Thursday, April 25, 2024

सेबी ने अडानी विल्मर के आईपीओ पर लगाई रोक

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के चहेते दिग्गज उद्योगपति गौतम अडानी की अगुआई वाले अडानी ग्रुप को सेबी ने बड़ा झटका दिया है। देश के मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी ने अडानी ग्रुप की एक कंपनी अडानी विल्मर के आईपीओ पर रोक लगा दी है। अडानी विल्मर एडिबल ऑयल ब्रांड फॉर्च्यून बनाती है। अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के खिलाफ चल रही फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट की जांच के कारण सेबी ने यह कदम उठाया है। अडानी विल्मर 4500 करोड़ रुपये का इश्यू लाने वाला था, लेकिन फिलहाल इस योजना पर ब्रेक लग गया है। अडानी विल्मर में अडानी एंटरप्राइज की 50 फीसदी हिस्सेदारी है।

सेबी की पॉलिसी के मुताबिक आईपीओ के लिए आवेदन करने वाली कंपनी के किसी डिपार्टमेंट में जांच चल रही हो तो उसके आईपीओ को 90 दिनों तक मंजूरी नहीं दी जा सकती है। इसके बाद भी आईपीओ को 45 दिनों के लिए टाला जा सकता है। दरअसल अडानी एंटरप्राइजेज मॉरिशस में रजिस्टर्ड कुछ फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट के कारण जांच के घेरे में है। सेबी को अभी मॉरिशस के रेगुलेटर से कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।

इससे पहले जून में सेबी ने लो-कॉस्ट एयरलाइन गो फर्स्ट के आईपीओ पर भी रोक लगा दी थी कि क्योंकि उसके प्रमोटर के खिलाफ जांच चल रही थी।

पोर्ट से लेकर एनर्जी के कारोबार में लगे अडानी ग्रुप को बड़ा झटका लगा है। सेबी की वेबसाइट पर यह अपडेट किया गया है कि फिलहाल अडानी विल्मर के 4500 करोड़ रुपए के आईपीऑ को रोक दिया गया है। अडानी विल्मर में अडानी एंटरप्राइज की 50 फीसदी हिस्सेदारी है। अडानी विल्मर लोकप्रिय एडिबल ऑयल ब्रांड फॉर्च्यून बनाती है।

अडानी समूह की एक कंपनी अडानी विल्मर शेयर बाजार में लिस्टेड होने के लिए आईपीओ लाने की तैयारी कर रही थी। इस आईपीओ के द्वारा कंपनी की 4,500 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है। कंपनी ने आईपीओ के लिए जरूरी दस्तावेज ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस सेबी के पास जमा कर दिया था। यह एफएमसीजी कंपनी खाद्य तेल के बाजार में अगुआ है। कंपनी इस तरह से जुटे पैसों का इस्तेमाल विस्तार योजनाओं के लिए करने वाली थी। कंपनी ने कहा था कि वह इस आईपीओ के माध्यम से जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल कंपनी के मौजूदा कारखानों के विस्तार और नए कारखानों के विकास के लिए करेगी। साथ ही इससे अपने पुराने उधार भी चुकाएगी। यही नहीं जरूरत पड़ने पर इस रकम से कंपनी दूसरी कंपनियों के एसेट की खरीद या अन्य निवेश भी करेगी।

गौरतलब है कि अडानी विल्मर भारत की सबसे बड़ी खाद्य तेल कंपनी है। समुद्र के किनारे रिफाइनरी होने के कारण कंपनी सस्ते दाम पर तेल आयात पर उसे कम लागत में प्रोसेस कर बेच सकती है। इसके देश के 10 राज्यों में 22 कारखाने हैं। वित्त वर्ष 2020-21 में कंपनी को 654.56 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हुआ था।

इसके पहले जून 21में नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड ने तीन विदेशी फंड्स के अकाउंट्स फ्रीज कर दिए थे। इनके पास अडानी ग्रुप की 4 कंपनियों के 43,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के शेयर हैं। एनएसडीएल की वेबसाइट के मुताबिक इन अकाउंट्स को 31 मई को या उससे पहले फ्रीज किया गया था।

इन तीनों की एडानी एंटरप्राइजेज में 6.82 फीसदी, अडानी ट्रांसमिशन में 8.03 फीसदी, अडानी टोटल गैस में 5.92 फीसदी और अडानी ग्रीन में 3.58 फीसदी हिस्सेदारी है। कस्टोडियन बैंकों और विदेशी निवेशकों को हैंडल कर रही लॉ फर्म्स के मुताबिक इन विदेशी फंड्स ने बेनिफिशियल ऑनरशिप के बारे में पूरी जानकारी नहीं होगी। इस वजह से उनके अकाउंट्स को फ्रीज कर दिया गया है। प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत बेनिफिशियल ऑनरशिप के बारे में पूरी जानकारी देनी जरूरी है।

ये तीन फंड सेबी में विदेशी पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स के तौर पर रजिस्टर्ड हैं और मॉरीशस से अपना कामकाज चलाते हैं। ये तीनों का पोर्ट लुई में एक ही पते पर रजिस्टर्ड हैं और इनकी कोई वेबसाइट नहीं है।

कैपिटल मार्केट्स रेग्युलेटर ने 2019 में एफपीआई के लिए केवाईसी डॉक्यूमेंटेशन को पीएमएलए के मुताबिक कर दिया था। फंड्स को 2020 तक नए नियमों का पालन करने का समय दिया गया था। सेबी का कहना था कि नए नियमों का पालन नहीं करने वाले फंड्स का अकाउंट फ्रीज कर दिया जाएगा। नए नियमों के मुताबिक एफपीआई को कुछ अतिरिक्त जानकारी देनी थी। इनमें कॉमन ऑनरशिप का खुलासा और फंड मैनेजर्स जैसे अहम कर्मचारियों की पर्सनल डिटेल शामिल थी।

माना जा रहा है कि सेबी अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों के मूल्यों की हेराफेरी की भी जांच कर रहा है। पिछले एक साल में इन कंपनियों के शेयरों में 200 से 1000 फीसदी तक की उछाल आई है। मामले के एक जानकार ने कहा कि सेबी ने 2020 में इस मामले की जांच शुरू की थी जो अब भी चल रही है। इस मामले में सेबी ने उसे भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।

पिछले एक साल में अडानी ट्रांसमिशन के शेयरों में 669 फीसदी, अडानी टोटल गैस के शेयरों में 349 फीसदी, अडानी एंटरप्राइजेज के शेयरों में 972 फीसदी और अडानी ग्रीन के शेयरों में 254 फीसदी तेजी आई है। इसी तरह अडानी पोर्ट्स और अडानी पावर के शेयरों में क्रमशः 147 फीसदी और 295 फीसदी उछाल आई है। इस विवाद के बाद शेयरों में गिरावट भी दर्ज़ की गयी है। अडानी ट्रांसमिशन में प्रमोटर ग्रुप की 74.92 फीसदी, अडानी एंटरप्राइजेज में 74.92 फीसदी, अडानी टोटल गैस में 74.80 फीसदी और अडानी ग्रीन में 56.29 फीसदी हिस्सेदारी है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

  

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