Thursday, March 28, 2024

चंडीगढ़ में किसानों पर वॉटर कैनन और लाठीचार्ज, तमाम राज्यों के राजभवन पहुंचे अन्नदाता

किसान आंदोलन के सात महीने पूरे होने और आपातकाल की 46 वीं वर्षगांठ पर आज ‘कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ दिवस मनाते हुये चंडीगढ़ राजभवन ज्ञापन देने पहुंचे किसान नेता बी राजेवाल, बलजीत, राजिंदर सिंह, कुलदीप सिंह समेत कई किसान नेताओं व किसानों पर पर वॉटर कैनन से पानी की बौछारें डालने के साथ ही लाठी चार्ज किया गया है। दूसरी ओर कर्नाटक की राजधानी बेंग्लुरु में राजभवन जाने की कोशिश कर रहे किसानों को गिरफ्तार करके हाई ग्राउंड पुलिस स्टेशन ले जाया गया है। वहीं गाज़ीपुर बॉर्डर पर बैठे भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी की भी अफवाह उड़ी लेकिन राकेश टिकैत ने इसका खंडन करते हुये कहा कि वो ग़ाजीपुर बॉर्डर पर डटे हुये हैं और उनकी गिरफ्तारी की बात पूरी तरह से झूठी है।

दिल्ली के उपराज्यपाल को मिलकर ज्ञापन सौंपने गये उत्तराखंड के किसानों को बाहर ही रोक दिया गया और मिलने नहीं दिया गया।

बता दें कि किसान आंदोलन के सात महीने पूरे होने और आपातकाल की 46 वीं वर्षगांठ पर आज ‘कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ दिवस मनाने का संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा अह्वान किया गया था। इसी सिलसिले में आज किसान और किसान नेता सभी राज्यों के राजभवन पर धरना-प्रदर्शन करने और राज्यपाल के मार्फत राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देने पहुंचे हैं। जबकि मुख्य कार्यक्रम के अंतर्गत कुंडली सीमा समेत अन्य धरनास्थलों से 32 किसान संगठन चंडीगढ़ राजभवन पहुंचे। उनके साथ वहां हरियाणा-पंजाब के किसान अलग-अलग ज्ञापन देने पहुंचे थे जहां उनका स्वागत केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीनस्थ चंडीगढ़ पुलिस द्वारा वॉटर कैनन और लाठीचार्ज करके किया गया।  

इसके पहले किसान नेताओं द्वारा आश्वासन दिया गया था कि आज मार्च के दौरान किसान पूरी तरह शांति बनाए रखेंगे और किसी तरह की तोड़फोड़ या उपद्रव की घटना नहीं होगी। साथ ही यह भी कहा गया था कि राजभवन में भी केवल चुनिंदा किसान नेता ही जाएंगे। मार्च करने वाले सभी लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं देंगे।

चंडीगढ़ की सीमा से लगे 13 रास्ते सील
तीनों केंद्रीय कृषि क़ानून के विरोध में आंदोलन कर रहे 32 किसान संगठनों द्वारा आज चंडीगढ़ राजभवन घेराव व राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के कार्यक्रम के मद्देनज़र चंडीगढ़ पुलिस ने सुरक्षा व कानून व्यवस्था को देखते हुए सभी थानों की पुलिस को अलर्ट पर रखा गया था। शहर की सीमाओं पर बैरिकेडिंग कर कड़ा बंदोबस्त किया गया। साथ ही मुल्लापुर बैरियर, जीरकपुर बैरियर, हाउसिंग बोर्ड चौक की सीमाओं समेत 13 रास्ते को बंद करके रखा गया।

कार्यक्रम के एक दिन पूर्व कल शुक्रवार को ही यातायात पुलिस ने किसान संगठनों के चंडीगढ़ घेरने के एलान को देखते हुए एडवाइजरी जारी कर दी थी, जिसमें शहर के 13 रास्तों को शनिवार सुबह 10 से शाम 6 बजे तक आम लोगों के लिए बंद करने का फैसला लिया गया था। यातायात पुलिस की ओर से जारी एडवाइजरी में बताया गया कि मुल्लापुर बैरियर, जीरकपुर बैरियर, सेक्टर-5/8 मोड़, हीरा सिंह चौक, सेक्टर-7/8 मोड़, लेक मोड़, सेक्टर-7 आवासीय इलाका (पीआरबी के सामने), गोल्फ मोड़, गुरसागर साहिब मोड़, मौलीजागरां पुल, हाउसिंग बोर्ड पुल के पास, किशनगढ़ मोड़ और मटौर बैरियर को आम लोगों के लिए बंद किया गया है। 

