Friday, April 26, 2024

आखिर क्यों हुआ ब्लू बुक नियमों का उल्लंघन एसपीजी को देना पड़ेगा सुप्रीम कोर्ट में जवाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान हुई कथित सुरक्षा चूक का मामला अब उच्चतम न्यायालय के पाले में चला गया है और उच्चतम न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को पीएम के यात्रा रिकॉर्ड को सुरक्षित और संरक्षित करने का निर्देश देते हुए पंजाब और केन्द्रीय गृह मंत्रालय की जाँच को रोक दिया है और इस मामले पर सोमवार 10जनवरी को आगे सुनवाई करने को कहा है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सुरक्षा चूक के लिए पंजाब सरकार को और पंजाब सरकार द्वारा एसपीजी और आईबी को जिम्मेदार ठहराने के आरोपों-प्रत्यारोपों की स्वतंत्र जाँच का आदेश देने का संकेत उच्चतम न्यायालय ने दिया है। दोनों के तत्सम्बन्धी रिकार्ड उच्चतम न्यायालय के समक्ष जब आयेंगे तो एक दोषी है या दोनों लापरवाही के दोषी हैं यह पूरी तरह स्पष्ट हो जायेगा।     

दरअसल  एसपीजी की ब्लू बुक में पीएम की सुरक्षा के हर पहलू का विस्तृत ब्योरा होता है कि हर स्थिति में पीएम की कैसे सुरक्षा करनी है। इसीलिए फ्लाइओवर पर पीएम के काफिले का एक भीड़ के नजदीक रुका रहना चौंकाता है और अब न्यायालय तय करेगी कि दाल में कुछ काला है या पूरी दाल ही काली है।

फ्लाइओवर पर पीएम के काफिले के फोटो वायरल हुई है। बड़ा सवाल है कि प्रधानमंत्री का काफिले के पास निश्चित रूप से भाजपा का झंडा लिए कुछ लोग आ गए थे, जैसा कि कुछ फोटो से साफ हो रहा है, और इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।इसे एसपीजी को स्पष्ट करना पड़ेगा। यह सवाल है कि आखिर ये सारे फोटो सार्वजनिक कैसे हो गए? इन फोटो को किसने खींचा? और फिर इन फोटो को आम लोगों तक किसने पहुंचाया? यह कोई संयोग नहीं हो सकता क्योंकि हर एंगल से फोटो खींचे गए हैं।

आखिर कोई फोटोग्राफर पीएम की कार के इतना नजदीक कैसे पहुंचा! आखिर एसपीजी ने इस फोटोग्राफर को इतना करीब कैसे आने दिया, क्योंकि नियमानुसार तो यह प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक का मामला बन जाता? एसपीजी की ब्लू बुक में जिसमें एक एक बात साफ की गई है कि किसी भी समय और परिस्थिति में प्रधानमंत्री की सुरक्षा किस तरह सुनिश्चित की जानी है, और इसमें कोई भी खामी या कमी-बेशी नहीं होती है।

दरअसल जब प्रधानमंत्री पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक यात्रा पर होते हैं, तो एसपीजी ही उनकी यात्रा का सारा विवरण तैयार करती है, जिसमें मिनट-दर-दम मिनट प्रधानमंत्री के मूवमेंट का ब्योरा होता है, और इसे उन लोगों को दिया जाता है जो इस पूरे कार्यक्रम को बिना रुकावट के पूरा कराने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस ब्योरे में अन्य बातों के अलावा सभी सुरक्षा इंतजामों और सुरक्षा बलों या जवानों की तैनाती का भी विवरण रहता है। पंजाब के मामले में भ इस ब्योरे की एक प्रति पंजाब के मुख्य सचिव को भेजी गयी होगी, जो कि राज्य सरकार का सबसे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी होता है।

पीएम की यात्रा का एक विस्तृत ब्योरा 4 जनवरी को तैयार कर पंजाब के मुख्य सचिव को भेजा गया होगा। इस ब्योरे में साफ तौर पर लिखा गया होगा कि प्रधानमंत्री बठिंडा एयरपोर्ट से एमआई-17 हेलिकॉप्टर द्वारा फिरोजपुर जाएंगे। लेकिन एसपीजी की ब्लू बुक के मुताबिक मौसम विभाग से उस इलाके के मौसम का पूर्वानुमान विस्तार में लिया गया होगा जहां-जहां प्रधानमंत्री को जाना था। मौसम विभाग की इस रिपोर्ट में साफ लिखा होगा कि बुधवार को बठिंडा और फिरोजपुर और उसके आसपास के इलाकों में मौसम खराब रहेगा।

