Friday, April 26, 2024

राफेल पेपर्स: फ्रांस-भारत समझौते में विस्फोटक दस्तावेज हैं

मीडियापार्ट ने फ्रांस द्वारा भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमान के विवादास्पद बिक्री की जांच में इस तीसरी अंतिम रिपोर्ट में खुलासा किया है कि अब तक अप्रकाशित दस्तावेजों के साथ, कैसे एक प्रभावशाली भारतीय व्यापार मध्यस्थ अर्थात बिचौलिए को राफेल निर्माता डसॉल्ट एविएशन और उसकी साझीदार फ्रांसीसी रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स फर्म थेल्स द्वारा गोपनीय ढंग से लाखों यूरो यानि करोड़ों रुपयों का भुगतान किया गया था।

वे इतने प्रभावशाली थे कि उन्होंने रक्षा सौदे के अनुबंध से भ्रष्टाचार-विरोधी धारा को हटवा दिया। रक्षा सौदे के अनुबंध पर बाद में तत्कालीन फ्रांसीसी रक्षा मंत्री, अब विदेश मंत्री, जीन-यवेस ले ड्रियन द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था। यह विवरण इस तथ्य के मद्देनजर विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि भारत सरकार ने मानक विरोधी भ्रष्टाचार खंड को हटा दिया जो कि दोनों पक्षों द्वारा समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले बिचौलियों के उपयोग के खिलाफ संरक्षित था।

मीडियापार्ट का दावा है कि डसॉल्ट और थेल्स ने लगभग दो दशकों में गुप्ता को भुगतान किया, उसे वर्ष 2000 के दशक की शुरुआत में काम पर रखा, जब भारत ने घोषणा किया कि वह 126 लड़ाकू जेट खरीद रहा था। ये विस्फोटक खुलासे, जो कि मोदी सरकार के 36 राफेल विमानों की खरीद में मीडियापार्ट की नवीनतम जांच के तीसरे और अंतिम भाग में सामने आये  हैं, उससे भारत में राजनितिक बवंडर तो उठेगा ही और इसकी पूर्ण आपराधिक जांच की मांग भी की जाएगी।

पेरिस स्थित जांच वेबसाइट मीडियापार्ट द्वारा प्रकाशित तीसरी रिपोर्ट कहती है कि विवादास्पद रक्षा दलाल सुशेन गुप्ता के विरुद्ध वर्तमान में वीवीआईपी चॉपर घोटाले अर्थात आग्स्ता वेस्टलैंड में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग जांच का जा रही है। सुशेन गुप्ता कथित रूप से भारत में राफेल जेट की विवादास्पद बिक्री में डसॉल्ट एविएशन के लिए एक एजेंट के रूप में काम किया और डैसॉल्ट एविएशन और उसके साथी थेल्स से लाखों यूरो अर्थात करोड़ो रूपये कमीशन (दलाली) में प्राप्त किए।

मीडियापार्ट की रिपोर्ट, जो कि ईडी के केस फाइल से प्राप्त जानकारी पर आंशिक रूप से आधारित है, यह भी दावा करती है कि सुशेन गुप्ता ने अवैध रूप से भारत के रक्षा मंत्रालय से गोपनीय दस्तावेज प्राप्त किए और उनका इस्तेमाल किया, जिससे राफेल सौदे में फ्रांसीसी पक्ष को बेहतर सौदेबाजी में मदद मिली।

यह तथ्य है कि ईडी ने औपचारिक रूप से राफेल सौदे की जांच नहीं की है जबकि ईडी को जानकारी थी कि सुशेन गुप्ता गोपनीय रक्षा मंत्रालय के दस्तावेजों के कथित इस्तेमाल में लिप्त है और फ्रांसीसी पक्ष ने इसका इस्तेमाल करके कीमतों में वृद्धि की जो भारत ने चुकाई। वह अंततः संदेह को बढ़ा देगा कि एजेंसी सत्तारूढ़ दल का राजनीतिक एजेंडा के पक्ष में काम कर रही है।

मीडियापार्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डसॉल्ट और थेल्स के साथ सुशेन गुप्ता के गहरे व्यापारिक संबंध लगभग दो दशकों से हैं, और सॉफ्टवेयर कंसल्टिंग और बढ़ा चढ़ाकर बनाये गये चालान का उपयोग करके उन्हें “अपतटीय खातों और शेल कंपनियों के माध्यम से कई मिलियन यूरो का भुगतान गुप्त कमीशन के रूप में किया गया।

राफेल जेट भारत का दो दशकों में लड़ाकू विमानों की पहली बड़ी खरीद है। दो फ्रांसीसी कंपनियों ने एक बिचौलिए का भुगतान किया, जिसकी पहचान सुशेन गुप्ता के रूप में की गई थी, जिन्होंने 15 वर्षों में कई मिलियन यूरो का भुगतान किया, जिससे 2016 में दोनों देशों के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए।

