नई दिल्ली। महाराष्ट्र के निवर्तमान मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस के फिर से मुख्यमंत्री बनने की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है। 2014 के नामांकन पत्र में अनियमितता के मामले के बाद उनके खिलाफ एक और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। राज्य में सीएम की कुर्सी को लेकर जारी घमासान के बीच सामने आया यह मामला फडनवीस के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकता है। नया मामला भी एडवोकेट सतीश यूके द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया है। 7 नवंबर को क्रिमिनल एसएलपी नं. 10155 / 2019 ( सतीश यूके बनाम पुलिस इन्स्पेक्टर, पुलिस स्टेशन सदर नागपुर और अन्य) के तहत दायर यह केस सर्वोच्च अदालत में सुनवाई के लिए तैयार है।
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में फडनवीस के खिलाफ 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान दाखिए किए गए अपने एफिडेविट में दो आपराधिक मामलों की जानकारी छुपाने का मामला आया था। बीते 1 अक्तूबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने इसे लोकप्रतिनिधि कानून का उल्लंघन मानते हुए उनके खिलाफ निचली अदालत में अपराधिक ट्रायल चलाने के आदेश दिए हैं। इस मामले मे जेएमएफसी कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए फडनवसी को 4 दिसंबर को कोर्ट में मौजूद होने का निर्देश दिया है।
ताजा मामला यह है कि फडनवीस ने दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से 2019 में चुनावी नामांकन भरते समय दिए गए अपने शपथपत्र में कई गलत जानकारियां दी थीं। याचिकाकर्ता सतीश यूके का कहना है कि अनियमितताएं बताए जाने के बावजूद चुनाव अधिकारी ने उनका संज्ञान नहीं लिया। और अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अधिकारी ने फडनवीस नामांकन को वैध ठहरा दिया। यूके ने बताया कि उसके बाद निकाले गए तीन आदेश इनके फर्जी होने की पुष्टि करते हैं। यूके का कहना है कि चुनाव अधिकारी ने इसके जरिये लोकप्रतिनिधि कानून की धारा 129 ; भारतीय दण्ड संहिता 166, 167,217, 218, 219 ,417, 467,468,471,120-बी, 34 और दफा 13(1) (d) (i) भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून के तहत दंडनीय अपराध किया है। और इसके साथ ही इसमें शामिल फडनवीस और उनके साथी संदीप जोशी के खिलाफ धारा 417,467, 468,471,120-बी,(171-F),34 के तहत अपराध का मामला बनता है।
यूके ने बताया कि उन्होंने इनकी शिकायत नागपुर स्थित स्थानीय सदर पुलिस स्टेशन में की थी। और उसके संज्ञान नहीं लेने पर उन्होंने इस सिलसिले में बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया। लिहाजा अब उसी आदेश को चुनौती देने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
याचिका में उन्होंने फडनवीस के नामांकन से जुड़े दस्तावेज, निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की सीसीटीवी फुटेज, रिटर्निंग ऑफिसर का मोबाइल फोनसेट, कंम्प्यूटर के डिजिटल डेटा सहित अन्य जरूरी डेटा जब्त किए जाने की गुहार लगायी है। इसके अलावा उन्होंने देवेन्द्र फडनवीस और रिटर्निंग ऑफिसर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।