मामले में एक एफआईआर था और बाकी छह पशुओं के स्मगलिंग के मामले में दर्ज किया गया था। इस मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था और दो नाबालिग भी हिरासत में लिए गए थे। इनके खिलाफ बहरोर में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट में 25 फरवरी को चार्जशीट पेश की गयी थी।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक राजस्थान के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी राजीव स्वरूप ने कहा है कि सरकार फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देगी। एडिशनल पब्लिक प्रासीक्यूटर योगेंद्र खटाना ने भी इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि फैसले का पूरा अध्ययन करने के बाद उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी।