Friday, March 29, 2024

किसान आंदोलन स्थगित! 11 दिसंबर को ‘किसान विजय दिवस यात्रा’ के साथ घर वापसी करेंगे किसान

सरकार के लिखित प्रस्ताव के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की आज की बैठक में किसान आंदोलन स्थगित करने और घर वापसी को लेकर सहमति बन गई है । पूरे 378 दिन बाद किसान आंदोलन स्थगित करके11 दिसंबर को ‘किसान विजय दिवस यात्रा’ निकालने के साथ दिल्ली बॉर्डर से घर वापस जाना शुरू करेंगे किसान। घर जाने से पहले किसान अमृतसर में गुरुद्वारे में मत्था टेकेंगे। साथ ही आज की बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा ने 15 जनवरी को दिल्ली में समीक्षा बैठक रखी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने आज की बैठक के बाद कहा कि सबसे बड़ी चिंता किसानों पर केस की वापसी को लेकर थी उस पर सरकार ने आश्वासन दिया है। 

पराली पर भी सरकार ने पहले ही घोषणा कर दिया है। एमएसपी पर सरकार ने कमेटी गठित कर दी है। केंद्र सरकार ने हमें एमएसपी पर ख़रीद का भरोसा दिया है। हालांकि लखीमपुर खीरी कांड के अपराधी अभी बाहर हैं। 15 जनवरी को हम सरकार के वादे की समीक्षा दिल्ली में करेंगे। उसके बाद निर्णय लेंगे कि कैसे अपने संघर्ष को आगे बढ़ाया जायेगा। संयुक्त किसान मोर्चा के साथ एक राष्ट्रीय स्तर पर किसानों की आवाज़ उठाने वाला मंच मिला है। हम किसानों ने अपनी राजनीतिक ताक़त का मुजायरा किया है। 

संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस वार्ता में कहा कि कल 10 दिसंबर को जनरल विपिन रावत व सेना के जवानों की अंत्येष्टि के चलते किसान 11 दिसंबर को दिल्ली बॉर्डर समेत तमाम प्लाजों तथा देश के तमाम गांवों, नुक्कड़ों पर चल रहा किसान आंदोलन को स्थगित कर ‘किसान विजय दिवस यात्रा’ के साथ घर  अपने घर वापस चले जायेंगे। किसान नेता योगेंद्र यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “एमएसपी के लिए चलने वाला संघर्ष लम्बा है, किसान आंदोलन से किसान को इस संघर्ष को करने के लिए ज़मीन दे दी है। अब किसान आंदोलन निर्णायक मोड़ पर है, इस आंदोलन से किसान ने एकता कमाई है।”

इससे पहले लंबित मांगों को माने जाने के प्रस्ताव को सुधार के साथ सरकार ने बुधवार को मोर्चा की कमेटी के पास भेजा था। कमेटी ने प्रस्ताव के सभी बिंदुओं पर मोर्चा की कुंडली बॉर्डर पर चली बैठक में रखा, जिस पर सभी किसान नेताओं ने हामी भर दी। एसकेएम की 5 सदस्यीय कमेटी के सदस्यों गुरनाम सिंह चढूनी, शिवकुमार कक्का, युद्धवीर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल व अशोक धवले ने पत्रकारवार्ता कर इसकी जानकारी दी थी। 

जश्न मनाने की अपील 

एआईकेएमएस पूरे देश के किसानों और किसान संगठनों को बधाई दिया है और उनसे इस ऐतिहासिक जीत का जश्न सामूहिक सभाओं के साथ मनाने का आह्वान किया है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने वर्तमान मोर्चों को स्थगित कर 11 दिसम्बर को जश्न के साथ वापस जाने का निर्णय लिया है। अमल के मूल्यांकन और अगली रणनीति के लिए 15जनवरी 2022 को दिल्ली में बैठक होगी।

एआईकेएमएस उन सभी लोकतांत्रिक ताकतों और जन संगठनों को बधाई दिया है जिन्होंने इस संघर्ष के दौरान बहुमूल्य समर्थन दिया, विशेष रूप से आईएफटीयू और प्रमस को। हम उन सभी लोगों के प्रति भी अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिन्होंने आंदोलन के दौरान भोजन, सुविधाएं और चिकित्सा शिविर प्रदान किए।
AIKMS किसानों पर लखीमपुर खीरी नरसंहार के 5 शहीदों, 26 जनवरी और करनाल की घटना के शहीदों और 700 से अधिक किसानों को श्रद्धांजलि देता है जिन्होंने दिल्ली मोर्चा में रहते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।
आज केंद्र सरकार का पत्र प्राप्त करने के बाद, जिसमें उसने एसकेएम द्वारा उठाए गए संदेहों को स्पष्ट किया है, अपनी बैठक में एसकेएम ने दिल्ली के आसपास के मौजूदा मोर्चों को वापस लेने का निर्णय लिया।

