Thursday, March 28, 2024

मोरबी पुल हादसे में  गुजरात हाईकोर्ट  के फटकार के बाद हलफनामा दाखिल, नए समझौते के लिए अनुमोदन की प्रति प्रस्तुत करने का आदेश

गुजरात उच्च न्यायालय ने कल मोरबी नगर पालिका (एमएनपी) से नए समझौते के अपने सामान्य बोर्ड की मंजूरी को रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया, जिसके द्वारा नागरिक निकाय ने मोरबी में झूलो पुल के संचालन को एक निजी ठेकेदार को पन्द्रह साल की अवधि के लिए सौंपने का फैसला किया था।

चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस  आशुतोष जे शास्त्री की एक खंडपीठ ने कहा कि इस साल 8 मार्च को जब ठेकेदार और एमएनपी के बीच समझौते का नवीनीकरण किया गया था, तो उसके मुख्य अधिकारी ने स्पष्ट किया था कि समझौते को निष्पादित किया जाएगा, जो कि नागरिक निकाय के सामान्य बोर्ड की मंजूरी के अधीन होगा। ।

खंडपीठ ने कहा कि हालांकि, जनरल बोर्ड द्वारा दी गई मंजूरी की प्रति न तो उपलब्ध है और न ही इसकी प्रति रिकॉर्ड पर रखी गई है। इसलिए, हम मोरबी नगर पालिका को निर्देश देते हैं कि वह अपने जनरल बोर्ड द्वारा दिए गए समझौता अनुमोदन की प्रति को रिकॉर्ड पर रखे। खंडपीठ ने इसके साथ ही मोरबी नगर पालिका के वर्तमान मुख्य अधिकारी को 24 नवंबर को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का भी निर्देश दिया।

इसके अलावा, पीठ ने मोरबी नगर पालिका के हलफनामे से उल्लेख किया कि ठेकेदार ने 29 दिसंबर, 2021 को मुख्य अधिकारी को लिखकर झूला पुल की ‘गंभीर स्थिति’ के बारे में सूचित किया था। यह भी नोट किया गया कि पुल 7 मार्च, 2022 से 25 अक्टूबर तक बंद था।इसका मतलब यह होगा कि ठेकेदार द्वारा झूला पुल की गंभीर स्थिति के बारे में मोरबी नगर पालिका को सूचित करने के बावजूद, यह 7 मार्च तक सार्वजनिक उपयोग के लिए खुला रहा। इसलिए, मोरबी नगर पालिका को अपने नए हलफनामे में यह खुलासा करना चाहिए कि ठेकेदार को कैसे अनुमति दी गई थी इस अवधि के बीच पुल का उपयोग करें । खंडपीठ ने कहा कि उपयोग के लिए कोई मंजूरी नहीं होने के बावजूद ठेकेदार को पुल का उपयोग करने की अनुमति देने के कारण भी बताए जाएं।

खंडपीठ ने यह भी जानना चाहा कि ठेकेदार ने बिना किसी पूर्व मंजूरी या मोरबी नगर पालिका की मंजूरी के 25 अक्टूबर को पुल क्यों खोल दिया।पीठ 30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी में झूलो पुल नामक निलंबन पुल के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उसके द्वारा शुरू किए गए एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसके परिणामस्वरूप 135 लोग हताहत हुए थे।

मोरबी नगर पालिका ने कल पीठ के समक्ष कार्यवाही के दूसरे सत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता देवांग व्यास के माध्यम से अपना हलफनामा पेश किया। पीठ ने सुबह के सत्र में अपना हलफनामा दायर करने के लिए 24 नवंबर तक का समय मांगने के लिए नगर निकाय की खिंचाई की थी। खंडपीठ ने दो नोटिसों के बावजूद स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने में देरी को लेकर मोरबी के नागरिक निकाय को फटकार लगाई । 30 अक्टूबर मोरबी में पुल गिरने से 135 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए निकाय से कहा कि कल आप स्मार्ट एक्ट कर रहे थे, अब आप मामले को हल्के में ले रहे हैं, इसलिए या तो आज शाम तक अपना जवाब दाखिल करें, या 1 लाख रुपये का जुर्माना अदा करें।

खंडपीठ की इस फटकार पर नागरिक निकाय के वकील ने कहा कि नागरिक निकाय के प्रभारी डिप्टी कलेक्टर चुनाव ड्यूटी में व्यस्त हैं। वकील ने कहा कि नोटिस डिप्टी कलेक्टर को भेजा जाना चाहिए था, लेकिन यह 9 नवंबर को नागरिक निकाय को दे दिया गया था। इसी के चलते अदालत में पेश होने में देरी हुई। विशेष रूप से, पीठ ने कल गुजरात सरकार से जानना चाहा था कि निजी ठेकेदार ने 2017 में अपना पिछला समझौता समाप्त होने के बावजूद पुल को संचालित करने और राजस्व अर्जित करने की अनुमति क्यों दी। पीठ ने राज्य सरकार से अपनी ओर से हुई चूकों को लेकर कई सवाल भी किए थे।

खंडपीठ ने मोरबी पुल हादसे पर खुद संज्ञान लेते हुए कम से कम छह विभागों से जवाब मांगा था। खंडपीठ ने 15 नवंबर को भी मोरबी में 150 साल पुराने पुल के रखरखाव के लिए ठेका देने के तरीके पर निकाय से सीधा जवाब मांगा था। खंडपीठ ने कहा था कि नगरपालिका, ने गलती की है, जिसके चलते 135 लोगों की जान चली गई। खंडपीठ ने अधिकारियों से स्पष्ट रूप से जवाब के साथ वापस आने के लिए कहा था कि पुल को फिर से खोलने से पहले इसकी फिटनेस को प्रमाणित करने की कोई शर्त समझौते का हिस्सा थी या नहीं और इस घटना का जिम्मेदार कौन है?

खंडपीठ ने इसके साथ कहा कि राज्य सरकार को ये भी बताना होगा कि नगर निकाय के मुख्य अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों शुरू नहीं की गई।ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई टेंडर जारी किए बिना राज्य ने फैसला ले लिया।

नगर पालिका ने ओरेवा ग्रुप को मोरबी पुल के लिए 15 साल का ठेका दिया था। ये कंपनी मुख्य रूप से अजंता ब्रांड की दीवार घड़ियां बनाने के लिए जानी जाती है।अब तक, कंपनी के नौ कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है और इसके प्रबंधन पर किसी तरह की कार्यवाही नहीं हुई है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles