Thursday, March 28, 2024

सुब्रत रॉय पर फिर गिरफ्तारी की तलवार! सेबी ने दी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी

भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) ने उच्चतम न्यायालय  में एक याचिका दाखिल कर अपील की है कि अदालत सहारा ग्रुप के चीफ सुब्रत रॉय और उनकी दो कंपनियों को करीब 62 हजार करोड़ रुपए ( 8.4 बिलियन डॉलर ) जमा करने का आदेश दे। सहारा ग्रुप पर निवेशकों का यह रुपया बकाया है। सेबी ने अपनी याचिका में यह भी अपील की है कि अगर सुब्रत रॉय पैसा जमा नहीं करवा पाते हैं तो उन्हें कस्टडी में लिया जाए। सेबी का तर्क है कि सहारा ग्रुप 2012 और 2015 के आदेशों का पालन करने में विफल रहा जिसने कंपनियों को 15% वार्षिक ब्याज के साथ राशि जमा करने का निर्देश दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2012 और 2015 में आदेश दिए थे कि सहारा ग्रुप को निवेशकों का सारा पैसा 15 फीसद ब्याज के साथ सेबी के पास जमा करना होगा। सेबी ने कहा कि 8 साल बाद भी यह सहारा ग्रुप कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं कर रहा है। सहारा ग्रुप का निवेशकों के हजारों करोड़ रुपए को लेकर सेबी से विवाद चल रहा है। सहारा ग्रुप ने बॉन्ड स्कीम के जरिए यह पैसा जुटाया था। बाद में इन स्कीम को गैरकानूनी ठहराया गया था।वहीं इस मामले में सुब्रत रॉय का दावा है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है। कोर्ट की अवमानना के मामले में सुब्रत राय को 2014 में अरेस्ट किया गया था। 2016 से वे जमानत पर जेल से बाहर चल रहे हैं।

कोर्ट में सेबी ने कहा है कि आदेशों का पालन करने के लिए सहारा ने अभी तक कुछ नहीं किया है। दूसरी ओर अवमानना करने वालों पर देनदारी बढ़ती जा रही है और वे कस्टडी से रिहा होने के बाद आनंद ले रहे हैं। सेबी ने यह भी कहा कि सहारा ग्रुप ने प्रिंसिपल अमाउंट का केवल एक हिस्सा जमा किया है। ब्याज समेत बकाया रकम करीब 62 हजार करोड़ रुपए है। सहारा ग्रुप का कहना है कि हम उच्चतम न्यायालय  के आदेशों का पालन कर रहे हैं। सहारा ग्रुप ने यह भी दावा किया है कि उसने सेबी को 22 हजार करोड़ रुपए दिए हैं, लेकिन सेबी ने निवेशकों को केवल 106.10 करोड़ रुपए दिए हैं।

कई साल तक लगातार सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के जरिए बचत करने वाले करोड़ों डिपॉजिटर्स अब अपनी रकम वापस पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, लेकिन, सहारा हेल्पलाइन नंबर्स से उन्हें कोई जवाब नहीं मिल रहा है। सहारा ग्रुप में ऐसे 4 कोऑपरेटिव सोसाइटीज में करीब 4 करोड़ डिपॉजिटर्स ने अपनी बचत के लिए पैसे जमा कर रखे हैं। सहारा ग्रुप पर फ्रॉड का आरोप है। आरोप है कि सहारा ग्रुप ने इन डिपॉजिटर्स से 86,673 करोड़ रुपये जुटाए और फिर इसमें से 62,643 करोड़ रुपये एम्बी वैली लिमिटेड में इन्वेस्ट कर दिया।

कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज में देश भर से करीब 15,000 से ज्यादा डिपॉजिटर्स ने शिकायत की है। इन लोगों की शिकायत है कि उनकी मेच्योरिटी के बाद भी इन सोसाइटीज की तरफ से उन्हें पेमेंट नहीं मिल रहा है। जिन सोसाइटीज को लेकर ये शिकायतें आ रही हैं, उनमें हमारा इंडिया, स्टॉर्स मल्टीपर्पज, सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव और सहारयन यूनिवर्सल है।

वास्तव में 15 हजार से ज्यादा शिकायत ही डिपॉजिटर्स के लिए संकट की सही स्थिति बयान नहीं कर रही है। इन डिपॉजिटर्स को स्टार्स मल्टीपर्पज, सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव और सहारयन यूनिवर्सल द्वारा फ्रॉड का शिकार बनाया गया है। इन्होंने ज्यादा रिटर्न का झांसा देकर बड़े स्तर पर रकम प्राप्त की है। हर जिले में 10 हजार से ज्यादा डिपॉजिटर्स हैं, जिन्होंने इसमें पैसे लगाये हैं। केवल डिपॉजिटर्स ही नहीं, बल्कि इन डिपॉजिटर्स को कलेक्ट करने वाले एजेंट्स ने भी रजिस्ट्रार को शिकायत की है। आरोप है कि जब भी जांच एजेंसियां कोई कार्रवाई करती हैं, तब सहारा ग्रुप प्रबंधन इन स्कीम्स के नाम और नेचर में बदलाव कर देता है। इस बारे में डिपॉजिटर्स को कोई जानकारी तक नहीं दी जाती है। सहारा ग्रुप एक स्कीम के डिपॉजिट को किसी दूसरे स्कीम में डिपॉजिट कर देता है।

सहारा के सुब्रत रॉय हाल ही में सुर्खियों में रहे हैं क्योंकि उन्हें नेटफ्लिक्स की श्रृंखला बैड बॉय बिलियनेयर्स की रिलीज पर रोक लगाने के लिए एक जिला अदालत से फैसला मिला था , जिसमें रॉय ने का किया था कि यह उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएगा। बाद में अदालत के निषेधाज्ञा हटाने के बाद नेटफ्लिक्स ने शो जारी किया। बाजार नियामक सेबी ने 18 नवंबर को शीर्ष अदालत का रुख किया है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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