Friday, April 19, 2024

यति नरसिंहानंद के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलेगा, अटॉर्नी जनरल ने दी अनुमति

यति नरसिंहानंद के खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलेगा। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने यति नरसिंहानंद के खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। शाची नेल्ली नाम की याचिकाकर्ता ने बताया था कि नरसिंहानंद ने उच्चतम न्यायालय की छवि बिगाड़ने वाला बयान दिया था। नरसिंहानंद ने कहा था कि उन्हें संविधान पर भरोसा नहीं। यह 100 करोड़ हिंदुओं के संहार के लिए बना है। जो भी सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा करता है, वह एक दिन कुत्ते की मौत मरेगा।

एजी ने कहा है कि मैंने पाया है कि यति नरसिंहानंद की ओर से दिया गया बयान आम नागरिकों की नजर में उच्चतम न्यायालय के प्राधिकार को कम करने का सीधा प्रयास है। यह निश्चित तौर पर भारत के उच्चतम न्यायालय की अवमानना है। मैं उच्चतम न्यायालय की आपराधिक अवमानना के लिए मुकदमा शुरू करने की अनुमति देता हूं।

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में डासना मंदिर के मुख्य पुजारी नरसिंहानंद को उत्तराखंड में गंगा तट पर सर्वानंद घाट से शनिवार रात गिरफ्तार किया गया था। धर्म संसद घृणा भाषण मामले में हरिद्वार में नरसिंहानंद और जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी सहित 10 से ज्यादा लोगों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं। मामले की जांच विशेष जांच दल कर रहा है।

हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर के बीच हुई धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ कथित तौर पर भड़काउ और घृणा भाषण देने के आरोपी नरसिंहानंद फिलहाल न्यायिक हिरासत में रोशनाबाद जेल में बंद हैं। नरसिंहानंद पर भारतीय दंड विधान की धारा 341, 504, 506 और 352 के तहत नए आरोप दर्ज किए गए हैं। इससे पहले, धर्म संसद में घृणा भाषण मामले में गिरफ्तारी के समय आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 295 (क) और 509 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

विवादित हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद द्वारा कथित धर्म संसद में सुप्रीम कोर्ट और संविधान के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्‍पणियों के मामले में अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए एक कार्यकर्ता ने एटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर अनुमति मांगी थी। शची नेल्ली नामक कार्यकर्ता ने अपने पत्र में कहा है कि नरसिंहानंद ने विशाल सिंह नामक एक युवक को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट और संविधान की अवमानना की है। यह इंटरव्यू 14 जनवरी को ट्विटर पर वायरल था। पत्र में नरसिंहानंद के बयान और संदर्भ का उल्लेख किया गया है।

पत्र में कहा गया था कि हरिद्वार हेट स्पीच मामले में अदालती कार्यवाही के बारे में पूछे जाने पर नरसिंहानंद ने कहा कि “हमें सुप्रीम कोर्ट और संविधान पर कोई भरोसा नहीं है। संविधान इस देश के 100 करोड़ हिंदुओं को खा जाएगा। जो इस संविधान को मानते हैं, वे मारे जाएंगे। जो इस सिस्टम पर, इन नेताओं पर, सुप्रीम कोर्ट, फौज पर पर भरोसा कर रहे हैं, वे सारे लोग कुत्ते की मौत मरने वाले हैं”।

पत्र में उसी बातचीत की एक अन्य क्लिप का उल्लेख किया गया था, जिसमें नरसिंहानंद से जब मामले में की गई गिरफ्तारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “जब जितेंद्र सिंह त्यागी ने वसीम रिज़वी के नाम से किताब लिखी, तब न एक भी पुलिस वाले ने, इन ‘हिजड़े’ पुलिस वालों और नेताओं में से एक ने भी उन्हें गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं की। पत्र में कहा गया था कि नरसिंहानंद की टिप्पणियों ने सुप्रीम कोर्ट की सत्ता और महिमा को कमजोर करने की कोशिश की है, और और संविधान और कोर्ट की अखंडता पर अपमान भरी बयानबाजी और आधारहीन हमलों के जर‌िए न्याय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप का अधम और स्पष्ट प्रयास है।

पत्र में कहा गया था कि संस्था की महिमा को कमतर करने और न्यायालय में नागरिकों के भरोसे को कम करने के किसी भी प्रयास का नतीजा अराजकता और हंगामा हो सकता है। यह शायद इतिहास में उच्चतम न्यायालय पर सबसे शातिर हमला है।” पत्र में यह भी  कहा गया था कि टिप्पणियों की अनदेखी उन्हें उच्चतम न्यायालय की सत्ता को कमतर करने प्रयास को सफल होने देगी, यह पूरी तरह से नहीं तो काफी हद तक..। पत्र में कहा गया था कि उच्चतम न्यायालय संविधान का संरक्षक और पहला व्याख्याकार है। देश के मूलभूत ढांचे के प्रति भरोसे की कमी और सरासर अवमानना भयावह है। न्यायालय और न्याय देने की इसकी क्षमता को कमजोर करने की मंशा स्पष्ट है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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