Friday, April 26, 2024

इस्लामोफोबिया पर अंतरराष्ट्रीय बहस के लिए स्पेशल सम्मेलन बुलाए संयुक्त राष्ट्र: इमरान खान

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76 वें अधिवेशन को संबोधित करते हुये पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव से इस्लामोफ़ोबिया पर एक वैश्विक वार्ता बुलाने का आह्वान किया और ‘इस्लामोफ़ोबिया’ को खास संदर्भ में रेखांकित करते हुये कहा कि संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति ने इसे एक उभरते ख़तरे के रूप में बताया है। यह मुसलमानों को टारगेट करने के लिए दक्षिणपंथी, ज़ेनोफोबिक और हिंसक राष्ट्रवादियों की प्रवृत्ति को बढ़ाता है। मैं महासचिव से इस्लामोफ़ोबिया के बढ़ते मामलों का मुक़ाबला करने के लिए एक वैश्विक वार्ता बुलाने का आह्वान करता हूँ। हमारे प्रयास, एक ही समय में, अंतर-धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए होने चाहिए।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने इस्लामोफ़ोबिया के संदर्भ में भारत का विशेष रूप से ज़िक्र करके कहा कि फासीवादी आरएसएस-भाजपा शासन की नफ़रत से भरी ‘हिंदुत्व’ विचारधारा ने भारत के 20 करोड़ मुस्लिम समुदाय के खिलाफ़ डर और हिंसा का माहौल तैयार कर दिया है।

कृतघ्न अमेरिका

प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पाकिस्तान को अमेरिकी कृतघ्नता का शिकार बताते हुये पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अमेरिका द्वारा दोहरा मानदंड अपनाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि “ जब वह 9/11 हमले के बाद अमेरिकी युद्ध का हिस्सा बना। अमेरिका का साथ देने के बदले 80,000 पाकिस्तानियों की जान चली गई। यह देश में आंतरिक संघर्ष और असंतोष का कारण बना जबकि अमेरिका ने ड्रोन हमले किए। तो अब जब हम सुनते हैं कि अमेरिका दुभाषियों और अमेरिका की मदद करने वाले सभी लोगों की देखभाल करने को लेकर इच्छुक और चिंतित है तो हम सोचते हैं कि हमारे बारे में क्या?

इमरान ख़ान ने कहा, इस साथ के बदले प्रशंसा की बजाय पाकिस्तान को सिर्फ़ दोष दिया गया। अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा स्थिति के लिए कुछ अमेरिकी राजनेताओं और कुछ यूरोपीय राजनेताओं ने पाकिस्तान को दोषी ठहराया। इस मंच से मैं चाहता हूँ कि उन सभी को पता चले कि इन परिस्थितियों की वजह से अफ़ग़ानिस्तान के अलावा, जिस देश को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, वह पाकिस्तान था।

इमरान ख़ान ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में एक तबक़ा ऐसा है जो अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के उभार के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराता है।

कश्मीर में भारत ने अवैध कार्रवाई करते हुये मानवाधिकारों का हनन किया

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने 5 अगस्त 2019  को जम्मू और कश्मीर में भारत की कार्रवाई को अवैध और एकतरफ़ा क़दम बताया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि 900000 सशस्त्र बलों की तैनाती की गई। वरिष्ठ कश्मीरी नेताओं को नज़रबंद कर दिया गया। मीडिया और इंटरनेट पर रोक लगा दी गई। शांतिपूर्ण विरोध को हिंसक रूप से दबा दिया गया। 13000 युवा कश्मीरियों का अपहरण हुआ और सैकड़ों को प्रताड़ित किया गया। फ़र्ज़ी “मुठभेड़” में सैकड़ों निर्दोष कश्मीरियों को मार डाला गया।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत अपने फ़ैसलों और कार्रवाई से जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विवादित इलाक़े का समाधान यूएन की निगरानी में निष्पक्ष जनमत संग्रह से होगा।

उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर में भारत की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और मानवीय कानूनों का उल्लंघन करती है, जिसमें चौथा जेनेवा कन्वेंशन भी शामिल है और यह युद्ध अपराध और मानवता के ख़िलाफ़ अपराध है। मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए दुनिया का दृष्टिकोण चयनात्मक है। भू-राजनीतिक विचार, कॉर्पोरेट हित, वाणिज्यिक लाभ अक्सर अपने संबंधित देशों के अपराधों की अनदेखी करने के लिए मजबूर करते हैं। इस तरह का ‘दोहरा मानदंड’ भारत के संदर्भ में सबसे अधिक स्पष्ट है।

