Thursday, March 28, 2024

हिंदुत्ववादी नफ़रत का विदेशों में बजा डंका, आरएसएस-बीजेपी और मोदी की चौतरफा निंदा

”एक समाज जनसंहार को रोकना चाहता है। इससे जुड़े कार्यक्रमों को रोका जाता है और गिरफ़्तारियां होती हैं ताकि फिर से ना हो। लेकिन मोदी के भारत में? बीजेपी के नेता ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं और कोई गिरफ़्तारी नहीं होती है।”- उपरोक्त पंक्तियां न्यू जर्सी स्थित रकर्स यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशियाई इतिहास की प्रोफ़ेसर ऑड्री ट्रुश्के ने ख़बर को ट्वीट करते हुए लिखा है। ये पंक्तियाँ विश्व में भरत की नवनिर्मित छवि को अभिव्यक्त कर रही हैं। 

जबकि ब्रिटेन की सांसद नाज़ शाह ने धर्म संसद कार्यक्रम का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है, ”यह 1941 का नाज़ी जर्मनी नहीं है। यह 2021 का भारत है। मुसलमानों को मारने की अपील की जा रही है। यह अब हो रहा है। जो इसे अतिवादी समूह कह रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि हिटलर ने भी शुरुआत ऐसे ही की थी। इस मामले में वैश्विक विरोध कहाँ है?”

आतंकवाद संरक्षक राष्ट्र पाकिस्तान की श्रेणी में पहुंचा भारत 

हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में हिंदुत्ववादी आतंकियों द्वारा मुस्लिम जनसंहार की सार्वजनिक अपील का वीडियो वॉयरल होने, उस धर्म संसद में सत्ताधारी पार्टी भाजपा के लोगों की भागीदारी और मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार द्वारा कोई कार्रवाई न करने के बाद भारत की छवि भगवा आतंकियों को प्रश्रय देने वाले देश के रूप में निर्मित हुई है। गौरतलब है कि अब तक पड़ोसी मुल्क़ पाकिस्तान की छवि आतंकवादियों को प्रश्रय देने वाले मुल्क़ के रूप में होती रही है। 

भारत को पाकिस्तान की श्रेणी में खड़ा करने के लिये मोदी-शाह को मुबारक़बाद। बता दें कि हरिद्वार में आयोजित तीन दिवसीय धर्म  संसद में मुसलमानों के सामूहिक जनसंहार की अपील की गई। जिसके वीडियो सोशल मीडिया के जरिये देश-विदेश की मीडिया और लोगों तक पहुंचे। दुनिया के तमाम देशों और राजनीति व खेल से जुड़े लोगों ने भगवा आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की कड़ी निंदा की है।

अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने पहले पन्ने पर “हिंदू अतिवादियों ने मुसलमानों की हत्या का आह्वान किया, भारत के नेता चुप” शीर्षक से ख़बर लगाया है। न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि खचाखच भरे ऑडिटोरियम में दक्षिणपंथी हिंदू संतों ने बाक़ी हिंदुओं से हथियार उठाने और मुसलमानों की हत्या करने की अपील की। इनमें प्रभावशाली धार्मिक नेता भी थे, जिनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ताधारी पार्टी के साथ क़रीबी संबंध हैं और इनमें से कुछ लोग पार्टी के सदस्य भी थे। इस सप्ताह सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम के वीडियो तेज़ी से वायरल हुये।

न्यूयार्क टाइम्स आगे कहता है कि – “फिलहाल श्रीमान मोदी ने एक ख़ास चुप्पी बना रखी है जिस पर विश्लेषक कहते हैं कि यह उनके सबसे बड़े समर्थकों के लिए सुरक्षा के एक मौन संकेत की तरह है।”

अमेरिकी मीडिया समूह ब्लूमबर्ग ने भी अपनी वेबसाइट पर इस ख़बर को जगह दी है और उसका शीर्षक लिखा है ‘धार्मिक कार्यक्रम में मुस्लिम विरोधी भाषण पर पुलिस की जांच” शीर्षक से ख़बर दी है।

फ़्रांस की न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि – “2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने से कट्टर हिन्दूवादियों को प्रोत्साहन मिला है और इन्हें लगता है कि यह हिन्दू राष्ट्र है और मुसलमानों के लिए जगह नहीं है”।

मोदी राज में मुसलमानों के साथ भेदभाव की एक रिपोर्ट फ़्रांस की न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी ने प्रकाशित की है जिसमें कहा गया है कि, ”नमाज़ के लिए जगह नहीं है। गुड़गाँव में जगह की कमी के कारण मुसलमान खुले में नमाज़ नहीं पढ़ पा रहे हैं”।

तुर्की की सरकारी मीडिया TRT WORLD ने भी हरिद्वार में हुये धर्म संसद को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। 

TRT World ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ”सत्ताधारी नरेंद्र मोदी की सरकार से जुड़े कट्टर दक्षिणपंथी समूह के नेताओं ने भारत में अल्पसंख्यकों के सफ़ाए की अपील की है। ख़ासकर भारत के 20 करोड़ मुसलमानों को निशाने पर लिया गया है”। 

