Friday, April 19, 2024

अयोध्या में जमीन लूटने में पिल पड़े हैं सत्ता के दलाल और नौकरशाह

राम नाम की लूट है,लूट सके तो लूट, अंत काल पछतायेगा जब प्राण जायेंगे छूट। ऐसे में सत्ता के दलाल और नौकरशाह अयोध्या में जमीन लूटने में पिल पड़े हैं। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद मंदिर के आसपास का पूरा इलाका जमीन लेने-देन का बड़ा केंद्र बन गया है। उच्चतम न्यायालय के फैसले से अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद वहां जमीन खरीद के मामलों की बाढ़ आ गयी है। अब अंग्रेजी अखबार की एक रिपोर्ट सामने आने के बाद अयोध्या में जमीन खरीद का मामले ने तूल पकड़ लिया है। रिपोर्ट सामने आने के बाद योगी सरकार ने एक्शन लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। विशेष सचिव राजस्व मामले की जांच कर एक हफ्ते में सरकार को रिपोर्ट देंगे। एक ताजा मीडिया रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि राम मंदिर के आसपास बीजेपी के विधायकों, कई बड़े नेताओं, यूपी के अफसरों और उनके परिजनों ने व्यापक स्तर पर जमीनें खरीदी हैं, ताकि उन्हें लाभ मिल सके।

उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) मनोज कुमार सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, मुख्यमंत्री ने अगले 5-7 दिनों में संबंधित दस्तावेजों के साथ रिपोर्ट मांगी है। सीएम योगी ने रिपोर्ट का संज्ञान लिया है। उनके निर्देश पर जांच के आदेश दे दिए गए हैं। विशेष सचिव के रैंक के एक अधिकारी को जांच करने के लिए कहा गया है। विशेष सचिव राधेश्याम मिश्रा को जांच करने के लिए कहा गया है।

दरअसल अयोध्या के जमीन सौदों से जुड़ा लेन-देन का एक सेट हितों के टकराव और औचित्य से जुड़े गंभीर सवाल उठाता है। कम से कम चार खरीदार, दलित निवासियों से भूमि के ट्रांसफर में कथित अनियमितताओं के लिए विक्रेता की जांच कर रहे अधिकारियों के करीबी संबंधी हैं। अयोध्या में जमीन खरीदारों में स्थानीय विधायक, नौकरशाहों के करीबी रिश्तेदार, स्थानीय राजस्व अधिकारी जो खुद जमीन के लेन देन से जुड़े थे, उन्होंने भी यहां जमीनें खरीदीं।

अयोध्या डिवीजनल कमिश्नर एमपी अग्रवाल के ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने 10 दिसंबर, 2020 को बरहटा मांझा में एमआरवीटी से 31 लाख रुपये में 2,530 वर्ग मीटर खरीदा। वहीं उनके बहनोई आनंद वर्धन ने भी उसी दिन उसी एमआरवीटी से 15.50 लाख रुपये में 1,260 वर्ग मीटर खरीदा। गौरतलब है कि कमिश्नर की पत्नी अपने पिता की फर्म हेलमंड कॉन्ट्रैक्टर्स एंड बिल्डर्स एलएलपी में पार्टनर हैं। हालांकि इस खरीदारी को लेकर एम पी अग्रवाल का कहना है कि इस बारे में उन्हें कुछ जानकारी नहीं है। उनके ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने कहा, “हां, मैंने यह जमीन खरीदी है क्योंकि मेरी सेवानिवृत्ति के बाद अयोध्या में रहने की योजना है। इसमें श्री एम पी अग्रवाल की कोई भूमिका नहीं है”।

अयोध्या जिले में गोसाईगंज से विधायक इंद्र प्रताप तिवारी ने भी 18 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 2,593 वर्ग मीटर एमआरवीटी से 30 लाख रुपये में खरीदा। वहीं 16 मार्च 2021 को उनके बहनोई राजेश कुमार मिश्रा ने राघवाचार्य के साथ मिलकर सूरज दास से बरहटा माझा में 6320 वर्ग मीटर 47.40 लाख रुपये में खरीदा। राजेश कहते हैं कि इस जमीन खरीदारी का तिवारी से कोई लेना-देना नहीं है। यह मैंने अपनी बचत से खरीदा है।

