Thursday, April 25, 2024

भाजपा ने कहा वह सर्वधर्म समभाव और संविधान में विश्वास करती है ! 

भाजपा ने एक विज्ञप्ति जारी कर यह कहा है कि, ” भारत की हजारों वर्षों की यात्रा में हर धर्म पुष्पित पल्लवित हुआ है। भारतीय जनता पार्टी सर्वपंथ समभाव को मानती है। किसी भी धर्म के पूजनीयों का अपमान भाजपा स्वीकार नहीं करती। भारतीय जनता पार्टी को ऐसा कोई भी विचार स्वीकृत नहीं है जो किसी भी धर्म-संप्रदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाए। भाजपा ना ऐसे किसी विचार को मानती है और ना ही प्रोत्साहन देती है। देश के संविधान की भी भारत के प्रत्येक नागरिक से सभी धर्मों का सम्मान करने की अपेक्षा है। आजादी के 75वें वर्ष में इस अमृत काल में एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना निरंतर मजबूत करते हुए, हमें देश की एकता, देश की अखंडता और देश के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी है।”

यह विज्ञप्ति, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, अरुण सिंह, के हस्ताक्षर से 05/06/22 को जारी की गई है। 

भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के पैगंबर मुहम्मद साहब के प्रति एक अपमानजनक बयान के बाद इसकी जो प्रतिक्रिया दुनिया भर और विशेषकर, इस्लामी देशों में हो रही है, उसे देखते हुए भाजपा को यह प्रेस विज्ञप्ति जारी करनी पड़ी है। भाजपा को यह भी कहना पड़ा है कि वह, सर्वधर्म समभाव में विश्वास करती है और संविधान के प्रति प्रतिबद्ध है। 

भाजपा यह स्टैंड जिस दिन, नूपुर शर्मा का बयान आया, उसी के तुरंत बाद भी तो ले सकती थी, पर नहीं, उसने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे लोगों में विश्वास जागे। भाजपा भी तभी सक्रिय हुई, जब अरब देशों से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आक्रोश की प्रतिक्रियाएं आने लगीं। तब रविवार को जाकर पार्टी को यह प्रेस विज्ञप्ति जारी करनी पड़ी और सरकार को सफाई देनी पड़ी कि वे सेक्युलर मूल्यों और संविधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, दुनिया भर में यह छवि बन रही है कि देश में उन्माद और सांप्रदायिक विभाजन का एक माहौल जानबूझकर बनाया जा रहा है और दुर्भाग्य से सरकार ऐसे तमाशे पर अक्सर चुप रहती है। 

अरब देश आज़ादी के बाद से ही भारत के स्वाभाविक मित्र रहे हैं। न केवल उनसे भारत का समृद्ध व्यापारिक संपर्क है, बल्कि लाखों की संख्या में भारतीय प्रोफेशनल वहां काम भी करते हैं और उनमें भी अधिकांश हिंदू ही हैं। घोषित इस्लामी देश होने के बाद भी उनके यहां धर्मगत भेदभाव की शिकायतें भी नहीं मिलती हैं। कश्मीर मसले पर वे सदैव, पाकिस्तान के बजाय, भारत के पक्ष में खड़े होते आए हैं। संबंध अब भी बिगड़े नहीं हैं, पर जिस तरह का पागलपन, केवल और केवल साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कर, चुनाव जीतने के लिए बनाया जा रहा है उसका परिणाम देश के लिए घरेलू मामलों में ही नहीं, बल्कि वैदेशिक मामलों में भी बुरा ही होगा। 

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर नवीनतम अमेरिकी रिपोर्ट जारी करते हुए पहले ही कह दिया है कि हम भारत में पूजा स्थलों पर बढ़ते हमलों को देख रहे हैं। एक अन्य वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि कुछ भारतीय अधिकारी ऐसे हमलों की अनदेखी कर रहे हैं या उनका समर्थन भी कर रहे हैं।

ब्लिंकन ने बताया कि  “कैसे यह रिपोर्ट अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान और अन्य देशों में मानव और नागरिक अधिकारों के उल्लंघन को उजागर करती है,”

यह भी जोड़ते हैं कि  “रिपोर्ट, इन देशों से परे, यह भी बताती है कि धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक अधिकारों के अधिकार कैसे हैं। दुनिया भर के समुदायों में अल्पसंख्यक खतरे में हैं। भारत में, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और आस्थाओं की एक महान विविधता के घर में, हमने पूजा स्थलों पर लोगों द्वारा बढ़ते हमले देखे हैं।”

अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक रिपोर्ट, जिसे अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट के रूप में भी जाना जाता है, अमेरिका में धार्मिक-मानवाधिकारों की स्थिति का वर्णन करती है। धार्मिक स्वतंत्रता, समूहों, धार्मिक संप्रदायों और व्यक्तियों के धार्मिक विश्वास और प्रथाओं का उल्लंघन करने वाली सरकारी नीतियां, और “दुनिया भर में लगभग हर देश और क्षेत्र में धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने वाली अमेरिकी नीतियां”। ब्लिंकन द्वारा जारी रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव का हवाला दिया गया और कहा गया कि राजनेताओं ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के बारे में भड़काऊ टिप्पणियां सार्वजनिक रूप से की हैं।

मैं अक्सर कहता हूं, यह आग लगा कर आप को झेलने के लिए छोड़ कर तुरंत U टर्न लेते हैं। नूपुर शर्मा के खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं, अभी उनमें कोई कार्यवाही हुई है या नहीं यह नहीं पता। पर नूपुर शर्मा के बयान, जगह-जगह खुदाई के पागलपन और सोशल मीडिया में इस सबके प्रचार प्रसार का विपरीत असर, दुनियाभर में पड़ रहा है। मुझे लगता है, इन्हीं सबको देखते हुए, पहले आरएसएस प्रमुख को ‘अब और किसी मंदिर के लिए आंदोलन नहीं ‘ और अब भाजपा को अधिकृत रूप से सेक्युलर और संविधान के प्रति प्रतिबद्धता की बात दुहरानी पड़ रही है। 

नूपुर शर्मा के पैगंबर साहब पर दिए गए आपत्तिजनक बयान की प्रतिक्रिया अरब देशों में हुई और, इस कारण, सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत के स्टोर से भारतीय उत्पाद हटाए जाने लगे हैं। एक तरफ हम विदेशी निवेश के लिए लालायित हैं, दूसरी तरफ सत्तारूढ़ दल और उसका आईटी सेल, रोज कोई न कोई ऐसा शिगूफा छेड़ देते हैं जिसका परिणाम सीधे कानून व्यवस्था पर तो पड़ता ही है और इससे दुनिया भर में देश की जो छवि गिर रही है, वह तो है ही। 

भाजपा ने अपनी प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया है। साथ ही दिल्ली के भाजपा मीडिया प्रभारी नवीन कुमार जिंदल को भी पार्टी से निलंबित कर दिया गया है। नवीन जिंदल और नूपुर शर्मा ने ट्वीट कर के, लोगों से यह अनुरोध किया है कि उनके घर के पते सार्वजनिक न किए जाएं, क्योंकि, उन्हें धमकियां मिल रही हैं। आखिर ऐसी स्थिति क्यों आई कि इन्हें, जबरन स्वतः गुमनामी में रहने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है ?

ध्यान से देखें तो, भाजपा और गोदी मीडिया के चैनल पिछले 8 साल से, देश समाज और लोगों का जो मानसिक अनुकूलन (ब्रेन वाशिंग) कर रहे हैं, सांप्रदायिक उन्माद फैलाने वाले डिबेट करा रहे हैं, एक हिंदुत्ववादी और एक मौलाना को, अपनी सुविधा से पकड़ कर, रोज शाम को, जो अनावश्यक तमाशा फैला रहे हैं, उससे देश, समाज, धर्म और संस्कृति का क्या भला हो रहा है, यह तो वही जानें, पर उनके इस आचरण, और अनर्गल भड़काऊ बयानबाजी से देश भर में जो विभाजनकारी माहौल बनाया जा रहा है वह बेहद खतरनाक है। 

अब नूपुर शर्मा अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे में गिरफ्तार भी होंगी और आगे जो होगा यह तो वह भी अनुमान लगा रही होंगी। दंगाई अक्सर उन्माद का लाभ उठाते हैं और सामान्य युवा उस उन्माद के पागलपन में जो कर गुजरते हैं, उसकी पीड़ा वे ही जानते हैं। बहरहाल इन दोनों के पते सार्वजनिक नहीं किए जाने चाहिए, और इन्हें जीवन का भय है तो सरकार को इसका भी समाधान करना चाहिए। 

मैं बार-बार कहता हूं, धार्मिक बनिए, धर्मांध और कट्टरपंथी नहीं। धार्मिक होने और धर्मांध होने में अंतर है। धर्मांधता खुद ही अधर्म है। भारत में यदि सांप्रदायिक दंगे होते हैं तो इसके सबसे बड़े जिम्मेदार वे टीवी चैनल और उनके प्रोग्राम संचालक तथा एंकर होंगे जो प्रतिदिन हिंदू मुस्लिम भेदभाव के सांप्रदायिक एजेंडे तय करते हैं और, जनता के मन में उन्माद का जहर भरते हैं। अन्य सांप्रदायिक ताकतें तो हैं ही।

(विजय शंकर सिंह रिटायर्ड आईपीएस अफसर हैं और आजकल कानपुर में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles