Thursday, March 28, 2024

निशाने पर न्यूज़ वेब पोर्टल और सोशल मीडिया, नई गाइड लाइन ले आयी सरकार

जिस सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके मौजूदा केंद्र सरकार सत्ता में आई। जिस सोशल मीडिया की ताक़त का इस्तेमाल फेक और भ्रामक सूचनायें फैलाकर जनमत तैयार करने के लिए भाजपा आईटी सेल का गठन किया गया वही सोशल मीडिया अब मौजूदा सत्ता के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। हाल के दिनों में एलएसी पर सरकर के झूठ और किसान आंदोलन को पुनर्जीवित करने में सोशल मीडिया की महती भूमिका रही है। 

अपनी सत्ता के लिए चुनौती बनते सोशल मीडिया और समानांतर मीडिया यानि न्यूज वेबपोर्टल पर अपना नियंत्रण स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार ने आज नई गाइडलाइन जारी की है। सरकार ने आईटी रूल्स, 2021 को अधिसूचित किया है जिसके तहत अब सोशल मीडिया प्लेटफार्म को यूजर्स की शिकायतों की सुनवाई के लिए ग्रीवांस रिड्रेसेल मैकेनिज्म बनाना होगा। वहीं ओटीटी प्लेटफार्म को सेल्फ रेगुलेशन करना होगा। 

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कांफ्रेंस कर  इनके बारे में जानकारी दी है। 

हाल ही में केंद्र सरकार को भारतीय संविधान और लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाले ट्विटर की प्रतिक्रिया से खार खाये केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भारत में कारोबार करने के लिए स्वागत है, लेकिन उन्हें भारत का संविधान और कानून मानना होगा। और सरकार के निर्देश पर 72 घंटे के अंदर कार्रवाई करना होगा। शिकायत के बाद 24 घंटे के अंदर आपत्तिजनक पोस्ट को हटाना होगा। साथ ही आपत्तिजनक कंटेंट को सबसे पहले किसने पोस्ट या शेयर किया इसकी जानकारी मांगें जाने पर देना होगा। सोशल मीडिया प्लेटफार्म को हर छह महीने में शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देनी होगी। सबसे पहले पोस्ट डालने वाले की जानकारी देनी होगी।

सरकार विरोधी और असहमत लोगों को ‘खुराफाती’ टर्म देते हुए केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा है कि “कंटेट कहां से शुरू हुआ यह बताना पड़ेगा, फर्स्ट ओरिजिनेटर बताना पड़ेगा कि खुराफात कहां से शुरू हुई। भारत की संप्रभुता, कानून-व्यवस्था, हिंसा आदि के बारे में पहले ट्वीट किसने किया, ऐसे अपराध जिनकी सजा पांच साल से अधिक है उनमें बताना पड़ेगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को स्वच्छैकि वेरिफिकेशन यूजर का ऑप्शन देना होगा। सोशल मीडिया को यूजर्स के अकाउंट का वेरिफिकेशन कैसे किया जाए इस बात का प्रबंध करना होगा।

इसके अलावा सोशल मीडिया कानूनी एजेंसियों से तालमेल के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी। साथ ही प्लेटफॉर्म को चीफ कंप्लेन अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी और नोडल अधिकारी की नियुक्ति भी करनी होगी। इसके अलावा टेक कंपनियों को शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी।

वहीं हाल ही में फेसबुक द्वारा तेलंगाना के भाजपा विधायक राजा सिंह के एकाउंट को टर्मिनेट करने और गृहमंत्री अमित शाह के एकाउंट को ट्विटर द्वारा सस्पेंड किये जाने के मद्देनज़र सरकार के नई गाइडलाइंस में कहा गया है कि – “अगर किसी यूजर का कंटेट हटाया जा रहा है या उसकी ऐक्सिस रोकी जा रही है तो उसे बताना पड़ेगा कि ऐसा क्यों हुआ।”

वहीं रविशंकर प्रसाद ने आंकड़े साझा करते हुए बताया कि भारत में व्हाट्सएप के 53 करोड़, फेसबुक के यूजर 40 करोड़ से अधिक, ट्विटर पर एक करोड़ से अधिक यूजर हैं। भारत में इनका उपयोग काफी होता है, लेकिन जो चिंताएं जाहिर की जाती हैं उन पर काम करना ज़रूरी है। 

निशाने पर डिजिटल न्यूज़ पोर्टल 

सरकार के असली निशाने पर न्यूज वेबपोर्टल हैं। सरकार ने नये गाइड लाइंस में कहा है कि “न्यूज़ वेब पोर्टल को भी मीडिया की तरह ही नियमों का पालन करना होगा, तीन महीने में सोशल मीडिया के नियम लागू होंगे। डिजिटल मीडिया के लिए रजिस्ट्रेशन तथा डिसक्लेमर की जानकारी अनिवार्य होगी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह ही डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी गलती पर माफी प्रसारित करनी होगी। 

वहीं एक महिला पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि केंद्र सरकार को पता ही नहीं है कि देश में डिजिटल न्यूज़ मीडिया प्लेटफॉर्म कितने हैं, ऐसे में सरकार किससे बात करेगी। इसलिए ही सरकार प्लेटफॉर्म की बेसिक जानकारी मांग रही है।

ओटीटी प्लेटफार्म पर नकेल 

हाल ही के दिनों में ओटीटी प्लेटफॉर्म भगवा ग्रुप के निशाने पर रहे हैं। ओटीटी को सरकारी गाइडलाइंस में लाते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म/डिजिटल मीडिया को अपने काम की जानकारी देनी होगी, वो कैसे अपना कंटेंट तैयार करते हैं। इसके बाद सभी को सेल्फ रेगुलेशन को लागू करना होगा, इसके लिए एक बॉडी बनाई जाएगी जिसे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या कोई अन्य व्यक्ति हेड करेंगे। 

ओटीटी और डिजिटल मीडिया के लिए रजिस्ट्रेशन तथा डिसक्लेमर की जानकारी अनिवार्य होगी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह ही डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी गलती पर माफी प्रसारित करनी होगी। 

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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