20 जुलाई 2018 से 10 सितंबर 2021 तक अयोध्या के मुख्य राजस्व अधिकारी रहे पुरुषोत्तम दास गुप्ता के साले अतुल गुप्ता की पत्नी तृप्ति गुप्ता ने अमर जीत यादव नाम के एक व्यक्ति के साथ मिलकर 12 अक्टूबर 2021 को बरहटा मांझा में 1,130 वर्ग मीटर एमआरवीटी से 21.88 लाख रुपये में खरीद की। वहीं पुरुषोत्तम दास गुप्ता का कहना है कि एमआरवीटी के खिलाफ जांच में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और उन्होंने अपने नाम पर कोई जमीन नहीं खरीदी थी।

26 जुलाई 2020 से 30 मार्च 2021 के बीच पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) के पद पर रहे दीपक कुमार जो कि अब अलीगढ़ के डीआईजी हैं। उनकी पत्नी की बहन महिमा ठाकुर ने 1 सितंबर, 2021 को बरहटा मांझा में 1,020 वर्ग मीटर एमआरवीटी से 19.75 लाख रुपये में खरीदा था। इस पर दीपक कुमार ने कहा कि अयोध्या में मेरी पोस्टिंग के दौरान मेरे किसी रिश्तेदार ने कोई जमीन नहीं खरीदी। मैंने, मेरी पत्नी या मेरे पिता ने वहां की किसी भी भूमि के लिए कोई पैसा नहीं दिया।

अयोध्या विधानसभा से विधायक वेद प्रकाश गुप्ता के भतीजे तरुण मित्तल ने 21 नवंबर 2019 को रेणु सिंह और सीमा सोनी से 1.15 करोड़ रुपये में बरहटा मांझा में 5,174 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। 29 दिसंबर, 2020 को, उन्होंने जगदंबा सिंह और जदुनंदन सिंह से 4 करोड़ रुपये में मंदिर स्थल से लगभग 5 किमी दूर, सरयू नदी के पार अगले दरवाजे महेशपुर (गोंडा) में 14,860 वर्ग मीटर खरीदा।

अयोध्या में एसडीएम के पद पर रहे आयुष चौधरी की चचेरी बहन शोभिता रानी ने 28 मई 2020 को अयोध्या के बिरौली में 5,350 वर्ग मीटर को आसाराम से 17.66 लाख रुपये में खरीदा। 28 नवंबर, 2019 को शोभिता रानी द्वारा संचालित आरव दिशा कमला फाउंडेशन ने दिनेश कुमार से 7.24 लाख रुपये में अयोध्या के मलिकपुर में 1,130 वर्ग मीटर खरीदा।

इस मामले का खुलासा होने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि हिंदू सत्य के रास्ते पर चलता है। हिंदुत्ववादी धर्म की आड़ में लूटता है। वहीं इस मामले पर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कल प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि भगवान राम के अयोध्या में बन रहे भव्य मंदिर के नाम पर चंदे की लूट और अब भगवान राम की अयोध्या नगरी में भाजपाइयों द्वारा संपत्ति एकत्रित करने की लूट से साफ है कि भाजपाई अब रामद्रोह कर रहे हैं। अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम पर मर्यादा को ताक पर रखकर सरेआम लूट मची हुई है। एक तरफ आस्था का दीया जलाया गया और दूसरी तरफ आस्था के उस दीये के अंधेरे के नीचे भगवान राम के नाम पर भाजपाईयों द्वारा लूट मचाई गई, यह कड़वा सच है।

सुरजेवाला ने कहा कि अब तीन तथ्य सामने आए हैं। पहला भाजपाइयों द्वारा राम मंदिर ट्रस्ट को महंगी जमीनें बेच कर करोड़ों का मुनाफा कमाया गया। चंदे की चोरी की गई। एक और ज्यादा चौंकाने वाला मामला सामने आया है कि राम मंदिर ट्रस्ट को न केवल निजी संपत्ति बल्कि सरकारी संपत्ति को निजी लोगों द्वारा बेच दिया गया और पैसा अर्जित कर लिया गया और अब जो सनसनीखेज तीसरा खुलासा सामने आया है, वो और चिंता का विषय है और वो है कि अयोध्या में मंदिर के चारों तरफ बीजेपी विधायकों, बीजेपी के मेयर, सरकारी आयोग के सदस्यों, सूचना आयुक्त और योगी सरकार के आला ऑफिसरों द्वारा संपत्तियों को औने-पौने दामों पर खरीदा गया है।

नामों का खुलासा करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि नंबर एक पर हैं अयोध्या के बीजेपी विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, जिनके भतीजे तरुण मित्तल द्वारा 20 हजार 34 स्क्वेयर मीटर जमीन 21 नवंबर, 2019 और 29 दिसंबर, 2020 को खरीदी गई। दूसरे, अयोध्या के गोसाईगंज के बीजेपी विधायक इंद्र प्रताप तिवारी द्वारा 2,593 वर्ग मीटर जमीन 19 नवंबर, 2019 को खरीदी गई और उसके बाद इनके ब्रदर इन लॉ के द्वारा 6,320 स्क्वेयर मीटर जमीन 16 मार्च, 2021 को खरीदी गई।

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी के अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, जिनके साले के द्वारा दो करोड़ की जमीन राम मंदिर ट्रस्ट को 5 मिनट में 18 करोड़ में बेची गई थी, उन्हीं के द्वारा 1,480 वर्ग मीटर जमीन 18 सितंबर, 2019 को खरीदी गई। बीजेपी नेता और यूपी ओबीसी आयोग के सदस्य बलराम मौर्य 9,375 वर्ग मीटर जमीन 28 फरवरी, 2020 को राम मंदिर की पेरीफ्री में खरीद ली गई। सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही ने लगभग 1,000 वर्ग मीटर जमीन और उनकी धर्म पत्नी के द्वारा 18 नवंबर, 2021 को मंदिर के साथ खरीद ली गई। इनके अलावा बीजेपी के एक और समर्थक महेश योगी जी ने महर्षि रामायण विद्या पीठ ट्रस्ट के नाम से पहले 21 बीघा जमीन, जिसकी कीमत साढ़े 9 करोड़ रुपए है, 25 लाख में ट्रस्ट के नाम करवा ली और फिर उसे भी अधिकारियों को बेच दिया गया।

सुरजेवाला ने कहा कि हम सबको मालूम है कि यूपी में दलितों को आवंटित जमीन सामान्य वर्ग का कोई व्यक्ति नहीं खरीद सकता। परंतु राम मंदिर के चारों तरफ की दलितों की जमीन, भगवान श्रीराम भीलनी के बेर खाया करते थे और ये दलितों की जमीन भी हड़प गए। इन्होंने उन्हें भी नहीं बख्शा। और सबसे हास्यास्पद बात ये है कि जिन मामलों में हितों के टकराव का मामला सामने आय़ा है, उनकी जांच उन्हीं अधिकारियों को सौंपी गई है, जिनके रिश्तेदारों के नाम पर जमीन खरीदी गई है। सुरजेवाला ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम की अयोध्या नगरी के अंदर बीजेपी के लोगों द्वारा जमीनों की खुली लूट का धंधा चल रहा है और हमारे प्रधानमंत्री जी पूरी तरह से मौन धारण किए हैं। एक शब्द उनके मुंह से निकल नहीं रहा।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट की मछली चुनाव आयोग के गले में फंसी 

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग को केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल दौरान ईवीएम में खराबी के चलते भाजपा को गलत तरीके से मिले वोटों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामले को प्रशांत भूषण ने उठाया, जिसपर कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई की और भविष्य में ईवीएम के साथ किसी भी छेड़छाड़ को रोकने हेतु कदमों की जानकारी मांगी।

Related Articles

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट की मछली चुनाव आयोग के गले में फंसी 

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग को केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल दौरान ईवीएम में खराबी के चलते भाजपा को गलत तरीके से मिले वोटों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामले को प्रशांत भूषण ने उठाया, जिसपर कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई की और भविष्य में ईवीएम के साथ किसी भी छेड़छाड़ को रोकने हेतु कदमों की जानकारी मांगी।