छह एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट तैनात

शहर में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए डीसी मनदीप सिंह बराड़ ने छह एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट तैनात किये हैं। इसमें अलग-अलग इलाकों में पीसीएस तेजदीप सिंह सैनी, एचसीएस प्रद्युम्न सिंह, एचसीएस विराट, जनसंपर्क विभाग के निदेशक राजीव तिवारी, तहसीलदार विनय चौधरी और योगेश कुमार की तैनाती की गई है। इसके अलावा डीसी ने आदेश जारी किया है कि संबंधित एसडीएम प्रदर्शन के दौरान अपने इलाके के इंचार्ज बनाये गये हैं।

गौरतलब है कि तीन केंद्रीय कृषि कानून रद्द कराने की मांग के साथ शुरू हुये किसान आंदोलन को सात महीने पूरे हो गये हैं। जिसके उपलक्ष्य में आज चंडीगढ़ में 32 किसान संगठनों ने राजभवन की तरफ कूच किया। दोपहर करीब पौने एक बजे किसान पंचकूला के नाडा साहिब गुरुद्वारा से रवाना हुए। वहीं मोहाली से किसानों ने अंब साहिब से यादविंदर चौक की तरफ कूच किया। राजभवन की ओर जाते विरोध मार्च के दौरान किसान नेता रुलदू सिंह ने कहा कि आज के दिन इंदिरा गांधी की तरफ से इमरजेंसी लगाई गई थी। उसे याद करते हुए यह मोर्चा निकाला जा रहा है।


चंडीगढ़ का हाल 

यादविंदर चौक पर किसानों ने पुलिस के बैरिकेड तोड़ दिए। किसान नेता रणजीत सिंह ने कहा कि हमने 5000 तक के किसानों का टिकट सोचा था लेकिन अब तक 30 हजार से ज्यादा किसानों का टिकट हो चुका है। गौरतलब है कि राजभवन तक मार्च की रूपरेखा का खुलासा करते हुए रुलदू सिंह ने आज सुबह मीडिया को बताया था कि किसानों द्वारा यह मार्च पैदल ही किया जाएगा हालांकि बुजुर्ग किसान जो पैदल नहीं चल सकते, उनके लिए करीबी इलाकों से ट्रैक्टर-ट्रालियों की व्यवस्था की गयी।

दोपहर करीब एक बजे किसान चंडीगढ़ बॉर्डर पर पहुंचे। चंडीगढ़ पुलिस ने पूरी तरह बैरिकेडिंग कर रखी है और वॉटर कैनन भी तैनात कर दिए गए हैं। किसान बैरिकेड हटा रहे हैं। चंडीगढ़ पुलिस ने पानी की बौछार करनी शुरू कर दी है। किसान बैरिकेड तोड़कर चंडीगढ़ में घुसे। वहीं पंचकूला से भी किसान बैरिकेड तोड़कर चंडीगढ़ घुस गए हैं।

पंजाब के किसान जीरकपुर और मुल्लापुर बैरियर से चंडीगढ़ में घुसे। वहीं, हरियाणा के किसान हाउसिंग बोर्ड लाइट प्वॉइंट से चंडीगढ़ में आए। इन रास्तों पर पुलिस बल तैनात है। पंचकूला में पुलिस ने घग्गर नदी के पुल के पास हैवी बैरिकेडिंग की है। इसके अलावा किसानों को रोकने के लिए बैरिकेड के साथ सीमेंट की बीम भी लगाया गया है।

भारतीय किसान यूनियन एकता डकौंदा के प्रधान बूटा सिंह बुर्जगिल, सीनियर उपाध्यक्ष मनजीत सिंह धनेर, गुरमीत सिंह भट्टीवाल और महासचिव जगमोहन सिंह पटियाला ने बताया कि गुरुद्वारा अंब साहिब मोहाली में पंजाब के सभी 32 किसान नेता और अन्य संगठनों के नेता पहुंचे।

कृषि कानून रद्द कराने की मांग के लिए पिछले सात महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने शांतिपूर्ण तरीके से धरना-प्रदर्शन करने की बात कही है। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शनपाल, जगजीत सिंह दल्लेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव, युद्धवीर सिंह ने कहा कि यह दिन आपातकाल के 46 साल पूरे होने के तौर पर भी मनाया जा रहा है। क्योंकि तब नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर अंकुश लगा था और इस समय भी ऐसा ही अंकुश लगाया जा रहा है। सात महीने बाद भी सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है। उनकी आवाज को दबाया जा रहा है। 

