Thursday, March 28, 2024

अटल बनाम कल्याण की नई तस्वीर है योगी-मोदी का वायरल वीडियो

सोशल मीडिया पर एक वीडियो चल रहा है, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पैदल चलते नजर आ रहे हैं और सामने प्रधानमंत्री की गाड़ी भी साफ देखी जा सकती है,क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को  अपमानित करने के लिए वीडियो लीक किया गया है? क्योंकि इतना तो तय है कि वीडियोग्राफी निजी स्तर पर नहीं हुई होगी? क्या यूपी में नरेंद्र मोदी और योगी आदित्य नाथ के बीच तनाव इस स्तर तक बढ़ गया है कि चुनावी फायदे के लिए आयोजित हो रहे कार्यक्रम में भी दोनों के बीच शह और मात का खेल सार्वजानिक रूप से खेला जा रहा है? क्या यह यूपी में तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह और तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के बीच वर्चस्व की जंग कि याद ताजा नहीं कर रहा है? जिसमें कल्याण सिंह की मात हो गयी थी और अंततः गोविन्दाचार्य को राजनीतिक बियाबान में भटकने के लिए मजबूर होना पड़ा था?

क्या यह लालकृष्ण आडवाणी और डॉ मुरली मनोहर जोशी के बीच चले कोल्डवार और इसके परिणामस्वरूप 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार की याद नहीं दिला रहा है, जब आडवाणी खेमे ने डॉ. जोशी की इलाहाबाद संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में मिली भारी पराजय में सक्रिय भूमिका निभाई थी? दरअसल यह योगी के अपमान से भी ज्यादा संघ को चुनौती है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि संघ योगी को मोदी के विकल्प के रूप में आगे बढ़ा रहा है। लाख टके का सवाल है कि क्या इस विभाजन के सार्वजानिक प्रदर्शन के बाद भी यूपी में विधानसभा चुनाव जीतने की उम्मीद संघ परिवार और भाजपा कर सकती है?  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को सुल्तानपुर में थे। पीएम मोदी और सीएम योगी ने यूपी के सुल्तानपुर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण किया। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लोकार्पण कार्यक्रम से जुड़ा एक वीडियो ट्वीट कर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तंज किया है। अखिलेश यादव ने एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पैदल चलते नजर आ रहे हैं और सामने प्रधानमंत्री की गाड़ी भी साफ देखी जा सकती है। अखिलेश ने वीडियो ट्वीट करते हुए तंज करने वाले लहजे में लिखा है कि तुमने हमारी आवभगत का अच्छा सिला दिया। अखिलेश यादव इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने सीएम योगी पर कटाक्ष करते हुए आगे लिखा कि जनता से पहले तुमने ही हमें ‘पैदल’ कर दिया। बड़े बेआबरू होकर इन सड़कों से हम गुजरे।

विधानसभा चुनाव में सियासी लाभ के लिए उत्तर प्रदेश में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन तो जरूर किया लेकिन पीएम की गाड़ी के पीछे योगी आदित्य नाथ को पैदल चलाने का वीडियो वायरल होने से यह लाभ बहुत बड़े राजनीतिक नुकसान में बदलता नजर आ रहा है। सोशल मीडिया ने भारत के सामजिक ताने बाने में हाशिये पर रही एक जाति द्वारा एक दबंग अगड़ी जाति के मान अपमान से इसे जोड़ दिया है जिसका राजनीतिक खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।  

उत्तर प्रदेश में चुनावी पारा चढ़ रहा है। इसमें सत्ताधारी दल भाजपा के बीच चल रहे शह और मात के खेल ने इसकी आसन्न पराजय की पटकथा लिखनी शुरू कर दी है। आर्थिक दुरावस्था, अंधाधुंध निजीकरण, औने पौने दामों पर देश की सम्पत्तियों की बिक्री, भीषण महंगायी, भुखमरी, किसान आन्दोलन और बेरोजगारी इसमें कोढ़ में खाज का काम कर रही हैं। वैसे इतिहास है कि यूपी में कोई भी मुख्यमंत्री लगातार दूसरी बार शपथ नहीं ले पाया। इसमें दिल्ली और लखनऊ की लड़ाई के बीच क्या इस बार योगी आदित्यनाथ इतिहास बदलेंगे? यह लाख टके का सवाल है।  

यूपी में चुनावी बिगुल फूंकते हुए बीजेपी ने फिर से 300 पार का नारा दिया है। लेकिन गाजियाबाद से बलिया तक और झांसी से बहराइच तक हर गली चौबारे और नुक्कड़ों पर चाय के खोमचों तक भाजपा के चुनाव जीतने की सम्भावनाओं पर चर्चा नहीं हो रही है बल्कि लोग एक दूसरे से जानना चाह रहे हैं कि आखिर उनके जिलों में ऐसी कौन कौन सी सीट है जहां भाजपा के जीतने की क्षणिक भी सम्भावना है? स्थिति की गम्भीरता इससे समझी जा सकती है कि उन्हें एक भी ऐसी श्योर सीट नहीं दिख रही है जहां कहा जा सके कि इस पर भाजपा जीत सकती है।

उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन के मौके से ही कुछ सवाल आपस में टकराने शुरू हो गये थे। योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह या फिर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें बधाई नहीं दी? लेकिन राजनाथ सिंह ने खुले तौर पर बधाई दी थी? फिर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का भोजन निमंत्रण नहीं स्वीकार किया था? तब से शुरू भाजपा के आन्तरिक सत्ता संघर्ष में यदि नरेंद्र मोदी के न चाहने के बावजूद योगी सीएम की कुर्सी पर बने हुए हैं और दिल्ली दरबार के सामने बिना झुके स्वतंत्र फैसले ले रहे हैं तो यह उनकी पीठ पर संघ का हाथ होने से सम्भव हो पा रहा है। अब पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के उद्घाटन के दौरान योगी को अपमानित करने की कोशिश सीधे संघ को चुनौती है। वैसे भी राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि सत्ता ने संघ के कैडरों और बड़े बड़े नामों को पथभ्रष्ट कर दिया है और वे सुविधाभोगी बन गये हैं। ऐसे में इससे निपटना संघ की अग्निपरीक्षा है।

दरअसल 4 साल पहले उत्तर प्रदेश के अंदर तय हो गया था कि मुख्यमंत्री मनोज सिन्हा होंगे और उस वक्त केरल में आरएसएस की बैठक चल रही थी । दिल्ली में तय कर लिया गया और उसके बाद संदेशा संघ को भिजवाया गया कि मुख्य मंत्री मनोज सिन्हा होंगे। तो संघ की तरफ से जवाब था जब उन्होंने तय कर लिया है तो फिर जानकारी देने की क्या जरूरत? और उसके बाद 24 घंटे के अंदर ही परिस्थितियां पलट गईं।

योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए बैठक चल रही थी। लेकिन उस वक्त और अभी में काफी वक्त गुजर चुका है लेकिन खेमाबन्दी हो गयी है और तलवारें म्यान से बाहर हैं। 2022 को लेकर जो सियासी बिसात दिल्ली से बैठकर प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने बिछायी हैं, उसमें प्यादे का भी हक वह किसी भी हालत में योगी आदित्यनाथ को देना नहीं चाहते हैं। वहीं संघ के सहयोग से योगी आदित्यनाथ वजीर बनकर मात देने की परिस्थितियों को सीधा पैदा करने में लगे हैं।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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