गुजरात में बागी और नाराज नेताओं को मनाने के लिए अमित शाह ने मोर्चा संभाला

गुजरात विधानसभा के चुनाव में एंटी इन्कमबेंसी यानी सत्ता विरोधी माहौल और विपक्षी चुनौती से पार पाने के लिए भाजपा नेतृत्व ने इस बार बड़े पैमाने पर विधायकों के टिकट काट कर नए चेहरे मैदान में उतारे हैं। लेकिन ऐसा करने के सिलसिले में उसे सूबे के कई जिलों में बगावत और नेताओं व कार्यकर्ताओं की नाराजगी का इस हद तक सामना करना पड़ रहा है कि उसे थामने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को मोर्चा संभालना पड़ रहा है।

गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का गृह राज्य है, इसलिए भाजपा के लिए यहां चुनाव जीत कर अपनी सत्ता बरकरार रखना बेहद अहम है। भाजपा इस राज्य में 1998 से लगातार सत्ता में है, इसलिए पिछले विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी उसे लोगों के सत्ता विरोधी रुझान का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी नेतृत्व को भी इस रुझान का बहुत पहले से अहसास है। इसलिए अमित शाह ने पिछले करीब एक महीने से गुजरात में ही डेरा डाल रखा है। दीपावली के पांच दिवसीय पर्व के दौरान भी वे यहीं पर थे।

हालांकि उसके बाद बीच-बीच में वे चुनाव प्रचार के लिए हिमाचल प्रदेश जाते रहे हैं लेकिन 10 नवंबर को वहां चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद से लगातार यहीं बने हुए हैं। वे बागी उम्मीदवारों को मनाने की कोशिशों में भी जुटे हैं और नाराज होकर निष्क्रिय बैठे कार्यकर्ताओं से भी संपर्क कर रहे हैं। अमित शाह ने अभी चुनाव प्रचार शुरू नहीं किया है लेकिन बताया जा रहा है कि चुनाव खत्म होने तक वे गुजरात में ही रहेंगे और प्रधानमंत्री मोदी से ज्यादा रैलियों को संबोधित करेंगे।

गौरतलब है कि सत्ता विरोधी रुझान को कम करने के लिए ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने पिछले साल सितंबर में मुख्यमंत्री सहित सारे मंत्रियों को बदल दिया था और अब चुनाव में भी पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपानी तथा पूर्व उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल समेत करीब 35 विधायकों के टिकट काट दिए हैं। पार्टी ने जहां बड़ी संख्या में अपने विधायकों के टिकट काटे हैं, वहीं पिछले पांच साल के दौरान कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए 17 विधायकों को फिर से उम्मीदवार बनाया है। बगावत और नाराजगी की एक बड़ी वजह यह भी है।

(अहमदाबाद से वरिष्ठ पत्रकार अनिल जैन की रिपोर्ट।)

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