लखनऊ राजभवन का घेराव, धारा 144 लागू 

वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में आज सैकड़ों किसानों ने ओसीआर बिल्डिंग, हजरतगंज लखनऊ में एकत्र होकर अपनी मांगें पूरी ना होने के विरुद्ध ‘रोष मार्च’ निकाला। ‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ के एक बड़े बैनर के पीछे खड़े होकर विरोध कर रहे किसानों ने ‘खेती के तीन काले कानून वापस लो’, ‘बिजली बिल 2020 वापिस लो’ और ‘सभी फसलों के एमएसपी का कानूनी अधिकार दो’ की मांग उठायी । साथ ही उन्होंने डीजल और खाद के दाम आधे करने के की मांग के भी नारे लगाये।

इसके बाद छः सदस्यों की प्रतिनिधिमंडल ने महामहिम कार्यालय जाकर रोष पत्र सौंपा। इनमें राजेश सिह चौहान, हरनाम वर्मा, डॉ. आशीष मित्तल, बलजिंदर सिंह मान, घनश्याम वर्मा व गुरमीत सिंह थे। नेतृत्व कर रहे लोगों मे भारतीय किसान यूनियन के उपाध्यक्ष राजेश सिंह चौहान, किसान यूनियन नेता हरनाम वर्मा, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा महासचिव डॉ आशीष मित्तल, तराई किसान संगठन पिन्दर सिंह सिद्धु व  परमजीत सिंह, गाजीपुर मोर्चा के बलजिंदर मान और वसु कुकरेजा, एनएपीएम की रिचा सिंह व अरुंधति धुरू, किसान पार्टी के डॉक्टर बीएल वर्मा, अखिल भारतीय किसान यूनियन के बब्लेश यादव, बीकेयू असली के प्रबल, एआईकेएमएस के शमशाद हुसैन, शिवाजी राय, अर्चना श्रीवास्तव व अन्य कई नेता शामिल रहे।

विरोध कर रहे किसानों को उनके नेताओं ने संबोधित करते हुए कहा कि योगी सरकार धारा 144 का दुरुपयोग कर विरोध और आलोचना को रोकने के प्रयास कर रही है। वह सरकार की जन विरोधी नीतियों को छुपाने और सरकार की झूठी प्रशंसा को बढ़ावा देने के लिए ऐसा कर रहे हैं। इस उद्देश्य से वह विरोध करने वालों के नेताओं को गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट, रासुका, आतंकवाद आदि कानूनों में पाबंद कर रही है। यह अघोषित इमरजेंसी के अलावा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि जब कोरोना वायरस से लोग परेशान थे, उस समय उन्हें स्वास्थ्य सुविधाओं की राहत देने की जगह सरकार उन पर अमानवीय जुर्माना लगा रही थी और महामारी कानून के तहत उन्हें पाबंद कर रही थी।

इसी तरह के एक दूसरे मार्च में शामिल किसान कार्यकर्ताओं ने तीन कृषि कानूनों की वापसी और एम एस पी गारण्टी कानून की मांग की। आज के इस रोष मार्च में प्रदेश के दो दर्जन किसान संगठन परिवर्तन चौक पर एकत्रित हुए। संयुक्त किसान मोर्चा उत्तर प्रदेश के बैनर तले निकले रोष मार्च को कुछ दूरी पर पुलिस ने बेरीकेट लगाकर रोक लिया। जहां महामहिम राज्यपाल के माध्यम से महामहीम राष्ट्पति को सम्बोधित ज्ञापन लेने प्रशासन के उच्च अधिकारी पहुंचे।

ज्ञापन में कहा गया कि देश के किसानों को उम्मीद थी कि आप ऐसे असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और किसान विरोधी कानूनों पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर देंगे। लेकिन आपने ऐसा नहीं किया।

आप जानते हैं कि हम सरकार से दान नहीं मांगते, बस अपनी मेहनत का सही दाम मांगते हैं। फसल के दाम में किसान की लूट के कारण खेती घाटे का सौदा बन गई, किसान कर्ज में डूब गए और पिछले 30 साल में 4 लाख से अधिक किसानों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसलिए हमने बस इतनी सी मांग रखी कि किसान को स्वामीनाथन कमीशन के फार्मूले (सी2+50%) के हिसाब से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी पूरी फसल की खरीद की गारंटी मिल जाए।