यही नहीं ब्लू बुक में यह भी स्पष्ट होता है कि किसी भी कारण से अगर यात्रा में कोई भी अचानक बदलाव होता है तो इसका कंटिंजेंसी प्लान क्या होता है या क्या होना चाहिए। वैसे भी एसपीजी ने इस विकल्प को तो रखा ही होगा कि अगर हेलिकॉप्टर से प्रधानमंत्री नहीं जाते हैं तो वे सड़क के रास्ते जा सकते हैं। तो प्रोटोकॉल के मुताबिक एसपीजी को पंजाब के डीजीपी को सूचित करना होता है जिससे कि रास्ते को सुरक्षित और संरक्षित किया जा सके।फिर डीजीपी को एसपीजी को यह आश्वस्त करना होगा कि रास्ता संरक्षित कर लिया गया है और प्रधानमंत्री के रास्ते पर सभी जरूरी इंतजाम कर दिए गए हैं। इस आश्वासन के बिना एसपीजी एक इंच भी प्रधानमंत्री को आगे नहीं जाने देगी।

सवाल है कि अगर पंजाब के डीजीपी को सूचना दी गई थी और उन्होंने आश्वासन दिया था तो डीजीपी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। पूरा घटनाक्रम दरअसल क्या हुआ इसका खुलासा तो अब उच्चतम न्यायालय में ही सारे कागजातों के अध्ययन के बाद ही सामने आएगा।

इसके जब भी प्रधानमंत्री मूवमेंट होता है या उनका काफिला चलता है तो आगे एक एडवांस वार्निंग पायलट वाहन जरूर कुछ दूरी पर चलता है। तो इस वाहन ने तो नोटिस कर ही लिया होगा कि प्रधानमंत्री जिस रास्ते से आ रहे हैं उस पर दिक्कत है। और अगर अचानक से भीड़ रास्ते पर आ गई है तो उसकी सूचना तो एडवांस वार्निंग पायलट वाहन ने तुरंत एसपीजी को दी होगी और इसके बाद काफिला तुरंत रुक गया होगा। तो फिर प्रधानमंत्री के वाहन को फ्लाइओवर पर ले जाने की क्या जरूरत थी? और फिर ऐसी जगह पर 15-20 मिनट तक इंतजार करने की क्या जरूरत थी जहां सामने ही भीड़ नजर आ रही थी? यह भी सवाल है कि भीड़ ने भाजपा का झंडा उठा रखा था तो उन्हें इस आकस्मिक रूट कि जानकारी कैसे मिली? क्या यह साजिश थी?

यदि इस दावे को मान भी लिया कि पंजाब पुलिस से संपर्क नहीं हो पा रहा था जो कि अपने आप में अनोखी सी बात है क्योंकि इलाके का एसएसपी तो खुद ही इस काफिले का हिस्सा रहा होगा, तो फिर तुरंत ही प्रधानमंत्री की कार को वापस क्यों नहीं मोड़ा गया? आखिर इंतजार किस बात का किया गया? और इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि फोटोग्राफ में साफ दिख रहा है कि एसपीजी जवान पीएम की कार को चारों तरफ से कवर किए हुए हैं, लेकिन कार का फ्रंट एकदम खाली है। ऐसा क्यों है, इसका जवाब तो एसपीजी को देना होगा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ, क्योंकि प्रोटोकॉल के मुताबिक यह नहीं होना चाहिए।

अब तो उच्चतम न्यायालय की स्वतंत्र जांच से ही पता चलेगा कि आखिर हुआ क्या था ? पंजाब पुलिस का काम था कि रास्ते को संरक्षित करना और पूरे सुरक्षा इंतजामों में कोई कमी नहीं आने देना। एसपीजी एक्ट की धारा 14 के मुताबिक राज्य सरकार समेत सभी एजेंसियों को एसपीजी डायरेक्टर या ग्रुप के मेंबर का सहयोग करना होगा जब भी जरूरत पड़े, या फिर उसे सौंपी गई जिम्मेदारी या काम में कोई बढ़ोत्तरी की जाए। दरअसल  जीरो एरर के सिद्धांत पर काम करने वाली एसपीजी इस मामले में चूक करती हुई दिख रही है और जिम्मेदारी भी उसी की है और उसी को संदेह से परे जवाब भी देना पड़ेगा।

