Friday, April 26, 2024

किसान करेंगे 18 अक्तूबर को रेल जाम; मोदी, शाह योगी खट्टर के पुतले फूंके जायेगें दशहरा पर

तिकुनिया जनंसहार के अपराधियों को बचाने में लगी सरकार के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा ने आज फ्रेस कान्फ्रेंस करके अपने कार्यक्रमों की घोषणा की है। पहला कार्यक्रम है 12 अक्टूबर को। इस दिन तिकुनिया गांव में अरदास का कार्यक्रम है। पांच शहीद किसानों (4 किसान और 1 किसान पुत्र पत्रकार)की याद में अंतिम अरदास तिकुनिया में होगा। जहां ये घटना घटित हुयी थी। संयुक्त किसान मोर्चा ने देश भर के किसानों से अपील किया है कि लोग 12 तारीख को तिकुनिया पहुंचकर शहीदों को श्द्धांजलि दें। जो वहां न पहुंच पायें वो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या किसी अन्य सार्वजनिक स्थल पर स्मृति दिवस मनायें। 12 तारीख की शाम कैंडल मार्च निकालें। हर नागरिक जो इन अन्नदाताओं के श्रद्धांजलि सभा में नहीं आ सकता, या कैंडिल मार्च में नहीं शामिल हो सकता वो शाम 8 बजे 5 कैंडिल इनकी याद में अपने घर के दरवाजे पर जलाये।

दूसरा कार्यक्रम 12 तारीख को तिकुनिया से ही पांच शहीद किसानों के अस्थि कलश लेकर यात्रा रवाना होगा। उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के लिये वहां से अलग अलग कलश यात्रा वहां से रवाना होगी। और सभी यात्रायें 24 तारीख तक समाप्त हो जायेंगी। और बाक़ी राज्यों के लिये एक एक अस्थि कलश लेकर यात्रा शुरु होगी। शहीद किसान कलश यात्रा 12 अक्टूबर से हर राज्य, जिले के लिये रवाना होगी और उस जिले के किसान संगठन तय करेंगे कि उस अस्थि कलश का विसर्जन कहां किया जायेगा।

तीसरा कार्यक्रम है दशहरे का। 15 अक्टूबर को दशहरा है। संयुक्त किसान मोर्चा कि देश के तमाम नागरिकों से अपील है कि ये सच की विजय का और झूठ के नाश का दिवस है। इस समय देश में झूठ के जो तीन सबसे बड़े प्रतीक हैं वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, और तीसरा स्थानीय स्तर पर (योगी, खट्टर, या कोई और ) तय करके उनके पुतले का दहन किया जायेगा। चौथा कार्यक्रम है 18 अक्टूबर को रेल रोको कार्यक्रम । सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक रेल रोको कार्यक्रम होगा। पांचवा कार्यक्रम 26 अक्बर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऐतिहासिक महापंचायत होगी। बिल्कुल मुज़फ़्फरनगर की तर्ज़ पर।

