Friday, April 19, 2024

106 जजों और 9 मुख्य न्यायाधीशों के नाम भेजे गए हैं आशा है सरकार उन्हें जल्द पास करेगी: चीफ जस्टिस

चीफ जस्टिस एनवी रमना ने शनिवार को कहा कि समानता की संवैधानिक गारंटी की सुरक्षा के लिए सभी के लिए समान न्याय सुनिश्चित करना आवश्यक है। यह निर्विवाद सत्य है कि केवल समावेश ही एक जीवंत लोकतंत्र सुनिश्चित कर सकता है और न्याय तक समावेशी पहुंच के बिना सतत विकास प्राप्त करना असंभव होगा। हमारे संविधान के निर्माता सामाजिक और आर्थिक वास्तविकता से अवगत थे, इसलिए, उन्होंने जोर दिया कल्याणकारी राज्य जहां कोई भी जीवन की बुनियादी जरूरतों से वंचित नहीं है।

नालसा के प्रधान संरक्षक और चीफ जस्टिस रमना 2 अक्टूबर, 2021 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली से अखिल भारतीय जागरूकता और आउटरीच अभियान के शुभारंभ पर बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू, न्यायमूर्ति यू यू ललित, कार्यकारी अध्यक्ष, नालसा और जस्टिस एएम खानविलकर, अध्यक्ष, सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति भी उपस्थिति थे।

चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि उपरोक्त अधिकारों की रक्षा के लिए हमारे पास कानूनों का समान संरक्षण और कानून के समक्ष समानता है। लेकिन यह अर्थहीन हो जाएगा यदि कमजोर वर्ग अपने अधिकारों को लागू नहीं कर सकता है। समानता और न्याय तक पहुंच एक दूसरे के पूरक हैं। प्रमुख देशों में सामाजिक-आर्थिक अंतराल और न्याय तक असमान पहुंच इन विभाजनों को चौड़ा करती है और व्यक्ति की पूर्ण क्षमता का दमन करती है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवनकाल में विरासत, व्यवसाय, परिवार, रोजगार से संबंधित कानूनी मुद्दों पर आता है। हमारे जैसा एक जटिल समाज में जो असमानताओं से भरा है, समस्याएं अपने आप कई गुना बढ़ जाती हैं। दैनिक वेतन की हानि, बेदखली की संभावना, स्वास्थ्य देखभाल की कमी और भविष्य में भोजन के बारे में अनिश्चितता सभी न्याय तक पहुंच से जुड़ी हैं। इसकी सामाजिक लागत है अकल्पनीय। न्याय तक समान पहुंच प्रदान किए बिना सामाजिक-आर्थिक न्याय प्राप्त करना असंभव होगा।

चीफ जस्टिस ने कहा कि यही कारण है कि आज राज्य के तीनों अंग समानता और निष्पक्षता के आधार पर भविष्य के लिए प्रयास करने के लिए एक साथ आए हैं। न्याय तक पहुंच की कुंजी कानूनी जागरूकता पैदा करने में निहित है। यह सुधार प्रक्रिया के पीछे प्रेरक शक्ति होगी। केवल जब कमजोर वर्ग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे तो वे अपना भविष्य खुद बना सकते हैं। इस देश में हमें लोगों को यह महसूस करने की जरूरत है कि कानून और प्रशासन सभी के लिए है। एक लोकतांत्रिक देश में यह नागरिकों का विश्वास है जो दीक्षा को बनाए रखता है! राज्य के सभी अंगों के लिए एक साथ काम करना सच्ची स्वतंत्रता के लक्ष्यों को प्राप्त करने के आजादी के 75 साल बाद भी एक चुनौती है। असमानता से आजादी, सपने देखने की आजादी, हासिल करने की आजादी लोगों को सशक्त बनाना और सक्षम बनाना आजादी की कुंजी है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि गुंजायमान लोकतंत्र को सुनिश्चित करने के लिए समग्र भागीदारी तय करनी होगी। समुचित विकास तब तक संभव नहीं है जब तक कि न्याय सबको समान रूप से न मिले। संविधान बनाने वालों को देश के आर्थिक और सामाजिक स्थिति के बारे में पता था इसलिए वेलफेयर ऑफ स्टेट की बात कही गई है। सबको जीवन के अधिकार के तहत बुनियादी जरूरत मिले इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। उक्त तमाम अधिकारों को प्रोटेक्ट करने के लिए कानून के सामने सबको समान तरीके से देखना होगा और सबको न्याय मिले यह सुनिश्चित करना होगा । जब तक सभी को न्याय न मिले तमाम संवैधानिक अधिकार अर्थहीन हो जाएंगे।

चीफ जस्टिस ने उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों की शीघ्र मंजूरी पर जोर देते हुए कहा कि वह न्याय तक समान पहुंच की सुविधा और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सरकार का ‘सहयोग एवं समर्थन’ चाहते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि कॉलेजियम ने मई से अब तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए 106 नामों की सिफारिश की है और उन्हें मंजूरी मिलने से कुछ हद तक’लंबित मामलों से निपटाया जा सकेगा।

चीफ जस्टिस ने अपने संबोधन में यह भी उल्लेख किया कि कानून मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने जो सिफारिश भेजी है उसे एक-दो दिनों में मंजूर कर लिया जाएगा। इसके तहत 9 चीफ जस्टिस की नियुक्ति के लिए सिफारिश भेजी गई है साथ ही देश भर के हाई कोर्ट में जस्टिस की नियुक्ति के लिए कॉलिजियम ने हाल में कई सिफारिश भेजी है। चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि लोगों को यह समझने की जरूरत है कि कानून और संस्थान सभी के लिए है और एक लोकतांत्रिक देश में लोगों का जो विश्वास होता है वही संस्थान को बनाए रखने में मदद करता है। उन्होंने कहा जीवंत ज्यूडिशियरी एक स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए जरूरी है और लेकतंत्र की गुणवत्ता न्याय की गुणवत्ता पर टिकी हुई है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि मेरे सहयोगी न्यायाधीशों और मैंने वादियों को शीघ्र न्याय दिलाने में सक्षम बनाने का प्रयास किया है।मैं यह बताना चाहता हूं कि मई के बाद से मेरी टीम ने अब तक विभिन्न उच्च न्यायालयों में 106 न्यायाधीशों और नौ नए मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश की है।सरकार ने अब तक 106 न्यायाधीशों में से सात और मुख्य न्यायाधीशों के लिए नौ में से एक नाम को मंजूरी दी है। मुझे उम्मीद है कि सरकार बाकी नामों को जल्द ही मंजूरी देगी। इन नियुक्तियों से कुछ हद तक लंबित मामलों से निपटा जा सकेगा। मैं न्याय तक पहुंच और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सरकार का सहयोग और समर्थन चाहता हूं।

राष्ट्रपति का सम्बोधन

समारोह में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा है कि लीगल सर्विस संस्थानों में महिलाओं की संख्या में बढ़ोत्तरी की जरूरत है। एनएएलएसए (राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण) के छह सप्ताह चलने वाले पैन इंडिया लीगल अवेयरनेस एंड आउटरीच कैंपेन के शुभारंभ के अवसर पर उन्होंने ये बात कही।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि बतौर देश हमारा लक्ष्य महिला विकास से महिलाओं के नेतृत्व में विकास की दिशा में आगे बढ़ना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लीगल सर्विस अथॉरिटी को समाज में जो लोग भी हाशिये पर हैं उनकी मदद के लिए प्रयत्न करना चाहिए। महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि गरीबों की मदद के लिए गांधी ने बिना स्वार्थ काम किया।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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