उच्चतम न्यायालय में पंजाब सरकार और केंद्र सरकार दोनों ने पूरी मजबूती से अपनी किलेबंदी कर रखी है। चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ के समक्ष शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक की जांच के लिए जब सुनवाई हुई, तब पंजाब सरकार द्वारा की जा रही जांच और केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा की जा रही जांच की शुचिता का सवाल उठा। जहां पंजाब की जांच में रिटायर्ड जज मेहताब सिंह गिल को अध्यक्ष बनाए जाने पर सवाल उठा वहीं केंद्र द्वारा गठित जांच कमेटी में एसपीजी स्पेशल प्रोटेक्शन फोर्स के आईजी को शामिल करने का भी मामला उठा। इस पर केंद्र सरकार द्वारा कहा गया की वह जांच समिति से  एसपीजी के आईजी को हटाकर गृह सचिव को शामिल करने के लिए तैयार है।

दरअसल पीठ पीएम मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान कथित सुरक्षा उल्लंघन की अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने घटना की जांच के लिए पंजाब सरकार की एक समिति के गठन का जिक्र करते हुए कहा कि उल्लंघन की पेशेवर रूप से जांच की जानी चाहिए और राज्य द्वारा ऐसा नहीं किया जा सकता है। जस्टिस मेहताब सिंह गिल की अध्यक्षता वाली सरकार द्वारा गठित समिति के संबंध में, सिंह ने कहा कि राज्य द्वारा नियुक्त समिति के अध्यक्ष एक बड़े सेवा संबंधी घोटाले का हिस्सा थे। पुलिस प्राधिकरण ने भी इस न्यायाधीश के आचरण की जांच की थी। उच्चतम न्यायालय ने पहले माना था कि इस न्यायाधीश ने एक पुलिस अधिकारी को लक्षित किया था जिसने अपने मामले की जांच की थी।

इसके जवाब में पंजाब के महाधिवक्ता डीएस पटवालिया ने तर्क दिया कि राज्य सुरक्षा चूक को हल्के में नहीं ले रहा है। उन्होंने कहा कि समिति का गठन उसी दिन किया गया था जिस दिन घटना हुई थी, और इस पर विचार नहीं किया गया था। मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। एजी ने कहा कि हम मुद्दों में शामिल नहीं हो रहे हैं। हमारे सीएम ने कहा है कि मोदी हमारे प्रधानमंत्री हैं। भले ही याचिका राजनीति की है, हम इसके खिलाफ नहीं हैं।

राज्य की प्रतिबद्धता पर व्यक्त किए गए आपत्तियों पर, पटवालिया ने कहा कि अगर हमारे द्वारा नियुक्त न्यायाधीश के खिलाफ आरोप हैं, तो मैं एक या दूसरे तरीके से बहस नहीं कर सकता। एसपीजी के आईजी, जो केंद्र की समिति के सदस्य हैं, इसके लिए भी जिम्मेदार थे और अपने स्वयं के मामले में न्यायाधीश नहीं हो सकते।

इस पर एसजी मेहता ने तब सुझाव दिया कि एसपीजी आईजी को केंद्र के आयोग में गृह सचिव द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है।तब चीफ जस्टिस रमना ने एसजी मेहता से पूछा कि क्या वह चाहते हैं कि एक स्वतंत्र समिति का गठन किया जाए, तो मेहता ने कहा कि कल तक सब कुछ आपके सामने होने दें और रिकॉर्ड एकत्र किए जाएं और हम कल तक अपनी व्यक्तिगत चिंताओं को रखेंगे और आप इसे सोमवार को देख सकते हैं।

इस पर पीठ ने निर्देश दिया कि आगे की दलीलों को ध्यान में रखते हुए, फिलहाल और देश के पीएम की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे को देखते हुए… हम पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को पीएम के यात्रा रिकॉर्ड को सुरक्षित और संरक्षित करने का निर्देश देना उचित समझते हैं और पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक की जांच के लिए केंद्र और राज्य द्वारा नियुक्त समितियां सोमवार तक काम नहीं करें।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles