Friday, April 19, 2024

भारत भूख सूचकांक में अफगानिस्तान के करीब; म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका की स्थिति देश से बेहतर

अभी तीन दिन पहले बुधवार 12 अक्तूबर, 22 को सुर्खियाँ दिखीं कि भारत भले ही इस समय 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा हो लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) का मानना है कि इसमें 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का माद्दा है। दो दिन पहले सुर्खियाँ दिखीं कि साल 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और इससे आगे केवल अमेरिका और चीन ही होंगे। अब आज शनिवार को सुर्खियाँ दिख रही हैं कि भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में पाकिस्तान से पीछे: छह पॉइंट गिरकर 107वें नंबर पर पहुंचा। अब अपन तो अर्थशास्त्री हैं नहीं जो इन सुर्ख़ियों का गुधार्थ साझ सकें पर एक नागरिक की हैसियत से यही समझ में आ रहा है कि कोई न कोई तो झूठ बोल ही रहा है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स के आंकड़ों को देखें तो जाम्बिया, अफगानिस्तान, तिमोर-लेस्ते, गिनी-बिसाऊ, सिएरा लियोन, लेसोथो, लाइबेरिया, नाइजर, हैती, चाड, डेम कांगो, मेडागास्कर, मध्य अफ्रीकी गणराज्य और यमन की स्थिति भारत से भी खराब है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गिनी, मोजाम्बिक, युगांडा, जिम्बाब्वे, बुरुंडी, सोमालिया, दक्षिण सूडान और सीरिया सहित 15 देशों के लिए रैंक का निर्धारण नहीं किया जा सका है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में लगातार दूसरे साल गिरावट दर्ज की गई है। 2022 की लिस्ट में हमें 107वीं रैंक मिली है। पिछले साल भारत 101 नंबर पर था। इस लिस्ट में कुल 121 देश शामिल हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल हमसे बेहतर स्थिति में हैं।

पाकिस्तान की रैंकिंग 99, बांग्लादेश की 84, नेपाल की 81 और श्रीलंका की 64 है। सिर्फ अफगानिस्तान ही 109वीं रैंक के साथ भारत से पीछे है। बीते दो सालों में भारत की पोजिशन में 13 अंकों की गिरावट आई है। 2019 में हम 94वीं रैंक पर थे। इस सूची में 17 देश एकसाथ टॉप पर आए हैं। इनमें चीन, तुर्की और कुवैत शामिल हैं। इनका ग्लोबल हंगर इंडेक्स स्कोर 5 से कम है।

इस रिपोर्ट को लेकर भारत सरकार ने कहा है कि गलत जानकारी देना ग्लोबल हंगर इंडेक्स का हॉलमार्क लगता है। सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि भारत की छवि खराब करने के लिए की गई कोशिश साफ देखी जा सकती है। भारत को ऐसे देश के रूप में दिखाया जा रहा है जो अपनी आबादी के लिए फूड सिक्योरिटी और पोषण की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है।

यह इंडेक्स भुखमरी को गलत तरीके से मापता है। इसमें जो मेथड इस्तेमाल किया जाता है वह भी गंभीर रूप से गलत है। इस इंडेक्स के चार में से तीन इंडिकेटर बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े हैं और पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

पिछले साल ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 100 के पार रैंक जाने के बाद भारत सरकार ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए थे। सरकार ने इसे जमीनी हकीकत से बिल्कुल अलग बताया था। सरकार ने दावा किया था कि इस इंडेक्स को तैयार करने में जो मेथडोलॉजी इस्तेमाल की गई है, वह साइंटिफिक नहीं है।

मंत्रालय ने अपने बयान में फूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) की ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2021’ पर भी सवाल उठाए हैं। हंगर इंडेक्स में अंडरनरिश्मेंट का डेटा एफएओ की इसी रिपोर्ट से लिया गया है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स बताता है कि किसी भी देश में भुखमरी की स्थिति क्या है। इस लिस्ट को हर साल कंसर्न वर्ल्डवाइड और वर्ल्ड हंगर हेल्प नामक यूरोपियन एनजीओ तैयार करते हैं। दुनियाभर के अलग-अलग देशों में 4 पैमानों का आकलन कर इंडेक्स को तैयार किया जाता है। इस साल भारत का स्कोर 29.1 है। पिछले साल यह स्कोर 27.5 था।

हर देश का ग्लोबल हंगर इंडेक्स स्कोर 3 डायमेंशन के 4 पैमानों पर कैलकुलेट किया जाता है। ये तीन डायमेंशन हैं- अंडररिशमेंट, चाइल्ड मोर्टालिटी, चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन। चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन में दो कैटेगरी हैं- चाइल्ड वेस्टिंग और चाइल्ड स्टंटिंग।

1. अंडरनरिशमेंट: अंडरनरिशमेंट यानी एक स्वस्थ व्यक्ति को दिनभर के लिए जरूरी कैलोरी नहीं मिलना। आबादी के कुल हिस्से में से उस हिस्से को कैलकुलेट किया जाता है जिन्हें दिनभर की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त कैलोरी नहीं मिल रही है।

2. चाइल्ड मोर्टालिटी: चाइल्ड मोर्टालिटी का मतलब हर एक हजार जन्म पर ऐसे बच्चों की संख्या जिनकी मौत जन्म के 5 साल की उम्र के भीतर ही हो गई।

3. चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन, इसमें 2 कैटेगरी आती हैं चाइल्ड वेस्टिंग: चाइल्ड वेस्टिंग यानी बच्चे का अपनी उम्र के हिसाब से बहुत दुबला या कमजोर होना और 5 साल से कम उम्र के ऐसे बच्चे, जिनका वजन उनके कद के हिसाब से कम होता है। ये दर्शाता है कि उन बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिला इस वजह से वे कमजोर हो गए।

चाइल्ड स्टंटिंग: चाइल्ड स्टंटिंग का मतलब ऐसे बच्चे जिनका कद उनकी उम्र के लिहाज से कम हो। यानी उम्र के हिसाब से बच्चे की हाइट न बढ़ी हो। हाइट का सीधा-सीधा संबंध पोषण से है। जिस समाज में लंबे समय तक बच्चों में पोषण कम होता है वहां बच्चों में स्टंटिंग की परेशानी होती है।

इन तीनों आयामों को 100 पॉइंट का स्टैंडर्ड स्कोर दिया जाता है। इस स्कोर में अंडरनरिशमेंट, चाइल्ड मोर्टलिटी और चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन तीनों का एक-एक तिहाई हिस्सा होता है। स्कोर स्केल पर 0 सबसे अच्छा स्कोर होता है, वहीं 100 सबसे बुरा।

दक्षिण एशियाई देशों की बात करें तो भारत की स्थिति युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान से कुछ बेहतर है। अफगानिस्तान इस सूची में 109वें स्थान पर है। 29.1 स्कोर के साथ ग्लोबल हंगर इंडेक्स के प्रकाशकों ने भारत में ‘भूख’ की स्थिति को गंभीर बताया है। अगर पड़ोसी देशों की बात करें तो पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार की स्थिति हमसे बेहतर है। 121 देशों की सूची में पाकिस्तान 99वें, श्रीलंका 64वें, बांग्लादेश 84वें, नेपाल 81वें व म्यांमार 71वें स्थान पर है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स के आंकड़ों को देखें तो जाम्बिया, अफगानिस्तान, तिमोर-लेस्ते, गिनी-बिसाऊ, सिएरा लियोन, लेसोथो, लाइबेरिया, नाइजर, हैती, चाड, डेम कांगो, मेडागास्कर, मध्य अफ्रीकी गणराज्य और यमन की स्थिति भारत से भी खराब है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गिनी, मोजाम्बिक, युगांडा, जिम्बाब्वे, बुरुंडी, सोमालिया, दक्षिण सूडान और सीरिया सहित 15 देशों के लिए रैंक का निर्धारण नहीं किया जा सकता है।

ताजा ग्लोबल हंगर रिपोर्ट को लेकर भारत में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। जहां एक ओर सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है वहीं, दूसरी ओर विपक्ष इस रिपोर्ट पर सरकार को घेरने में लगा है। केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट को लेकर कहा है कि यह वैश्विक स्तर पर देश की छवि को खराब करने की कोशिश है।

भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) 35 से 38 फीसदी के बीच है और क्षेत्र में अफगानिस्तान में यह दर सबसे अधिक है। भारत में अल्पपोषण की व्यापकता 2018-2020 में 14.6 प्रतिशत से बढ़कर 2019-2021 में 16.3 हो गयी है। इसका मतलब है कि दुनियाभर के कुल 82.8 करोड़ में से भारत में 22.43 करोड़ की आबादी अल्पपोषित है। पांच साल की आयु तक के बच्चों में मृत्यु दर के सबसे बड़े संकेतक ‘चाइल्ड वेस्टिंग’ की स्थिति भी बदतर हुई है। 2012-16 में 15.1 प्रतिशत से बढ़कर 2017-21 में यह 19.3 प्रतिशत हो गया है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार को 8.5 वर्ष में भारत को अंधकार के इस युग में लाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया कि 2014 के बाद से वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की खतरनाक, तेज गिरावट। मोदी सरकार भारत के लिए विनाशकारी है। ‘बफर स्टाक’ से ऊपर बेहद कम खाद्य भंडार की वजह से महंगाई बढ़ रही है। 8.5 वर्ष में भारत को अंधकार के इस युग में लाने की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए।

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा, ‘माननीय प्रधानमंत्री बच्चों में कुपोषण, भूख, नाटेपन और ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट’ जैसे वास्तविक मुद्दों से कब निपटेंगे? भारत में 22.4 करोड़ लोगों को अल्पपोषित माना जा रहा है।’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘2014 के बाद से मोदी सरकार के आठ वर्ष में हमारा ‘स्कोर’ खराब हुआ है, 16.3 प्रतिशत भारतीय अल्पपोषित हैं जिसका मतलब है कि उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है। हिंदुत्व, हिंदी थोपना और नफरत फैलाना भूख मिटाने की दवा नहीं है। इसके अलावा कार्ति चिदंबरम ने ट्वीट किया, भाजपा सरकार इन आंकड़ों को खारिज कर देगी और स्टडी करने वाले संगठन पर छापा मारेगी।

इन आंकड़ों के सामने आने के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, भाजपा भारत को पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने के बारे में भाषण देती है, लेकिन 106 देश दिन में दो समय का भोजन उपलब्ध कराने में हमसे बेहतर हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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