आज दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर बहुत अधिक शेयर की जा रही हैं। एक तस्वीर है प्रकाश जावड़ेकर की जो सूचना प्रसारण मंत्री हैं और दूसरी तस्वीर है केशव मौर्य की जो यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। इस लॉक डाउन की त्रासदी में प्रकाश जावड़ेकर का योगदान है कि उन्होंने जनता की मांग पर इक्कीस साल पहले चले लोकप्रिय धारावाहिक जो रामानंद सागर ने बनाया था, को पुनः प्रसारित करवा दिया और आज वे उसी का आनंद अपने ड्राइंग रूम में बैठे हुए ले रहे हैं।
प्रकाश जावड़ेकर ने उक्त तस्वीर को ट्वीट किया और गर्व से यह लिखा कि मैं रामायण देख रहा हूँ, क्या आप देख रहे हैं ? इस ट्वीट की बेहद आक्रामक निंदात्मक प्रतिक्रिया हुई और लोगों ने उनकी असम्वेदनशीलता के लिये जम कर लताड़ा। अंत मे वह ट्वीट प्रकाश जावेडकर द्वारा डिलीट कर दिया गया।
अजब हाल है कि आज जब सरकार को अपनी जनता के लिए न सिर्फ संवेदनशील होना चाहिए बल्कि यह संवेदनशीलता दिखनी भी चाहिये तो सरकार रामायण देख रहे हैं। और हम सामुहिक वनगमन की त्रासदी में लोगों को भटकते देख रहे हैं। दिल्ली से निकलने वाले हर राजमार्ग पर भूखे प्यासे विभिन्न झुंडों में लोग न जाने कहाँ-कहाँ जा रहे हैं। ये वे रोज कमाने खाने वाले लोग हैं जो कारखानों के बंद या लॉक डाउन के बाद, अपने घरों की ओर निकल चुके हैं। 1947 के बंटवारे का पलायन जो हमने फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री में देखा है उसी तरह की फ़ोटो और वीडियो हम सब अपनी-अपनी मोबाईल स्क्रीन पर लगातार देख रहे हैं। अंतर बस यह है कि वह पलायन धार्मिक कट्टरता का पलायन था यह पलायन घोर प्रशासनिक अक्षमता का है।
सुना है,
रात तेज आंधी तूफान आया,
शहर की बिजली गुल थी,
लोगों के घरों में पानी भी नहीं आया,
जगह जगह पेड़ उखड़ कर गिर गए,
पूरी रात मेह बरसता रहा,
पूछा सरकार ने अपने वातानुकूलित ख्वाबगाह में,
नरम और मुलायम सोफे पर धंसे हुये,
चाय की कप में,
एक अदद सुगरफ़्री की टिकिया डाल,
चम्मच से उसे हिलाते हुए
सामने करबद्ध खड़े अफसर से।
सुबह के कई अखबार,
करीने से सेंटर टेबुल पर रखते हुये,
एहसानों की दबी मुद्रा में,
धीरे से अफसर ने कहा,
जी, पानी बरसा था,
पर अब धूप निकल आयी है,
बिजली गयी थी,
पर अब ठीक हो गयी है,
पानी तो नलों में आया था,
वह तो बंद ही नही हुआ था,
और सब तो ठीक है,
पर, सरकार आप को जुकाम तो नहीं हुआ
इस बेमौसम की बारिश से।
अखबार के एक कोने में
पेड़ गिरने से दबे एक व्यक्ति की फ़ोटो छपी थी,
और वहीं एक खबर कि
तूफान, आंधी, बारिश, पानी ओले से,
शहर में लोगों और फसलों को भारी नुकसान हुआ है।
कुछ लोग मरे हैं कुछ अस्पताल में हैं।
सबको मालूम है,
चौबीस घन्टे, बस चौबीस घन्टे बाद,
एक नया अखबार छप जाएगा,
और यही खबरें रद्दी के भाव बिक जाएंगी।
यह एक मजाक उड़ाती हुयी फ़ूहड़ तस्वीर है, आपत्ति रामायण देखने पर नहीं आपत्ति एक बेहद जिम्मेदार पद पर आसीन व्यक्ति की इस अशालीन औऱ अश्लील तस्वीर के प्रदर्शन पर है। जनता की मांग पर सरकार खुशी-खुशी रामायण सीरियल का पुनः प्रसारण करने जा रही है। स्वागत है इस निर्णय का।
लेकिन, क्या जनता की मांग पर सरकार खुशी-खुशी हमारे डाक्टरों और मेडिकल स्टाफ को एन 95 मास्क और दस्ताने देगी ? क्या जनता की मांग पर सरकार खुशी खुशी, प्रवासी कामगारों को उनके घर तक जो सैकड़ों मील दूर हैं, जाने के लिये कोई प्रबंध करेगी ?
प्रकाश जावड़ेकर और केशव मौर्य ही नहीं, भाजपा नेता बलबीर पुंज ने भी एक शर्मनाक ट्वीट किया है कि, ये मज़दूर काम खत्म होने के कारण नहीं बल्कि छुट्टियां मनाने अपने गांव निकल गए हैं। ऐसी असम्वेदनशीलता न केवल निंदनीय है बल्कि इनके ठस और अहंकार से भरी हुयी, ज़मीन से कटी हुयी और जनता से दूर होती हुयी खुदगर्ज भरी सोच और मानसिकता को प्रतिबिम्बित करती है। राम इन्हें सदबुद्धि दें।
( विजय शंकर सिंह रिटायर्ड आईपीएस अफ़सर हैं और आजकल कानपुर में रहते हैं।)