Friday, April 19, 2024

अंडमान में सेक्स के बदले नौकरी में पूर्व मुख्य सचिव और श्रम आयुक्त फंसे, एसआईटी के समक्ष पेश होने का हाईकोर्ट का निर्देश

अंडमान में ‘सेक्स के बदले नौकरी’ रैकेट के खुलासे से नौकरशाही में हड़कम्प मच गया है। इस मामले में मुख्य आरोपी कोई और नहीं बल्कि अंडमान और निकोबार (ए एंड एन) द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव, जितेंद्र नारायण और श्रम आयुक्त आर एल ऋषि हैं। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के सामने 28 अक्टूबर तक पेश होने का निर्देश दिया, जो उनके खिलाफ कथित सामूहिक बलात्कार के आरोपों की जांच कर रहा है, यह मानते हुए कि मामले की तत्काल जाँच करने की आवश्यकता है।

जस्टिस बिबेक चौधरी और जस्टिस प्रसेनजीत बिस्वास की अवकाश पीठ ने नारायण को गिरफ्तारी के खिलाफ उस तारीख तक अंतरिम संरक्षण प्रदान किया, जो पूजा की छुट्टी के बाद अपनी पहली बैठक की 14 नवंबर को पोर्ट ब्लेयर में कलकत्ता उच्च न्यायालय की सर्किट पीठ द्वारा तय की जाएगी।

अंडमान और निकोबार (ए एंड एन) द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव, जितेंद्र नारायण और श्रम आयुक्त आर एल ऋषि के खिलाफ एक 21 वर्षीय महिला द्वारा सामूहिक बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच चल रही है। इस जांच के दौरान अंडमान और निकोबार पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) को कुछ हैरान कर देने वाले सबूत मिले हैं। पुलिस ने मुख्य गवाहों के बयान दर्ज किए हैं जो कथित तौर पर सेक्स रैकेट की ओर इशारा करते हैं। साल भर के कार्यकाल के दौरान अंडमान के पूर्व मुख्य सचिव, जितेंद्र नारायण के पोर्ट ब्लेयर आवास पर 20 से अधिक महिलाओं को कथित तौर पर ले जाया गया था। इन महिलाओं में कुछ को सेक्स के एवज में नौकरी दी गई। इन्हीं में से एक 21 वर्षीय महिला ने जितेंद्र नारायण और श्रम आयुक्त आरएल ऋषि पर सामूहिक बलात्कार और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। इन आरोपों के बाद कथित सेक्स रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि जब वह नौकरी की तलाश में थी तो एक होटल मालिक के जरिए श्रम आयुक्त ऋषि से उसका परिचय हुआ था।

उसने आरोप लगाया कि उसे मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण के आवास पर ले गया जहां उसे शराब की पेशकश की गई लेकिन उसने मना कर दिया और फिर उसे सरकारी नौकरी का आश्वासन दिया गया। महिला ने आरोप लगाया कि दो पुरुषों द्वारा उसके साथ क्रूरता और यौन शोषण किया गया। महिला ने कहा कि दो हफ्ते तक उसका यौन शोषण होता रहा और नौकरी के बजाय उसे धमकी दी गई कि वह किसी को भी इस बारे में नहीं बताएगी।

एसआईटी एक महिला द्वारा लगाए गए आरोप की जांच कर रही है कि 1 अक्टूबर को पोर्ट ब्लेयर के एबरडीन पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर 14 अप्रैल और 1 मई को नारायण और अन्य लोगों द्वारा उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। अदालत ने यह भी कहा कि 21 जुलाई को दिल्ली स्थानांतरित हुए नारायण ने घोषणा की है कि वह जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं।

यह मानते हुए कि मामले की तत्काल जांच की आवश्यकता है, अदालत ने कहा, कि हम याचिकाकर्ता को विशेष जांच दल (एसआईटी) के समक्ष 22 अक्टूबर, 2022 से 28 अक्टूबर, 2022 की अवधि के दौरान एसआईटी द्वारा निर्धारित तारीख/तिथियों पर पेश होने का निर्देश देते हैं। पीठ ने एसआईटी को पूछताछ करने और पूछताछ के दौरान याचिकाकर्ता की मेडिकल जांच जैसे अन्य सभी कदम उठाने की अनुमति दी।

शिकायतकर्ता ने 30 सितंबर को पोर्ट ब्लेयर के एबरडीन पुलिस स्टेशन में एक आवेदन दायर किया था, जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और दिल्ली के पुलिस अधिकारियों की एक संयुक्त टीम ने 18 अक्टूबर को नारायण के घर पर छापा मारा, जिसके बाद उन्होंने ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दायर किया।

दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने नारायण को 28 अक्टूबर तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष इस आधार पर समय बढ़ाने की प्रार्थना करते हुए एक आवेदन दायर किया कि पोर्ट ब्लेयर में अगली सर्किट बेंच 14 नवंबर से शुरू होगी, ताकि उन्हें अंडमान निकोबार की राजधानी में अग्रिम जमानत के लिए प्रार्थना करने का अवसर मिले।

खंडपीठ ने 21 अक्टूबर को याचिकाकर्ता और अभियोजन पक्ष दोनों को यह स्वतंत्रता दी कि वह 14 नवंबर को छुट्टी के बाद पहली बैठक की तारीख को सर्किट बेंच के समक्ष मामले को सुनवाई के लिए एक तारीख तय करने की प्रार्थना के साथ आवेदन रखें।

एसआईटी का गठन इन आरोपों की जांच के लिए किया गया था कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक 21 वर्षीय महिला को सरकारी नौकरी का झांसा देकर मुख्य सचिव के घर ले जाया गया और फिर वहां के शीर्ष अधिकारियों ने उसके साथ बलात्कार किया। पोर्ट ब्लेयर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा युवती की याचिका के आधार पर मामला दर्ज करने का आदेश दिए जाने के बाद पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में मामला दर्ज किया था।

अदालत ने उस शिकायत का संज्ञान लिया जिसने द्वीप के तत्कालीन मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण, 1990 बैच के आईएएस अधिकारी, और श्रम आयुक्त आरएल ऋषि पर महिला के साथ बलात्कार करने के अलावा एक पुलिस अधिकारी और होटल मालिक को अपराध में सहयोगियों के रूप में नामित करने का आरोप लगाया। 30 अगस्त को जांच के आदेश दिए।

इस बीच, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण और श्रम आयुक्त आरएल ऋषि के खिलाफ लगे यौन शोषण के आरोपों की जांच कर रही एसआईटी को सेक्स रेकैट के सबूत मिले हैं। मामले की जांच कर रही एसआईटी को पता चला है कि पूर्व मुख्य सचिव के घर 20 से अधिक महिलाओं को उनके घर ले जाया गया था।

आरोपों के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में जितेंद्र नारायण को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। जितेंद्र नारायण एजीएमयूटी कैडर के 1990 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं।

वहीं मामले की जांच में सामने आया है कि इसमें 20 से अधिक महिलाओं को कथित तौर पर पोर्ट ब्लेयर में उनके एक साल के कार्यकाल के दौरान पूर्व मुख्य सचिव के आवास पर ले जाया गया था। उस दौरान उनमें से कुछ को यौन शोषण के बदले में नौकरी मिल गई थी।

सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि मुख्य सचिव के घर में स्थापित क्लोज सर्किट (सीसीटीवी) कैमरा सिस्टम के डीवीआर (डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर) की पहले हार्ड डिस्क को डिलीट कर दिया गया और बाद में उनके पोर्ट से दिल्ली ट्रांसफर के समय डीवीआर को भी हटा दिया गया था। अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए जितेंद्र नारायण ने गृह मंत्रालय और अंडमान निकोबार प्रशासन को एक पत्र लिखकर कहा है कि उनके खिलाफ साजिश रची गई है। उन्होंने एफआईआर में दी गई दो तारीखों में से एक पर पोर्ट ब्लेयर में अपनी उपस्थिति को नकारते हुए कोर्ट में चुनौती दी है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट की मछली चुनाव आयोग के गले में फंसी 

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग को केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल दौरान ईवीएम में खराबी के चलते भाजपा को गलत तरीके से मिले वोटों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामले को प्रशांत भूषण ने उठाया, जिसपर कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई की और भविष्य में ईवीएम के साथ किसी भी छेड़छाड़ को रोकने हेतु कदमों की जानकारी मांगी।

Related Articles

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट की मछली चुनाव आयोग के गले में फंसी 

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग को केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल दौरान ईवीएम में खराबी के चलते भाजपा को गलत तरीके से मिले वोटों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामले को प्रशांत भूषण ने उठाया, जिसपर कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई की और भविष्य में ईवीएम के साथ किसी भी छेड़छाड़ को रोकने हेतु कदमों की जानकारी मांगी।