हथियार सौदों में एक प्रभावशाली बिचौलिए गुप्ता को 26 मार्च, 2019 को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली में गिरफ्तार किया था। निवारक निरोध में दो महीने बिताने के बाद, सुशेन गुप्ता पर “मनी लॉन्ड्रिंग” का आरोप लगाया गया और वह जमानत पर रिहा हो गया। उसके खिलाफ आरोप 2013 के भ्रष्टाचार घोटाले से संबंधित हैं, जिसे “चॉपरगेट” कहा जाता है, जो इतालवी-ब्रिटिश फर्म अगस्ता वेस्टलैंड द्वारा निर्मित हेलीकॉप्टरों के भारत को बिक्री के लिए 550 मिलियन-यूरो के अनुबंध पर केंद्रित था।

गुप्ता और अन्य बिचौलियों को अगस्ता वेस्टलैंड द्वारा अपतटीय कंपनियों के माध्यम् से कमीशन में 50 मिलियन यूरो से अधिक का भुगतान किया गया था, जो कि मीडियापार्ट के अनुसार “सॉफ्टवेयर कंसल्टेंसी” अनुबंध के रूप में उल्लेखित चालान का उपयोग कर रहा था। प्रवर्तन निदेशालय को संदेह है कि धन का कुछ हिस्सा नेताओं, नौकरशाहों और सरकारी अधिकारियों को रिश्वत के रूप में भुगतान किया गया था। मीडियापार्ट ने आरोप लगाया है कि गुप्त निधियों के मार्गों की जांच में ईडी ने पाया कि गुप्ता ने अन्य रक्षा सौदों  के परिणाम को प्रभावित करने के लिए किकबैक प्राप्त किया। उन अन्य रक्षा सौदों में से एक राफेल सौदा है।

मीडियापार्ट ने रिपोर्ट में कहा है कि गुप्ता के खिलाफ अपनी आधिकारिक चार्जशीट में, प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि गुप्ता को संवेदनशील डेटा प्राप्त हुआ था जो केवल रक्षा मंत्रालय के कब्जे में होना चाहिए था। हालांकि, गुप्ता के खिलाफ ईडी का आरोप पत्र राफेल सौदे को कवर नहीं करता है।

इस संवेदनशील डेटा ने कथित तौर पर बहु-अरब यूरो के सौदे को लेकर भारत सरकार के साथ अपनी बातचीत में डसॉल्ट का समर्थन किया, जो कि अंतिम कीमत के कारण बेहद विवादास्पद था जो नई दिल्ली के लिए सहमत हुआ। आरोप है कि ईडी के पास राफेल सौदे के संबंध में कथित रूप से भ्रष्ट कार्यों के बारे में जानकारी है, यह भी विशेष रूप से प्रासंगिक है कि समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले भारत सरकार ने मानक विरोधी भ्रष्टाचार विरोधी कंपनियों को एजेंटों या बिचौलियों का उपयोग करने के लिए दंडित करने के प्रावधान को हटा दिया था।

इस बीच भारत में राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए हुए सौदे पर लगाए गए कई आरोपों पर यह विमान बनाने वाली फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने स्पष्टीकरण जारी किया है। कंपनी ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा है कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए भारत के साथ साल 2016 में किए गए सौदे में अनुबंध संरचना का किसी भी तरह उल्लंघन नहीं किया गया है।

उल्लेखनीय है कि फ्रांसीसी मीडिया पोर्टल  मीडियापार्ट’ ने देश की भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी की जांच का हवाला देते हुए ख़बर प्रकाशित की थी कि ‘डसॉल्ट एविएशन’ ने इस सौदे के लिए एक भारतीय बिचौलिए को करोड़ों रुपयों  की दलाली दी थी।

डसॉल्ट एविएशन के एक प्रवक्ता ने कहा, फ्रांसीसी भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी समेत कई आधिकारिक संगठनों द्वारा बहुत सी जांच की जाती हैं। प्रवक्ता ने कहा कि 36 विमानों की खरीद में भारत के साथ हुए अनुबंध की संरचना का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। अधिकारी ने कहा कि दसॉल्ट एविएशन ने दोहराया कि वह आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के रिश्वत रोधी प्रस्ताव और राष्ट्रीय कानूनों का कड़ाई से पालन करती है।

मोदी  सरकार ने फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी डसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल जेट खरीदने के लिए 23 सितंबर, 2016 को 59,000 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले कांग्रेस ने विमान की दरों और कथित भ्रष्टाचार सहित इस सौदे को लेकर कई सवाल खड़े किए थे, लेकिन सरकार ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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