TRT World की रिपोर्ट में कहा गया है कि – “पीएम मोदी ने अमेरिका द्वारा आयोजित डेमोक्रेसी समिट में कहा था कि भारतीयों में कानून के शासन का सम्मान और सर्वधर्म सम्मान की लोकतांत्रिक भावना निहित है। हिंदुत्व के नेताओं का विवादास्पद सम्मेलन इसके एक हफ्ते बाद आया है”। 

रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए लिखा गया है, ‘2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद से, हिंदुओं की भीड़ ने दर्जनों लोगों, मुख्य रूप से मुस्लिम और दलित हिंदुओं को अवैध रूप से गायों की बिक्री या गोमांस खाने के संदेह में पीट-पीट कर मार डाला है”। 

टीआरटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ”30 जनवरी, 1948 को गोडसे ने गांधी की हत्या की थी और उनका जुड़ाव भी हिन्दुत्व की विचारधारा से ही था। भारत में लव-जिहाद के नाम पर भी मुसलमानों को निशाना बनाया गया है। इसके अलावा दिल्ली से सटे गुड़गाँव में मुसलमानों को खुले में नमाज़ नहीं पढ़ने दिया जा रहा है। ”

तेहरान के न्यूज पेपर IQNA ने भी ‘hindu extremists call for muslim genocide during hate speech meeting’ शीर्षक से ख़बर को प्रमुखता से छापा है। 

पाकिस्तान के प्रमुख न्यूज चैनल ‘जियो न्यूज’ ने धर्म संसद को ‘हेट स्पीच कॉन्क्लेव’ करार दिया है। जियो टीवी ने लिखा है कि तीन दिवसीय हेट स्पीच कॉन्क्लेव में कई ऐसे भाषण दिए गए जिनमें धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया। इस धर्म संसद में हिंदू समूहों से ये भी अपील की गई कि अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हथियार उठा लें।

पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट डॉन ने लिखा है कि हिंदू महासभा की महासचिव साध्वी अन्नपूर्णा ने भी हथियारों और नरसंहार के लिए लोगों को उकसाने का काम किया है। 

बाइलाइन टाइम्स के पत्रकार सी जे वार्ल्मन ने भी धर्म संसद पर अपनी टिप्पणी की है। उन्होंने अपने एक ट्वीट में हिंदुत्व की तुलना हिटलर के यहूदीवाद से की है। वार्ल्मन ने लिखा, ‘यहूदीवाद और हिंदुत्व दोनों एक ही हैं। एक्सरे। सीजे वार्ल्मन ने कार्यक्रम का वीडियो क्लिप ट्विटर पर पोस्ट किया है। इस क्लिप में कट्टर हिन्दूवादी नेताओं के भाषण का अंग्रेज़ी में अनुवाद भी है’।

पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार हामिद मीर ने हरिद्वार के कार्यक्रम की हेट स्पीच का वीडियो क्लिप रिट्वीट करते हुए लिखा है, ”यह महिला भारतीय मुसलमानों के ख़िलाफ़ खुलेआम हिंसा के लिए उकसा रही है। यह हिटलर की महिला संस्करण है, जो निकट भविष्य में जनसंहार को अंजाम देने की योजना बना रही है। यह महिला साबित कर रही है कि मोहम्मद अली जिन्ना बिल्कुल सही थे कि उन्होंने मुसलमानों के लिए अलग पाकिस्तान बनाया। शुक्रिया जिन्ना साहब”।

हरिद्वार का वीडियो क्लिप रिट्वीट करते हुए इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने लिखा है, ”आईएमसीए हिन्दू राष्ट्रवादियों की भारत में मुसलमानों के जनसंहार की अपील की निंदा करता है। जिसमें पिछले दिनों हिन्दू अतिवादी नेताओं ने धर्म संसद का आयोजन किया और इसमें मुसलमानों के ख़िलाफ़ हथियार उठाने की अपील की गई है।”

द विल्सन सेंटर में साउथ एशिया असोसिएट और लेखक माइकल कगलमैन ने ट्वीट कर लिखा है, ”पिछले हफ़्ते भारत में तीन दिन का एक विशुद्ध नफ़रत फैलाने वाला कार्यक्रम हुआ। इसमें अल्पसंख्यकों के प्रति हिंसा के लिए भी उकसाया गया। यह डरावना है। लेकिन सरकार की ओर से कोई सख़्ती या निंदा नहीं है। दुखद सच्चाई यह है कि बहरा करने वाली चुप्पी कम से कम हैरान करने वाली नहीं है। इसमें एक वक्ता सत्ताधारी बीजेपी का था और बाक़ी लोग भी बीजेपी से जुड़े हुए हैं।”

माइकल के इस ट्वीट को पाकिस्तान के सूचना मंत्री फ़वाद चौधरी ने भी रिट्वीट किया है। पाकिस्तान के सभी अख़बारों ने इसे प्रमुखता से छापा है। अंग्रेज़ी अख़बार डॉन और एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने मोदी सरकार पर भारत के मुसलमानों से भेदभाव का आरोप लगाया है। 

अमेरिका की टेनिस स्टार मार्टिना नवरातोलिया ने भी इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने धर्म सभा के कार्यक्रम का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, ‘ये हो क्या रहा है?’ 

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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