Wednesday, April 24, 2024

‘दिल्ली कूच’ के लिए किसानों ने बैरियर तोड़ा

भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ग्रुप के किसानों ने नेशनल हाइवे नम्बर-1 दिल्ली-चंडीगढ़-अंबाला रोड पर बैरिकेड तोड़ दिए हैं। इन किसानों के जत्थे को रोकने के लिए अब कुरुक्षेत्र जिले के शाहबाद इलाके में त्योड़ा के पास नाकेबंदी कर दी गई है। इस बीच डबवाली बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को वापस जाने पर मज़बूर कर दिया। डबवाली बॉर्डर के पास राजस्थान के गंगानगर जिले के भाकियू कार्यकर्ता भी जमा हैं। सबसे ज़्यादा नज़रें हरियाणा-पंजाब सीमाओं पर हैं। हरियाणा सरकार ने पंजाब के किसानों की जत्थेबंदियों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए इन सीमाओं को सील कर रखा है।

अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति ने 26-27 नवंबर को दिल्ली कूच का आह्वान कर रखा है। दिल्ली से लगते कृषि आंदोलनों के लिए चर्चित रहने वाले हरियाणा और पंजाब से ही सबसे ज़्यादा किसानों के दिल्ली पहुंचने की संभावना को देखते हुए हरियाणा में सरकार ने कड़े इंतज़ाम किए हैं। परसों रात से किसान नेताओं की गिरफ़्तारियां भी शुरू कर दी गई थीं। पंजाब में कांग्रेस सरकार है और वहाँ किसानों के आंदोलन को लेकर सरकार की तरफ़ से रोक-टोक नहीं है। आंदोलन के दबाव में ही पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की पुत्रवधु को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। पंजाब से दिल्ली पहुँचने का रास्ता हरियाणा से होकर जाता है।

ऐसे में हरियाणा सरकार ने अपने राज्य की पंजाब सीमाओं को सील कर रखा है। भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ग्रुप के किसानों ने बुधवार दोपहर को नेशनल हाइवे नम्बर-1 दिल्ली-चंडीगढ़-अंबाला रोड पर बैरिकेड तोड़ दिए हैं। किसानों ने वॉटर कैनन की परवाह नहीं की और पुलिस की नाकेबंदी तोड़ डाली। ट्रैक्टर-ट्रोलियों, कारों और विभिन्न वाहनों पर सवार किसानों के जत्थे यहाँ से दिल्ली के लिए निकल पड़े हैं पर आगे कुरुक्षेत्र जिले में शाहबाद इलाके के त्योड़ा में नाकेबंदी कर दी गई है। ये इलाके चढ़ूनी के प्रभाव वाली भाकियू के गढ़ माने जाते हैं और दो महीने पहले चढूनी ने पीपली में रैली की थी तो इस इलाक़े में जगह-जगह बैरीकेड तोड़ दिए गए थे। पीपली में किसानों पर लाठीचार्ज भी हुआ था पर रैली को रोका नहीं जा सका था।

भाकियू चढ़ूनी का असर हरियाणा के पंजाब से लगते इलाक़ों में अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर आदि जिलों के अलावा सिरसा में भी माना जाता है। भाकियू के कई दूसरे ग्रुप और विभिन्न किसान संगठन पिछले काफ़ी समय से अपने-अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में आंदोलन की तैयारिय़ों में जुटे हुए थे। ख़बर है कि डबवाली-सिरसा रोड पर खुइयां-मलकाना नाके पर धरने पर बैठे किसानों ने बुधवार दोपहर को पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को वापस लौटा दिया। पैरोल पर जेल से बाहर चौटाला इधर से कहीं जा रहे थे।

उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया कि वे परिवार के कुछ कार्यक्रमों में व्यस्त हैं पर किसानों के साथ हैं। डबवाली के पास हरियाणा-पंजाब ब़ॉर्डर पर पंजाब के किसानों को रोकने के पुख़्ता प्रबंध किए गए हैं। सिरसा जिले के आंदोलनकारी नेता सुरेश ढाका ने बताया कि भाकियू के जोगेंद्र उगरावां के समर्थकों का रास्ता भी यही पड़ता है। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी किसान शांतिपूर्वक ढंग से आंदोलन ज़ारी रखेंगे और हर हालत में दिल्ली कूच करेंगे।

बुधवार दोपहर को डबवाली बॉर्डर पर हनुमानगढ़-गंगानगर के भाकियू कार्यकर्ता भी जमा होने शुरू हो गए हैं। फतेहाबाद-खन्नौरी-संगरूर भी सील है। अंबाला के पास शम्भू बॉर्डर पर भी पंजाब की तरफ़ किसान डेरा डाले हुए हैं। उधर पंजाब के भाकियू नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा है कि पंजाब के किसानों की एंट्री रोकने के लिए मोदी और खट्टर सरकार की सीमाओं को सील करने की कार्रवाई असंवैधानिक है। पंजाब भारत का हिस्सा है। यह कार्रवाई पंजाबियों के दिमाग़ में इस तरह की कड़वाहट पैदा करती है जैसे कि वे भारत के नागरिक नहीं हैं। हरियाणा और उत्तराखंड में नेताओं की गिरफ्तारी भी निंदनीय है। तानाशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी पर इस सब के बावजूद किसान हमेशा की तरह शांतिपूर्ण रहेंगे ।

(जनचौक के रोविंग एडिटर धीरेश सैनी की रिपोर्ट।)

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