मुद्दों का समाधान इस प्रकार है:
1. 3 कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया है।
2. सरकार एमएसपी में मांग को पूरा करने के लिए एक समिति का गठन करेगी जिसमें एसकेएम के प्रतिनिधि भी सदस्य होंगे। समिति का कार्य यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी किसानों को एमएसपी का आश्वासन कैसे दिया जा सकता है। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि राज्यों में एमएसपी पर फसलों की सरकारी खरीद को, जो खरीद की जा रही है, उससे कम नहीं किया जाएगा।
3. सरकार के पत्र में कहा गया है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली सहित केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के विभागों द्वारा आंदोलन के दौरान दर्ज सभी केसों को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाएगा।
4. राज्य सरकारें इस आंदोलन में शहीद हुए सभी लोगों के परिवारों को मुआवजा प्रदान करेंगे, जिसके लिए हरियाणा और यूपी ने अपनी सहमति दे दी है और पंजाब ने पहले ही अपनी घोषणा कर दी है।
5. बिजली विधेयक पर एसकेएम सहित सभी हितधारकों के साथ चर्चा करने के बाद ही संसद में चर्चा की जाएगी।
6. पराली जलाने से संबंधित अधिनियम की धारा 14 और 15 के प्रावधानों से किसानों पर आपराधिक दायित्व को हटाया जाएगा।

इस आंदोलन ने न केवल भारतीय कृषि और किसानों पर कॉरपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा इस नव उदारवादी फासीवादी हमले को निर्णायक रूप से पीछे धकेल दिया है, इसने किसान पक्शधर सुधारों के लिए राष्ट्रीय एजेंडे में एमएसपी के मुद्दे को भी लाया है। सरकार ने समिति के एजेंडे के रूप में सभी किसानों को एमएसपी की गारंटी देने की अवधारणा को स्वीकार कर लिया है। पर यह हमारी मांग के करीब नहीं है, जो है ए) सभी किसानों के लिए सभी फसलों के लिए एमएसपी घोषित हो, बी) एमएसपी को सी 2 पर समग्र लागत के अनुसार पारदर्शी रूप से गणना की जाए और प्लस 50% पर घोषित किया जाए, और सी) सरकार द्वारा ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिसमे घोषित एमएसपी पर सभी फैसलों की सरकारी खरीद की गारंटी की जाए।
इस जीत ने न केवल एमएसपी के मुद्दे पर पूरे भारत के किसानों में जागरूकता पैदा की है, बल्कि इस मांग के लिए भारत के नागरिकों के बीच व्यापक सहानुभूति और समर्थन पैदा किया है। यदि समिति परिणाम नहीं देती है, तो अब हमारा काम है कि हम इस मुद्दे पर एक राष्ट्रव्यापी संघर्ष का निर्माण करें, जो उतना ही दृढ़ हो, जैसा कि हमने अभी जीता है।

हम इस बात पर प्रकाश डालना चाहते हैं कि इस आंदोलन ने अपनी अन्य उपलब्धियों के साथ-साथ आरएसएस के नेतृत्व वाली मोदी सरकार के सांप्रदायिक और फासीवादी हमले को पीछे धकेल दिया है। इसमें पंजाब द्वारा कोरोना लॉकडाउन 1, हरियाणा में कोरोना लॉकडाउन 2 और 28 जनवरी को गाजीपुर में आरएसएस और पुलिस के हमले के खिलाफ बहादुरी और दृढ़ संकल्प का विशेष महत्व है।

इस आंदोलन ने पूरे भारत में किसानों और उनके संगठनों को एकजुट और गोलबंद करके भारतीय किसानों की कई समस्याओं पर एक राष्ट्रव्यापी संघर्ष के लिए बेहतर परिस्थितियों पैदा की है। इसने एकमात्र उपाय के रूप में चुनावी विकल्प के विरोध में संघर्ष की जमीन को मजबूत किया है। इसने लोकतांत्रिक ताकतों और लोगों के लिए आवाज उठाने के लिए जगह बनाई है। इसने किसानों के खिलाफ आरएसएस, सरकार और गोदी मीडिया के शरारती प्रचार का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया है, उनके द्वारा किसानो को राष्ट्र विरोधी के रूप में चित्रित करने के प्रयास विफल किए हैं। 
इस महत्वपूर्ण जीत का जश्न मनाया जाना चाहिए। एआईकेएमएस पूरे देश में अपनी सभी इकाइयों और किसानों से जीत को मजबूत, व्यापक करने, एकता में दृढ़ रहने और एमएसपी, कर्ज माफी, आजीविका संसाधनों की रक्षा और अन्य सभी लंबित मुद्दों पर किसानों के जन आंदोलनों का निर्माण करने का आह्वान करता है।

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