Tuesday, April 16, 2024

ओबीसी आरक्षण के बिना करवाया जाए यूपी में निकाय का चुनाव : इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

यूपी निकाय चुनाव को लेकर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा फैसला दिया है।अदालत ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि इस बार बगैर आरक्षण के निकाय चुनाव करवाए जाएं।. अदालत का कहना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्धारित ट्रिपल टेस्‍ट ना हो तब तक आरक्षण को लागू नहीं किया जाए।. हाईकोर्ट ने 2017 के ओबीसी रैपिड सर्वे को नकार दिया है।

न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने मंगलवार को यह निर्णय ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनाया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार को बड़ा झटका देते हुए नगर निकाय चुनाव के लिए जारी ओबीसी आरक्षण के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने साथ ही निकायों में प्रशासक नियुक्ति के शासनादेश को भी निरस्त कर दिया है और कहा है कि बिना ओबीसी आरक्षण निर्धारण के ही चुनाव कराए जाएं।

हाईकोर्ट ने साफ किया है कि बिना ट्रिपल टेस्ट/शर्तों के ओबीसी आरक्षण तय नहीं किया जा सकता। और ट्रिपल टेस्ट/शर्तों को पूरा करने में काफी समय लगेगा, ऐसे में हम इंतजार नहीं कर सकते। भारतीय संविधान में निहित संवैधानिक जनादेश के कारण निर्वाचित नगर निकायों के गठन में देरी नहीं की जा सकती है। समाज के शासन के लोकतांत्रिक चरित्र को मजबूत करने के लिए चुनाव जल्द से जल्द हों, ये जरूरी है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शहरी विकास विभाग में धारा 9-ए(5)(3) के तहत 5 दिसंबर 2022 को जारी अधिसूचना निरस्त की जाती है। इस अधिसूचना के रद्द हो जाने से हाल ही में जो सीटों को लेकर बदलाव सामने आया था, वो वापस हो गया है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकार की तरफ से 12 दिसंबर 2022 को जो शासनादेश जारी किया गया था कि निकायों जहां कार्यकाल पूरा हो रहा है, वहां कार्यपालक अधिकारी और वरिष्ठतम अधिकारी के माध्यम से नगर पालिकाओं के खाते चलेंगे, उसे निरस्त कर दिया गया है।

हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि बिना ट्रिपल टेस्ट/शर्तों के ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि चूंकि तय फॉर्मूले यानी ट्रिपल टेस्ट/शर्तों को पूरा करने में कई महीने लग सकते हैं, ऐसे में चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के ही तुरंत कराए जाएं। मतलब ये कि हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद अब जो यूपी में नगर निकाय चुनाव होंगे, उसमें एससी और एसटी के लिए आरक्षित सीटों को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर कोई भी चुनाव लड़ सकता है। ये सीटें सामान्य/खुली श्रेणी के लिए अधिसूचित की जाएंगी।

हाईकोर्ट ने अपने इस आदेश में ये भी साफ कर दिया है कि अगर नगर पालिका निकाय का कार्यकाल समाप्त हो जाता है तो चुनाव होने और निकाय के गठन तक तमाम मामलों को एक कमेटी देखेगी, जो तीन सदस्यीय होगी और इसकी अध्यक्षता जिला मजिस्ट्रेट करेंगे। सदस्यों में कार्यकारी अधिकारी/मुख्य कार्यकारी अधिकारी/नगर आयुक्त शामिल होंगे। वहीं इस कमेटी में तीसरा सदस्य जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नामित होगा, जो जिले स्तर का अफसर होगा। साथ ही ये भी सनद रहे कि ये कमेटी कोई बड़ा नीतिगत निर्णय नहीं ले सकती, सिर्फ रोजाना के कार्यों का ही निर्वहन करेगी।

हाईकोर्ट ने कहा है कि हम समझते हैं कि आयोग के लिए ये एक भारी और समय लेने वाला काम है लेकिन भारतीय संविधान में निहित संवैधानिक जनादेश के कारण निर्वाचित नगर निकायों के गठन में देरी नहीं की जा सकती है। समाज के शासन के लोकतांत्रिक चरित्र को मजबूत करने के लिए यह आवश्यक है कि चुनाव जल्द से जल्द हों, हम इंतजार नहीं कर सकते।

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने करीब 20 दिनों तक चली सुनवाई के बाद ये फैसला दिया है।

याचिकाकर्ता संदीप पांडेय ने कहा है कि नितांत चुनाव अत्यंत आवश्यक हैं, तो ओबीसी आरक्षण के बगैर ही तुरंत चुनाव कराएं।ऐसे में गेंद अब सरकार के पाले में है कि वो या तो ओबीसी आरक्षण के बगैर चुनाव कराए।या फिर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग गठित किया जाए. उसकी सिफारिशों के आधार पर आरक्षण दिया जाए औऱ फिर चुनाव कराया जाए। याचिकाकर्ता संदीप पांडेय ने कहा कि आज हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सिर्फ जज ने अपना फैसला पढ़ा।ऐसे में अगर सरकार ओबीसी आरक्षण के बगैर ही निर्णय़ लेती है तो एससी-एसटी और सामान्य सीटों के आरक्षण के साथ चुनाव जनवरी में कराए जाएं।

अगर सरकार ट्रिपल टेस्ट कराती है और आयोग गठित करती है तो 31 जनवरी तक ये प्रक्रिया पूरी करनी होगी।ऐसे में आयोग की अनुशंसा के साथ हर जिले में जिलाधिकारी आरक्षण को लेकर अपनी सिफारिशें भेजेगा।ट्रिपल टेस्ट के तहत सरकार को एक डेडिकेटेड कमीशन बनाना होगा। फिर ये कमीशन ओबीसी की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट देगा।इस रिपोर्ट की सिफारिशें के अनुसार ही हर जिले में नगर निगम, नगरपालिका औऱ नगर पंचायतों का आरक्षण तय होगा।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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