भाजपा कश्मीर में एक देश एक संविधान की रट लगाये हुए है और कट्टर राष्ट्रवाद उसका नारा है लेकिन उसकी राज्य सरकारें वोट के लिए गोपनीयता से संकीर्ण राज्यवाद या क्षेत्रवाद चला रही हैं और राष्ट्रवाद की धज्जियां उड़ा रही हैं। शिवसेना या दक्षिण के राजनीतिक दल या असम के उग्रवादी,या बंगाली और उड़िया मानुष जब नौकरियों में केवल अपने अपने राज्य के लोगों को ही शत-प्रतिशत वरीयता देने की बात करते हैं तो बवाल मच जाता है और संविधान तथा संघीय व्यवस्था की बात होने लगती है, लेकिन भाजपा की राज्य सरकारें यही काम पूरी गोपनीयता से करने लगती हैं तो सारा राष्ट्रवाद और संघवाद तिरोहित हो जाता है। दरअसल सभी राज्यों को बिहार और यूपी के लडकों से परेशानी है क्योंकि ये ज्यादातर नौकरियों में अपने मेरिट से उन राज्यों के मीडियाकरों को पछाड़ देते हैं। ताज़ा मामला हरियाणा का है जहां हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम ने 107 सहायक अभियंताओं की भर्ती रद्द कर दी है।
विपक्ष का आरोप था कि इस भर्ती की शॉर्ट लिस्ट में 80 में से सिर्फ 2 हरियाणवी थे! विपक्ष के लगातार इस मुद्दे को उठाने से सरकार सवालों के घेरे में थी और आखिरकार बिजली निगम ने भर्ती रद्द करने का आदेश जारी कर दिया। हालांकि ऐसा 2017 में चयन प्रक्रिया बदलने से हुआ था। दरअसल यह तो दिखने के दांत हैं, खाने के दांत की बात करें तो इनमें से ज्यादातर अभियंता बिहार के हैं, कुछ उत्तर प्रदेश के भी हैं। अब यदि बिहार और उत्तर प्रदेश के लड़कों से इतनी ही चिढ़ है तो आवेदन मांगते ही समय घोषित कर दें कि बिहार और उत्तर प्रदेश के अभ्यर्थी आवेदन न करें।
दरअसल हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम ने 27 जून को विज्ञापन जारी करते हुए आवेदन मांगे थे। आवेदन के बाद जब मेरिट के आधार पर चयन सामने आया तो चर्चा चली कि हरियाणा में 80 में से हरियाणा के सिर्फ 2 ही युवाओं को मौका मिल पाया है 78 बाहरी हैं। मंगलवार को चर्चा उठी कि हरियाणा सरकार ने इस भर्ती को रद्द कर दिया। 4 अक्टूबर को हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड के डिप्टी सेक्रेटरी की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि इनके लिए आवेदन करने वाले युवा डिप्टी सेक्रेटरी को अपनी फीस वापसी के लिए लिख सकते हैं। इसके लिए अभ्यर्थियों को नाम, बैंक खाता, बैंक शाखा और आईएफएससी कोड उपलब्ध कराना होगा, जिसके बाद उन्हें फीस वापस कर दी जाएगी।
इस मामले में 30 अगस्त को ट्वीट करते हुए दुष्यंत चौटाला ने लिखा था कि हरियाणा की नौकरियों में 75 फीसद नौकरियां यहां के युवाओं को मिले। बिजली निगम में भर्ती किए गए कुल 80 एसडीओ में से 78 बाहरी राज्यों से हैं, जबकि हरियाणा से सिर्फ दो युवाओं को नौकरी मिल पाई। यह सरासर अन्याय है। एक तरफ भर्ती रद्द किए जाने के फैसले संबंधी पहलू पर बात करते हुए जजपा अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा के काबिल युवाओं की जीत बताया। दूसरी ओर सीएम ने इस पर विराम लगा दिया। सीएम ने कहा कि एसडीओ इलेक्ट्रिकल की भर्ती सरकार ने रोक लगा दी है। इसमें दुष्यंत चौटाला बेवजह इसका श्रेय ले रहे हैं। यह भर्ती हुई नहीं थी, इन पदों के लिए शॉर्ट लिस्ट किया था। सरकार ने इसके बाद अध्ययन किया, इसलिए इस भर्ती की प्रक्रिया पर इसके दोबारा से आवेदन लिए जाएंगे। संवैधानिक तरीके से हरियाणा के लोगों को ज्यादा मौका मिलेगा।
वैसे मेरा स्वयं का अनुभव भी ऐसा ही है। वर्ष 1977 में जब केंद्र और राज्यों में जनता पार्टी की सरकार बनी तो मध्य प्रदेश में जनसंघ कोटे से वीरेंद्र कुमार सखलेचा मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने एमपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष को गोपनीय हिदायत दी थी की प्रदेश के बाहर के लड़कों का आयोग की किसी नौकरी में चयन न किया जाय,इसकी जानकारी आयोग के ही एक सदस्य ने दी थी जो इलाहाबाद के रहनेवाले थे। आवेदन देने और क्वालीफाई करने पर रोक नहीं थी पर साक्षात्कार के समय उन्हें छांट दिया जाता था। नतीजतन ज्यादा अंक पाने और अधिक योग्यता के बावजूद यूपी और बिहार के लडके नहीं लिए जाते थे। दरअसल भाजपा का यही दोहरा चेहरा उसका असली चाल चरित्र और चेहरा है।
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खट्टर सरकार ने हरियाणा बिजली निगम में एसडीओ पद पर चयनित यूपी-बिहार के 107 छात्रों का चयन किया रद्द
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