श्रीगंगानगर, राजस्थान। राजस्थान के छोटे शहर श्रीगंगानगर में इस रविवार को हुई बड़ी घटना भी कहीं कोई खबर नहीं बन पाई। मामला यूं रफा-दफा किया जा रहा है, जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं। दरअसल, श्रीगंगानगर की एक पॉश कॉलोनी ‘वैलकम विहार’ में रहने वाले ओहदेदार-नामचीन लोगों ने इस रविवार को बेसहारा कुत्तों को सरियों-डण्डों से पीट-पीटकर लहूलुहान कर दिया। आलम यह था कि पूरा मोहल्ला ही इस हैवानियत में शामिल हो गया और मरणासन्न कुत्तों को कार की डिग्गी में डालकर अज्ञात स्थान पर फेंक दिया गया।
बताया जाता है कि इन कुत्तों को जिन्दा जलाने का प्रयास भी किया गया लेकिन कामयाबी नहीं मिली। कुत्तों की मदद करने आए जीवप्रेमियों को दुत्कार कर भगा दिया गया। पुलिस के पास गए तो शिकायत करने वालों को ही हड़काया गया और न कोई मुकदमा दर्ज किया गया और न ही कोई कार्रवाई अमल में लाई गई। पशु क्रूरता के इस जघन्य प्रकरण को इतनी आसानी से दबा दिया जाना सिर्फ इसलिए मुमकिन हुआ, क्योंकि आज भी छोटे शहरों-कस्बों की बड़ी घटना भी खबर नहीं बन पाती। मुख्य धारा के मीडिया में ऐसे मामलों को स्थान नहीं मिल पाता। स्थानीय मीडिया भी महज इसलिए खामोश रहा, क्योंकि कुत्तों की जान लेने का दुस्साहस करने वाले बड़े ओहदेदार हैं और पूरी कॉलोनी ही पहुंच वालों की है। सवाल यह है कि क्या कानून सभी के लिए बराबर नहीं है और अगर है तो इन नामचीनों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
इस मामले में श्रीगंगानगर के सामाजिक कार्यकर्ता विकास सचदेवा ने पुलिस थाना कोतवाली के थानाधिकारी हनुमाना राम को लिखित में शिकायत दी लेकिन उन्होंने कार्रवाई से स्पष्ट इन्कार कर दिया। एसपी ऑफिस के परिवाद अनुभाग ने दोबारा संबंधित थाना में जाकर गिड़गिड़ाने और कार्रवाई की गुजारिश करने की सलाह दे डाली। इस पर सचदेवा ने रजिस्टर्ड डाक से एसपी के नाम चिट्ठी भेजकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। इस घटनाक्रम की शिकायत एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इण्डिया, नई दिल्ली को भी की गई है। साथ ही, पशु प्रेमी मेनका गांधी के संज्ञान में भी यह मामला लाया गया है।
बावजूद इसके अभी तक किसी भी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सचदेवा ने बताया कि पूरे घटनाक्रम के वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं और उसमें कॉलोनी के लोग साफ दिखाई दे रहे हैं। जख्मी हुए कुत्तों की हालत बेहद दयनीय है। क्रूरता की इस पराकाष्ठा के खिलाफ अदालत की शरण लेने की तैयारी भी की जा रही है। यदि देश के पशु प्रेमी इस मामले में सक्रियता दिखाएं तो शायद दोषियों को कटघरे में खड़ा किया जा सके और उनके खिलाफ कार्रवाई होने से यह सन्देश मिले कि बेजुबानों के हक में भी कई जुबान खुलती हैं, जिन्हें किसी भी लगाम से बांधा नहीं जा सकता।
(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)