रोष मार्च से पूर्व एक नुक्कड़ सभा का आयोजन किया गया। जिसमें एआईकेएस नेता अतुल अंजान, एआइकेएम नेता पुरुषोत्तम शर्मा, ईश्वरी प्रसाद, पूर्व विधायक व एआइकेएस नेता राजेन्द्र यादव, यूपीकेएस के मुकुट सिंह, भारत सिंह, BKU स्वराज नेता कुलदीप पांडेय, BKU असली के नेता प्रबल प्रताप शाही, बीकेयू लोकतांत्रिक नेता राकेश सिंह चौहान, JKS  नेता रजनीश भारती, AIKF नेता क्रांति नारायण सिंह, BKU समाज नेता विनय दुबे, AIKKS नेता बाबूराम शर्मा, SKS  अनिल मिश्रा आदि ने किया। BKS नेता राजेन्द्र यादव, RBA नेता पीसी कुरील, ऐपवा नेता मीना सिंह, एआईकेएम नेता रमेश सेंगर व कृपा वर्मा ने भी संबोधित किया।


 आइपीएफ कार्यकर्ताओं ने खेती व लोकतंत्र को बचाने का संकल्प भी लिया। संकल्प प्रस्ताव में कहा गया कि मोदी राज में आज देश में आपातकाल से भी बदतर हालत हो गए हैं। सरकार यूएपीए, रासुका, राजद्रोह जैसे काले कानूनों के जरिए असहमति की हर आवाज को कुचलने और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर रही है। यहां तक कि दिल्ली हाईकोर्ट तक को कहना पड़ा कि इस सरकार ने आतंकवाद और सामान्य विरोध प्रदर्शन की बीच के फर्क को खत्म कर दिया है।

देश में भयंकर बेराजगारी है, महंगाई पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। पेट्रोल-डीजल के दामों में हो रही दिन प्रतिदिन वृद्धि ने आम नागरिक के सामने आजीविका का संकट पैदा कर दिया है। हद यह है कि सैकड़ों किसानों की कुर्बानी और हर तरह की विघ्न बाधाओं के बाद भी शांतिपूर्ण धरना कर रहे किसानों की जायज मांग को कारपोरेट हितों में लगी सरकार मानने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में देश में लोकतंत्र, खेती व सार्वजनिक सम्पदा की रक्षा के लिए बड़े पैमाने पर जन संवाद कायम करने का संकल्प प्रदर्शन में लिया गया।

विरोध प्रदर्शन का लखीमपुर खीरी में आइपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष डा. बी. आर. गौतम, सीतापुर में मजदूर किसान मंच नेता सुनीला रावत, युवा मंच के नागेश गौतम, अभिलाष गौतम, लखनऊ में वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष दिनकर कपूर, एडवोकेट कमलेश सिंह, सोनभद्र में कृपाशंकर पनिका, मंगरू प्रसाद गोंड़, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, सूरज कोल, श्रीकांत सिंह, रामदास गोंड़, शिव प्रसाद गोंड़, महावीर गोंड, आगरा में आइपीएफ महासचिव ई. दुर्गा प्रसाद, चंदौली में अजय राय, आलोक राजभर, डा. राम कुमार राय, गंगा चेरो, रामेश्वर प्रसाद, इलाहाबाद में युवा मंच संयोजक राजेश सचान, अध्यक्ष अनिल सिंह, इंजीनियर राम बहादुर पटेल, ईशान गोयल, मऊ में बुनकर वाहनी के इकबाल अहमद अंसारी, बलिया में मास्टर कन्हैया प्रसाद, गोण्डा में अमरनाथ सिंह, बस्ती में एडवोकेट राजनारायण मिश्र, वाराणसी में प्रदेश उपाध्यक्ष योगीराज पटेल आदि ने नेतृत्व किया।

आज विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम के दौरान देश के तमाम राज्यों के राजभवन के सामने किसान नेताओं ने कहा कि यह आंदोलन पूरे राज्य में बढ़ता चला जाएगा और सरकार को उसकी कारपोरेट पक्षधर नीतियों को वापस लेने के लिए मजबूर करेगा। ये कानून, जो अलोकतांत्रिक तरीके से कोविड महामारी की आड़ में थोपे गए थे, किसानों को बर्बाद कर देंगे। इनके कारण उन पर कर्जे बढ़ जाएंगे और वे अपनी जमीनों से बेदखल हो जाएंगे। इनसे लागत के दाम महंगे हो जाएंगे, फसल के दाम घट जाएंगे, राशन की सुरक्षा समाप्त हो जाएगी और खाने का भंडारण, खाद्य प्रसंस्करण और खाने के बाजार पर विशाल बहुराष्ट्रीय कंपनियां और कारपोरेट का एकाधिकार स्थापित हो जाएगा।

वहीं हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा है कि किसान आठ माह से बॉर्डर पर बैठे हैं। वे निराश हैं। इसलिए आंदोलन को जिंदा रखने के लिए उनके नेता रोज एक नया कार्यक्रम बनाते हैं। आज राजभवन में ज्ञापन देने की बात कही जा रही है। ऐसा होता रहता है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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