प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी की मौत का मुद्दा भी उठाते हुये कहा कि वरिष्ठ कश्मीरी नेता के पार्थिव शरीर को उनके परिवार से जबरन छीना गया और उन्हें उनकी इच्छा और मुस्लिम परंपराओं के अनुसार दफ़नाने से रोक दिया गया, जो कि भारतीय बर्बरता का सबसे हालिया उदाहण है। किसी भी कानून या नैतिक मंज़ूरी से इतर यह कार्रवाई बुनियादी मानदंडों के ख़िलाफ़ थी। मैं इस महासभा से मांग करता हूं कि सैयद गिलानी के शव को इस्लामी संस्कार के साथ दफ़नाने की अनुमति दी जाए।

अगर हम अभी भी अफ़ग़ानिस्तान की उपेक्षा करते हैं तो अगले साल तक लगभग 90% लोग ग़रीबी रेखा से नीचे आ जाएंगे

अफ़ग़ानिस्तान का जिक्र करते हुये पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सोचना चाहिए कि आगे क्या रास्ता चुनना है। अगर हम अभी अफ़ग़ानिस्तान की उपेक्षा करते हैं, तो संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान जो पहले से ही बुरे हालात से जूझ रहा है, वहाँ अगले साल तक लगभग 90% लोग ग़रीबी रेखा से नीचे आ जाएंगे। एक बड़ा मानवीय संकट मंडरा रहा है और इसका असर न केवल अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देशों पर पड़ेगा बल्कि पूरी दुनिया इससे प्रभावित होगी।

प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि अगर वहाँ एक स्थिर और मज़बूत सरकार नहीं रहती है तो एक अस्थिर, अराजक अफ़ग़ानिस्तान फिर से अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बन जाएगा।

उन्होंने कहा कि ऐसे में अफ़ग़ानिस्तान के लोगों की ख़ातिर एक ही रास्ता बचता है कि वर्तमान सरकार को मज़बूत और स्थिर करना चाहिए।

प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपनी मीडिया ब्रीफिंग में तालिबान के वादों का संक्षिप्त विवरण देते हुये बताया कि उन्होंने मानवाधिकारों का सम्मान करने, एक समावेशी सरकार बनाने, अपनी धरती को आतंकवादियों को इस्तेमाल नहीं करने देने का वादा किया है।

इमरान खान ने आगे कहा कि ऐसे में अगर विश्व समुदाय उन्हें प्रोत्साहित करता है तो यह एक बड़ी जीत होगी। क्योंकि ये वो चार शर्तें हैं जो दोहा में यूएस-तालिबान वार्ता के दौरान हुई थीं। अफ़ग़ानिस्तान एक ‘गंभीर’ मोड़ पर है। हम समय बर्बाद नहीं कर सकते क्योंकि वहाँ मदद की ज़रूरत है। वहाँ तुरंत मानवीय सहायता दी जानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने साहसिक क़दम उठाए हैं। मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संगठित होकर इस दिशा में आगे बढ़ने का आग्रह करता हूं।

भारत का दोटूक जवाब-पाकिस्तान आतंकियों का साथ देता है

संयुक्त राष्ट्र महासभा में जवाब देने के अधिकार के तहत भारत की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बयान पर कड़ा विरोध जताया और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि पाकिस्तान खुले तौर पर आतंकवादियों का समर्थन करता है और विश्व स्तर पर ज्ञात है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को हथियार देता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भारत के आंतरिक मामलों को दुनिया के मंच पर लाने और झूठ फैलाकर छवि ख़राब करने की कोशिश की है। उनके इस प्रयास पर हमने अपने राइट टू रिप्लाई का इस्तेमाल किया है।

अपने जवाब में भारत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंधित सूची के ज़्यादातर आतंकवादियों को शरण देने या उनकी मेज़बानी करने का अपमानजनक रिकॉर्ड भी पाकिस्तान के खाते में ही है। ओसामा बिन-लादेन को पाकिस्तान ने शरण दे रखी थी। यहाँ तक कि आज भी पाकिस्तान ओसामा को शहीद बताता है।

भारत की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवादियों का पालन-पोषण करता है। हम सुनते रहे हैं कि पाकिस्तान ख़ुद आतंकवाद का शिकार है। दरअसल, पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो अग्निशामक बनकर आग लगाता है। पाकिस्तान के लिए बहुलतावाद समझना बहुत मुश्किल है क्योंकि यहाँ अल्पसंख्यकों के लिए शीर्ष तक पहुँचने पर पाबंदी है। पूरा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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