Thursday, March 28, 2024

क्यों करना पड़ रहा है पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी प्रत्याशियों को विरोध का सामना?

2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश बीजेपी के लिए ट्रंप कार्ड साबित हुआ था वही अब उसके लिए मुसीबत का सबब बन गया है। यहां जगह-जगह उसके प्रत्याशियों को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। मतदाताओं के भीतर पार्टी के प्रति एक असंतोष दिखाई दे रहा है, जिसकी अभिव्यक्ति आम लोगों में फूटे गुस्से के तौर पर सामने आ रही है। सोशल मीडिया आजकल भाजपा प्रत्याशियों के विरोध के वीडियो से भर गया है।

संभल के असमोली विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी का जमकर विरोध हो रहा है। यहां भाजपा प्रत्याशी हरेंद्र उर्फ रिंकू को चुनाव प्रचार के दौरान लोगों ने तकरीबन खदेड़ लिया। कुछ दिनों पहले वह शंकरपुर गांव में वोट मांगने गए थे। लेकिन क्षेत्र में जनसंपर्क के दौरान लोगों ने उनका विरोध शुरू कर दिया। जिसका नतीजा यह हुआ उन्हें उल्टे पांव भागना पड़ा।

इस सम्बन्ध में जनचौक ने जब हरेंद्र उर्फ रिंकू से संपर्क किया तो उनका कहना था कि “दरअसल शाम को हम असमोली विधानसभा के एक गांव में गये थे। गांव की हालत इतनी ख़राब थी कि हमारे जूते नाली के गन्दे गारे में सन गए। हरेंद्र का कहना था कि असमोली विधानसभा सीट से पिंकी यादव विजयी हुई थीं लेकिन उन्होंने आज तक गांव में आकर नहीं देखा। बस यही हम समझा रहे थे कि किसान यूनियन के कुछ लोगों ने हमारे खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी, मगर हम चुप खड़े रहे”।

हरेंद्र सिंह उर्फ रिंकू का विरोध करते लोग।

अमरोहा जिले के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के दावेदार महेंद्र सिंह खड़गवंशी को भी विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा है। यहां उन्हें लोग इलाके से दोबारा प्रत्याशी बनाए जाने से नाराज हैं। और यह विरोध हसनपुर सहित गजरौला नेशनल हाईवे स्थित गांव सदरपुर एवं अन्य कई गांवों में बिल्कुल साफ दिखा। विरोध इतना तीखा था कि युवाओं ने खड़गवशीं का पुतला तक फूंक डाला। स्थानीय लोगों का कहना है कि विधायक ने क्षेत्र में न तो विकास ही कराया और ना ही लोगों की जन समस्याओं का समाधान किया। पूरे पांच साल दलाली के कामों से विधायक जी को अब फुर्सत मिली तो सोच रहे हैं कि क्षेत्र में घूम लिया जाए। विधानसभा क्षेत्र के गांव लुहारी निवासी सुनील शर्मा का कहना था कि “जो सड़क पांच साल पहले जिस स्थिति में थी आज उसकी हालत और बिगड़ चुकी है। क्षेत्र में जो हैंडपंप ख़राब हो गया, समझो दोबारा उसका नम्बर ही नहीं आया”।

महेंद्र सिंह खड़गवंशी।

मीरगंज विधानसभा सीट पर भी बीजेपी प्रत्याशी डी.सी. वर्मा का विरोध हो रहा है। आपको बता दें कि यह सीट बरेली जिले में आती है। यहां से बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक डी.सी. वर्मा को फिर से प्रत्याशी बनाया है। लेकिन इसको लेकर लोगों में नाराजगी है। और यही नाराजगी सड़कों पर फूट पड़ी है।  उनके खिलाफ खिलाफ कई जगहों पर जमकर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में डी.सी. वर्मा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के सुल्तान बेग को 54 हजार वोट से अधिक के अंतर से हराया था। लेकिन अब समय गुजर चुका है। ग्रामीण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती मीरगंज विधानसभा क्षेत्र में कस्बाई इलाके का विकास तो दिखाई देता है, लेकिन ग्रामीण अंचल के क्षेत्रों में विकास अभी भी कोसों दूर है। क्षेत्र में अनाज और गन्ने के भारी उत्पादन के बावजूद यहां कोई बड़ी मंडी विकसित नहीं हो सकी है। बरेली निवासी संतोष का कहना है कि “विधायक साहब जब से चुनाव जीते हैं तब से उनका वीआईपी कल्चर गया नहीं है अब जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो विधायक क्षेत्र में प्रचार के लिए निकल रहे हैं इसलिए विरोध तो होना लाजिमी है ही”।