11 तारीख सरकार के लिये अल्टीमेटम

संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया कि 12 तारीख का कार्यक्रम तो तय है वो तो होगा ही। लेकिन बाक़ी के कार्यक्रम इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार हम किसानों की मांगें मानती है कि नहीं। संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे कहा कि 11 तारीख तक हमारी मांग नहीं मानी जाती तो 12 तारीख की श्रद्धांजलि सभा में आगे के 4 कार्यक्रम घोषित करेंगे।
बता दें कि कल संयुक्त किसान मोर्चा के सभी सदस्यों की बैठक हुयी थी। उस बैठक के निर्णय लिया गया। उसका एलान करने के लिये संयुक्त किसान मोर्चा ने आज प्रेस कान्फ्रेंस बुलाया था। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा सरकार को 11 अक्टूबर तक का आरोपी मंत्री की बर्खास्तगी और पिता-पुत्र की गिरफ्तारी का अल्टीमेटम दिया गया है। 11 तारीख तक अगर सरकार किसानों की मांग नहीं मानती है तो 12 अक्टूबर को संयुक्त किसान मोर्चा आगे का चार कार्यक्रमों का एलान करेंगे ।
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कान्प्रेंस में कहा कि हमारी मांग है कि दोषी गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को फौरन बर्खास्त किया जाये। और इसकी गिरफ्तारी हो। उनके बेटे को गिरफ्तार किया जाये। क्योंकि वो षड्यंत्र में शामिल है। इसकी शुरुआत करना, षड्यंत्र बनाना, उसके बाद क़ातिलों को प्रोटेक्ट करना इन सबमें केंद्रीय राज्यमंत्री शामिल हैं उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिये और उनके बेटे को जिसे आज ससम्मान यूपी पुलिस ने बातचीत करने के लिये बुलाया है। काश कि इतनी ही ख़ूबसूरती से य़ूपी पुलिस वहां के सभी नागरिकों से व्यवहार करती।
प्रेस कान्फ्रेंस में संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार द्वारा गठित एसटीएफ जांच को खारिज़ कर दिया है। बता दें कि संयुक्त किसान मार्चा के संयोजन समिति की सभी सदस्य मौजूद थे। लखीमपुर खीरी में होने के चलते बलवीर सिंह राजेवाल नहीं थे। गुरुनाम सिंह चढ़ूनी हरदोई में महापंचायत में होने के चलते नहीं आये। राकेश टिकैत (भारतीय किसान यूनियन) , दर्शन पाल (क्रांतिकारी किसान यूनियन अध्यक्ष), योगेंदर सिंह उगराहा (भारतीय किसान यूनियन उगराहा), हरपाल सिंह (भाकियू) हन्नान मोल्लाह (अखिल भारतीय किसान सभा) सुरेश कोथ, राजगीर जालौन, अभिमन्यू आदि सामिल हुये।

मंत्री अजय मिश्रा के बयान ने घटना की पृष्ठभूमि तैयार की

डॉ दर्शन पाल ने प्रेस कान्फ्रेंस की शुरुआत करते हुये कहा- 25 सितंबर अजय मिश्रा को लखीमपुर खीरी में भाषण देते हैं। और उनका वीडियो वायरल होता है। जिसमें वो काला झंडा दिखाने वालों के ख़िलाफ़ दुर्भावना पूर्ण वक्तव्य देते हैं। ये घटना का बैकग्राउंड तैयार किया। जिसके परिप्रेक्ष्य में ये घटना घटित हुई है। उन्होंने बताया कि वो सांसद मंत्री के अलावा भी बहुत कुछ है । वो कहते हैं यूपी से उखाड़कर किसानों को फेंक देंगे। यानि वो एक टारगेट सेट करते हैं विरोध करने वाले किसानों के खिलाफ़। और फिर 3 अक्टूबर को उनका बेटा मोनू मिश्रा घटना को अंजाम देता है। और पूरी घटना पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की गई। लेकिन जैसे ही घटना का वीडियो बाहर आया तस्वीर साफ हो गयी कि कैसे ये जो घटना है वो सामान्य घटना नहीं है। ये घटना उस पूरी साजिश का हिस्सा है। और इस घटना के जरिये वो लोगों के ऊपर टेररिस्ट अटैक कर रहे हैं। लोगों को चुप कराने के लिये काले झंडा दिखाना तो दूर हम बोलने नहीं देंगे । संयुक्त किसान मोर्चा ने 3 तारीख की घटना को 4 किसान और 1 पत्रकार साथी की हत्या की गयी, और 25 मार्च का वो बयान जिसकी पृष्ठभूमि में घटना को अंजाम दिया गया के वीडियो वायरल किये और अगले दिन हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया कि निष्पक्ष जांच हो। इस तरह संयुक्त किसान मोर्चा ने 3 तारीख की घटना पर इनके सारे प्रोपेगैंडा और जनरलाइजेशन को तोड़ा । 3 तारीख को ही खट्टर का बयान आया, 3 तारीख को मोदी का बयान आया । संयुक्त किसान मोर्चा ये लड़ाई आखिर तक लड़ेगा।

योगेंदर सिंह उगराहा ने प्रेस कांन्फ्रेंस को संबोधित कर कहा कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण शुरु हुआ और शांतिपूर्ण चल रहा है। भाजपा सरकार ने इसे कभी नक्सली, कभी खालिस्तानी कभी कुछ कभी कुछ कहकर बदनाम करने की कोशिश की। लेकिन पिछले 3 महीने से जो पैंतरा लेकर आये हैं वो ख़तरनाक है। ऐसा हर आंदोलन में होता है। पहले सारे पैंतरे आजमाते हैं फिर हिंसा का रास्ता अख्तियार करती है। करनाल की घटना का ही दूसरा सिरा लखीमपुर खीरी से जुड़ता है। सरकार पूरी तरह से हिंसा पर उतर आयी है। और वो हमें भी उसी रास्ते पर लाना चाहती है। लेकिन हम हिंसा के रास्ते पर कतई नहीं जायेंगे। हम इनकी हिंसक दमन का जवाब एकता के साथ देंगे।

302 के दोषी के साथ ऐसा सलूक होता है क्या

उन्होंने आगे कहा कि आशीष मिश्रा 302 का दोषी है। और पुलिस उसे गिरफ्तार करने के बजाय नोटिस भेजकर बुला रही है। 302 के मामलों में ऐसा नहीं होता है, कभी भी नहीं। सीधे गिरफ्तारी होती है। एक दोषी आम व्यक्ति के साथ जो होती है वही इन दोनों के साथ और तमाम दोषियों के साथ होना चाहिये। हमारा संघर्ष चलता रहेगा जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जातीं।

हन्नान मोल्लाह ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि हमारा आंदोलन 10 महीने से चल रहा है। और अब तक हमारे 623 कॉमरेड इसमें शहीद हो गए। लेकिन ये आंकड़ा सरकार और पार्लियामेंट के पास नहीं है। ये दुख की बात है। कुछ लोगों ने इसे पंजाब हरियाणा तक आंदोलन को सीमित बताया। लेकिन आंदोलन दो हिस्सों में बंटा हुआ है। एक है 6 राज्यों में पंजाब हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश राजस्थान ये 6 राज्यों के किसान दिल्ली को घेरने के लिए आंदोलन में शामिल हैं। बेटे हैं। दूसरा है कि 25 राज्य अपने अपने में आंदोलन को चला रहे हैं। गांव जिला तहसील स्तर पर लोग इन 25 राज्यों में आंदोलन कर रहे हैं। हर राज्य में संयुक्त किसान मोर्चा की कॉल को फॉलो किया गया। सारे देश में किसान आंदोलन चल रहा है। जिसे देश के छात्र, महिला बुद्धिजीवी, कामगार, ट्रेड यूनियन सबका समर्थन मिला है। सरकार हमारे आंदोलन को तोड़ नहीं पायी। बदनाम करके आइसोलेट नहीं कर पायी तो सीधे ज़मीन पर मारने का रास्ता अपनाया है। ये आरएसएस का प्लान है।

पहले खट्टर के आदेश पर हरियाणा में किसानों को खत्म किया फिर असम में हेमंता बिस्वा सरमा के आदेश पर दो किसानों को खत्म किया अभी योगी के निर्देश पर 5 साथियों का मार डाला। आने वाले समय में किसान आंदोलन को तोड़ने के लिये आरएसएस ये कर रहा है।

चुनाव के पहले हिंदू बनाम सिख का विभाजन तैयार करने के लिये ये हमला किया गया

हरपाल सिंह (भाकियू अराजनैतिक असली) ने कहा कि –“ देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश में 2022 में चुनाव होना है। घटना साजिश के तहत की गई है। देश में सबसे ज़्यादा गन्ना का बकाया 8 हजार करोड़ उत्तर प्रदेश में है। बिजली का बिल सबसे ज़्यादा बकाया 22 हजार करोड़ रुपये बकाया है। उत्तर प्रदेश में एमएसपी पर ख़रीद मात्र 10 प्रतिशत होता है। सबसे ज़्यादा दमन है उत्तर प्रदेश में।

