कभी मिले ‘मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जैश्रीराम’ बीएसपी का अहम नारा था। आज वह पार्टी जय भीम की जगह जैश्रीराम के नारे को तरजीह दे रही है। उसने यूपी में घोषणा की है कि सरकार में आने पर वह एक साल के भीतर ही राम मंदिर बनवाएगी। इतना ही नहीं उसका चुनाव अभियान पार्टी महासचिव सतीच चंद्र मिश्रा के नेतृत्व में अयोध्या से शुरू हुआ है। इस तरह से दलितों के एंपवारमेंट की बात करने वाली बीएसपी इस समय सूबे में ब्राह्मण सम्मेलन कर रही है और जगह-जगह उसके नेता परशुराम के गीत गा रहे हैं। यह घटना बताती है कि बीएसपी राजनीति के किस मुकाम पर पहुंच गयी है जिसमें दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक नहीं अब ब्राह्मण उसके केंद्र में हैं। इस तरह से कभी पंद्रह बनाम पचासी का नारा देने वाली बीएसपी अब सवर्णों की सेवा में जुट गयी है। इस तरह से बहुजन से सर्वजन की यात्रा के साथ ही उसने अपनी न केवल वैचारिक धार खत्म कर दी बल्कि सत्ता में बैठे हिस्से का वह गुलाम बनकर रह गयी। इसी पर पेश है कार्टूनिस्ट तन्मय त्यागी का एक कार्टून।
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