डीसी वर्मा।

वहीं पीलीभीत जिले के विधायक संजय सिंह गंगवार को भी अपने इलाके में लोगों का विरोध झेलना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विधायक ने 5 साल में गरीबों की जमीन हड़पने के अलावा कुछ नहीं किया। विधायक की मिलीभगत से पीलीभीत की देवहा नदी में दिन-रात खनन होता रहता है लेकिन प्रशासन कोई सख्ती नहीं बरतता। यदि कुछ समय ऐसा ही चलता रहा तो जल्द ही पीलीभीत अपने ऐतिहासिक महत्व को खो देगा।

संजय सिंह गंगवार।

जाट बेल्ट में तो बीजेपी नेताओं के लिए हालात और भी बुरे साबित हो रहे हैं। दरअसल यहां किसान आंदोलन अपने तरीके से असर डाल रहा है। मेरठ के जाट बाहुल्‍य गांव छुर में बीजेपी प्रत्‍याशी मनिंदर पाल सिंह को जबरदस्‍त विरोध का सामना करना पड़ा। इसी तरह से बुलंदशहर में स्याना सीट से भाजपा विधायक देवेंद्र सिंह लोधी का जगह-जगह विरोध हो रहा है। उनके ऊपर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने विकास कार्य नहीं कराए हैं। क्षेत्रीय विधायक जब मतदाताओं के पास पहुंच रहे हैं तो उनसे विकास कार्य का हिसाब पूछा जा रहा है।

मनिंदर पाल सिंह।

वहीं मुजफ्फरनगर में बीजेपी प्रत्याशी विक्रम सैनी का भी अपने इलाके में विरोध हो रहा है। खतौली में तो बीजेपी विधायक को अपने ही समाज के विरोध का सामना करना पड़ा। यहां की विधानसभा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी विक्रम सैनी अपने क्षेत्र के गांव मनव्वरपुर में अपनी ही बिरादरी की सैनी समाज की एक चौपाल में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे, लेकिन इसी दौरान किसी बात को लेकर ग्रामीणों ने विक्रम सैनी के साथ अभद्रता करते हुए उन्हें गांव से खदेड़ दिया। जानकारी के अनुसार भाजपा विधायक विक्रम सैनी बुधवार को मंसूरपुर थाना क्षेत्र के मुनव्वरपुर कला गांव में एक सभा में पहुंचे थे। स्कूल में गांव वालों से चुनाव की चर्चा के दौरान कुछ युवकों ने भाजपा प्रत्याशी पर गांव में विकास के काम न कराए जाने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। जिसको लेकर प्रत्याशी नाराज हो गए। इसी बात को लेकर गांव के कुछ युवकों ने प्रत्याशी के विरोध में नारेबाजी शुरू कर दी।

पश्चिमी यूपी में लगातार हो रहे भाजपा प्रत्याशियों के विरोध प्रदर्शन के सन्दर्भ में मुबारकपुर निवासी जितेंद्र शर्मा का कहना है कि “कुछ नहीं हो रहा बस समय अपना काम कर रहा है। बीजेपी ने 5 सालों में जो कुछ दिया, भाजपा प्रत्याशियों का विरोध उसी का परिणाम है। इन्होंने लोगों को केवल जुमले दिये हैं। सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य की हालत खस्ता हो गई है। कोरोना के नाम पर स्कूल बंद करके, बच्चों को अनपढ़ रखने का प्लान है”। वहीं गजरौला निवासी देवेश विश्वकर्मा का कहना है कि “रोजगार के मुद्दे पर सरकार फेल हुई है। स्थानीय विधायक पूरे 5 साल लूट-खसोट में लिप्त रहे, लोगों की कोई सुनवाई नहीं हुई। अब इनका विरोध न हो तो और क्या होगा”।

बीजेपी प्रत्याशियों के इस स्तर के विरोध को समझने की कड़ी में जनचौक ने समाज के कुछ बुद्धिजीवियों से संपर्क किया। इस सिलसिले में अमरोहा के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. मेहताब अमरोहवी से उसके प्रतिनिधि की मुलाकात हुई। उनका कहना था कि अमरोहा की शुगर और कताई मिल बंद हो गई है। शहरों में जलभराव की समस्या है। अच्छे शिक्षण संस्थान उपलब्ध नहीं हैं, कंप्टीशन की तैयारी कहां करें? कंप्टीशन की तैयारी करने के लिए आज भी बच्चों को कोटा, दिल्ली, लखनऊ कूच करना पड़ता है। 5 सालों में जुमले बाजी के अलावा किया है क्या है! लोगों के मन का गुस्सा है जो भाजपा प्रत्याशियों के विरोध स्वरूप बाहर आ रहा है।

(पश्चिमी उत्तर प्रदेश से प्रत्यक्ष मिश्रा की रिपोर्ट।)

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