दिल्ली के आंदोलन में उत्तर प्रदेश के इस क्षेत्र के किसानों से सबसे ज़्यादा बढ़ चढ़कर भाग लिया था। मंत्री अजय मिश्रा ने बयान दिया किसानों के ख़िलाफ उसकी साजिश है। सिख और हिंदुओं में बांटने के लिये ये घटना अंजाम दी गई। घटना के अगले दिन मीटिंग में डीजीपी ने एलान किया कि किसान नेता नहीं आयेंगे बैठक में। सरकार किसान मुसलमान हिंदू और सिख में बांटने के लिये दमन का रास्ता बना रही है। लेकिन किसान आंदोलन ने इनकी हिंदू मुस्लिम की राजनीति को ध्वस्त कर दिया है। ये लड़ाई पूरे देश की है जिसे किसान लड़ रहे हैं। दिल्ली की कुर्सी पर एक फासिस्ट सोच बैठी है और वो सोच छात्र आंदोलन को को टुकड़े गैंग, आदिवासी आंदोलन को नक्सली, किसान आंदोलनकारियों को को खालिस्तानी, बुद्धिजावी आंदोलन करते हैं तो अर्बन नक्सलाइट कह देते हैं। ये विरोध करने वालों का दमन करते हैं। सभी किसान संगठन यूपी में मिलकर लड़ेगें। यूपी भी अब हरियाणा पंजाब की तरह सड़क पर आयेगा।

राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ हरियाणा के युवा नेता अभिमन्यु ने कहा प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुये कहा-“लखीमपुर खीरी की घटना को किसान आंदोलन से अलग करके नहीं देखा जा सकता। हरियाणा के करनाल में डीएम ने सीधे किसानों का सर फोड़ने का आदेश दिया। लखीमपुर की घटना उसकी अगली कड़ी है। अंबाला के नारायण गढ़ में किसान सांसद नायाब सैनी के काफिले ने किसानों को टक्कर मारी। किसान को समय रहते साथियों ने अस्पताल पहपुंचाया तो उसकी जान बची।

उन्होंने आगे कहा कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में घटना होती है। उसी दिन प्रधानमंत्री का बयान आता है। और उसी दिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर लठैत तैयार करने और किसानों से मुकाबला करने की बात करते हैं। ऐसी बात यदि मुख्यमंत्री देता है तो देश की शासन व्यवस्था का क्या हाल होगा। कल उन्होंने भले ही बयान वापिस लिया है पर उनकी असल मंशा वही है।

तमाम वीडियो सामने आया है। 25 तारीख को केंद्रीय राज्य मंत्री देश के किसानों को देख लेने और किसानों को सबक सिखाने की धमकी देती है। यदि मोदी सरकार उसी दिन उनकी बात का संज्ञान लेकर कार्रवाई की होती तो 3 अक्टूबर की घटना न होती। सच बाहर आने लगा तो अब दोबारा से इंटरनेट बंद कर दिया ताकि सच बाहर न आ सके।

सुरेश कौल ने प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित कर कहा- ये समझौता किसी एक नेता या एक संगठन ने नहीं किया। वहां जो बात हुयी 11 लोगों की पूरी कमेटी शामिल हुयी। राकेश टिकैत और जसबीर जी सिखों के नेता बाबा अनूप सिंह, रघवेंद्र जी पटियालसा, प्रताप सिंह बाजवा, शामिल थे सभी परिवार शामिल थे।

9 सदस्यीय कमेटी ये सारी संयुक्त मोर्चा का फैसला था। हमारी मांग एक करोड़ रुपये का था। पोस्टमार्टम दोबारा हुई। सारी वीडियोज सामने नहीं आ पायी। जैसे जैसे वीडियोज आयी । वहां लोग बहुत भयभीत और डरे हुये हैं।

भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि- “मंत्री का इस्तीफा जब तक नहीं होगा जांच पूर्ण रूप से यहां की प्रशासन नहीं कर सकती है। आखिर गृह राज्य मंत्री के ख़िलाफ़ कौन जांच करेगा। जब तक उन्हें रिमांड में लेकर पुलिस नहीं जाती तब तक केस में कुछ भी सामने नहीं आयेगा। पूछताछ गिरफ्तारी नहीं है। जब तक उसका बाप गृहराज्य मंत्री सत्ता में किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं कि उससे पूछ ताछ कर लेगा।

उन्होंने आगे कहा कि हमारा कदम संघर्ष से समाधान की ओर जायेगा। जब तक समाधान नहीं होगा संघर्ष जारी रहेगा। प्रशासन हमारे लोगों को न रोके। ग़ाज़ीपुर से वहां तक पुलिस हमें रोकने में लगी रही। 10 हजार लोगों के बीच सहमति बनी थी। मीटिंग में हमने कहा था कि हमारे ऊपर हमला हुआ है, हमने हमला किया नहीं है, झेला है। ये टेरर अटैक की गई थी।

