यूपी खनन घोटाला: सीबीआई रेड में रिटायर्ड आईएएस के यहां से नकदी, जेवर, संपत्ति का जखीरा बरामद

सीबीआई ने खनन घोटाले में कौशांबी के जिलाधिकारी रहे पूर्व आईएएस सत्येंद्र सिंह और उनके करीबी रिश्तेदारों के लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद और दिल्ली में नौ ठिकानों पर मंगलवार को छापेमारी की। इस छापेमारी के दौरान सीबीआई ने 10 लाख नगद, 51 लाख रुपये के फिक्स डिपाजिट समेत करोड़ों की संपत्ति बरामद की है। उन पर आरोप है कि कौशांबी में डीएम रहते हुए उन्होंने शासन के निर्देशों की अनदेखी की और चहेतों को बिना टेंडर की शर्तों का अनुपालन किए हुए खनिज खनन का करोड़ों रुपये का ठेका दिया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2016 के आदेश के बाद से सीबीआई खनन घोटाले की जांच कर रही है। इसमें आईएएस बी.चंद्रकला व जीवेश नंदन सहित 5 आईएएस अधिकारियों पर पहले ही मुकदमा दर्ज हो चुका है। सपा सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति भी इसमें जेल में हैं। सीबीआई ने हाईकोर्ट का आदेशों के अनुपालन में सत्येंद्र सिंह का अलावा नौ अनय व को नामजद किया है। सीबीआई ने जो केस दर्ज किया है उसमें अज्ञात लोगों पर भी आरोप हैं। मुकदमे में अन्य आरोपित में कौशांबी निवासी नेपाली निषाद, नर नारायण मिश्रा, रमाकांत द्विवेदी, खेमराज सिंह, मुन्नीलाल, शिवप्रकाश सिंह, योगेंद्र सिंह व राम अभिलाष और प्रयागराज निवासी राम प्रताप सिंह शामिल हैं ।

यूपी में शासनादेशों को दरकिनार करते हुए खनन के पट्टे आवंटित करने के मामले में फंसे पूर्व आईएएस सत्येंद्र सिंह समेत कुल दस लोगों के खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज कर मंगलवार को छापामारी की। सीबीआई ने लखनऊ व कौशांबी में कुल नौ जगहों पर छापे मारे जिसमें अहम दस्तावेज बरामद हुए। आरोपी अधिकारी के आवास से दस लाख नगद, करोड़ों की कीमत की 44 अचल संपत्ति के दस्तावेज, 51 लाख की एफडी व बैंक लाकरों से 2.11 करोड़ कीमत के जेवर बरामद हुए हैं।सत्येंद्र सिंह पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2012 से 2014 में कौशांबी का जिलाधिकारी रहने के दौरान खनन के पट्टों के आवंटन में अनियमितता बरती।

सत्येंद्र सिंह।

सीबीआई के प्रवक्ता के मुताबिक छापेमारी में पूर्व आईएएस के गोमती नगर स्थित आवास व अन्य ठिकानों से बड़ी तादाद में कैश व संपत्ति का दस्तावेज बरामद हुए हैं। प्रवक्ता ने बताया कि सीबीआई ने सत्येंद्र सिंह के यहां छापामारी के दौरान दस लाख नकद, 44 अचल संपत्ति के दस्तावेज, छह बैंक लाकर और 51 लाख की एफडी बरामद की। आरोपी अफसर के यहां से 36 बैंक खातों की जानकारी सामने आई। यह खाते पूर्व आईएएस व उनके परिवार के सदस्यों का नाम से लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, नई दिल्ली आदि में भिन्न बैंकों की शाखाओं के हैं। प्रवक्ता ने बताया कि लाकरों से 2.11 करोड़ के जेवर व एक लाख के पुराने नोट बरामद हुए हैं।

सीबीआई के अफसरों का कहना है कि जिस दौरान सत्येंद्र सिंह कौशांबी के जिलाधिकारी रहे उन्होंने शासनादेशों को नजरअंदाज करते हुए खनन के दो नए पट्टे आवंटित किए और नौ पुराने पट्टों का नवीनीकरण कर दिया। पट्टों का आवंटन करने में ई टेंडरिंग प्रक्रिया का पालन नहीं  किया गया। सीबीआई इस मामले में तथ्य जुटा रही थी और आरोपों की पुष्टि होने के बाद छापामारी की कार्रवाई की गई।

आरोपी सत्येंद्र सिंह कौशांबी के अलावा लखनऊ के जिलाधिकारी व लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रह चुके हैं। वह अखिलेश यादव की सरकार के समय लखनऊ के जिलाधिकारी के साथ ही लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष थे। उनके कार्यकाल में ही लखनऊ में गोमती नदी पर रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था।  

गौरतलब है कि सीबीआई ने जनवरी 2019 में वर्ष 2012 से 2016 के दौरान हमीरपुर जिले में खनन के पट्टों के आवंटन में अनियमितता के आरोप में वहां जिलाधिकारी के पद पर तैनात रही आईएएस अधिकारी चंद्रकला के आवास व अन्य ठिकानों पर छापामारी की थी।

सीबीआई के प्रवक्ता आरसी जोशी ने मंगलवार को कहा कि कौशांबी के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट सत्येंद्र सिंह पर वर्ष 2012-14 के बीच दो नई लीज जारी करने का आरोप है। इसके साथ नौ तत्कालीन लीज को रिन्यू किया गया था। माइनर मिनिरल जैसे ग्रेनाइट, संगमरमर आदि के चूरे, बजरी, कंकड़, गिट्टी के अवैध खनन की लीज ई-टेंडर के जरिये उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी कराई गई थी। उत्तर प्रदेश में अवैध खनन का यह मामला समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल का है।

इसी के तहत अब मंगलवार को कौशांबी के तत्कालीन जिलाधिकारी सत्येंद्र सिंह के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया गया। आरोप है कि 2012 से 2014 के दौरान पद पर रहते हुए उन्होंने दो नए खनन पट्टे आवंटित किए और नौ का नवीनीकरण किया। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा 31 मई, 2012 को जारी आदेश के तहत ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का पालन नहीं किया।

सत्येंद्र सिंह दो बार लविप्रा के उपाध्यक्ष रहे। पहली तैनाती में शासन के बड़े प्रोजेक्टों की कमान उनके हाथों में थी। कुछ दिन डीएम और उपाध्यक्ष दोनों की कुर्सी संभाली और फिर पूरी तरह उपाध्यक्ष बन गए। शासन स्तर पर अपनी ताकत का अहसास कराने वाले सत्येंद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई ने पहली बार कोई ठोस कार्रवाई शुरू की है। सत्येंद्र ने गोमती नगर में अपने आवासीय परिसर को एक बैंक को किराये पर दिया था। इसको लेकर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था। आरोप लगाया था कि आवासीय परिसर में वाणिज्यिक गतिविधियां कैसे हो सकती हैं। इसके बाद सत्येंद्र बैक फुट पर आ गए थे।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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