उन्होंने आगे कहा कि 3 तारीख की शाम 7 बजे संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कान्फ्रेंस करके कहा था कि मंत्री बर्खास्त हो और बाप बेटा गिरफ्तार हो। वो समझौता सिर्फ़ अंतिम संस्कार के लिये था, फुल एंड फाइनल नहीं। कंप्लेन पहले ही स्थानीय कमेटी द्वारा दी जा चुकी थी। हमारे नेताओं के वहां पहुंचने से पहले।

उन्होंने आगे कहा कि 12 तारीख को अंतिम अरदास का कार्यक्रम है वो होगा। उसके बाद के सारी कार्यक्रम सरकार के हमारी मांगें मानने पर निर्भर करेगा। मंत्री का इस्तीफा, मंत्री और उसके बेटे की गिरफ्तारी। ये हमारी मांग है।

एक पत्रकार के यह सवाल पूछने पर कि आप लोग कहते थे कि राजनीतिक दलों को अपने प्रदर्शनों और मंचों पर नहीं आने देंगे और लखीमपुर खीरी में विपक्षी दलों के जाने पर आप धन्यवाद दे रहे हैं। के जवाब में राकेश टिकैत ने कहा कि यह तो प्रधानमंत्री का काम था भाई। उन्हें घटनास्थल पर जाना चाहिये था। पीड़ित परिवारों से मिलकर उन्हें न्याय का भरोसा दिलाना चाहिये था। लेकिन उनमें इतनी संवदनशीलता नहीं बची कि वो वहां जाते।

लोगों की मौत हुयी देश के प्रधानमंत्री में इतनी संवेदना नहीं है कि वो लोगों के दुख में शामिल हों। यह देश के लोकतंत्र की लिये शर्म नहीं है। अब अगर कोई दूसरा संवेदना जता रहा है तो हम उसे तो धन्यवाद देंगे। आप इसे राजनीति कह रहे हैं।

वहीं एक पत्रकार के द्वारा हरियाणा और केंद्र सरकार के बीच सड़क खाली कराने को लेकर हुई मीटिंग पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर योगेंद्र यादव ने कहा कि – “सड़क पर कील किसने ठोकी। बैरिकेड्स किसने लगाय। किसानों ने लगाया क्या। सड़कें किसने तोड़ी ये कोर्ट ने पूछा था। राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर रास्ता खाली करें। हमने सड़कें नहीं रोकी हैं।

मौत के मुंह में भेजे गये व्यक्ति नें लिंचिंग कर दी

योगेंद्र यादव ने लखीमपुर खीरी तिकुनिया में 3 अक्टूबर को गाड़ी तले रौंदे गये किसान नेता तेजिंदर सिंह विर्क के ख़िलाफ़ लिंचिंग की एफआईआर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज करने और उनसे दिल्ली जाकर पूछताछ करने पर कहा कि –“वीडियो के पहले क्लिप में जो 6-7 लोग हैं। उसके सेंटर में जो लाल पगड़ी वाला व्यक्ति है। उनका नाम है तेजिंदर सिंह तराई किसान संगठन हैं। प्रिसिपल टारगेट तेजेंदर सिंह था। गाड़ी उनको रौंदकर निकल जाती है। और वो खड्ढे में जाकर गिर जाते हैं। और वो जिंदा है। उनको खड्ढे से निकाला जाता है। पगड़ी पहने हुये थे बावजूद इसके उनके सिर में गंभीर चोट आती है। मेदांता में उनके 4-5 ऑपरेशन हुये । तेजिंदर विर्क के ख़िलाफ पुलिस शिक़यात हुयी कि तेजेंदर सिंह ने भाजपा कार्यकर्ताओं की लिचिंग की। कंप्लेन की यूपी पुलिस जांच कर रही । तस्वीर है उस व्यक्ति के रौंदे जाने की, उसके खड्ढे से निकराले जाने की तस्वीर है। और सारे मेड़िकल सर्टिफिकेट है कि वो कब कहां कहा गये सर्जरी और इलाज के लिये उसके बारे में ये लोग कह रहे हैं कि उन्होंने लिंचिंग कर दी है।”
(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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