Saturday, April 20, 2024

26 नवंबर को ऐतिहासिक किसान आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ पर पटना में किसानों का राजभवन मार्च

ऐतिहासिक किसान आंदोलन के दवाब में मोदी सरकार ने 19 नवंबर, 2021 को तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी और संसद से तीनों काले कृषि कानून वापस लिए गए थे। जिसे किसानों ने अपनी जीत के तौर पर देखा था। इसी ऐतिहासिक जीत के वार्षिक अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा राष्ट्रव्यापी आह्वान के मद्देनजर पटना, बिहार में भी आधा दर्जन किसान संगठनों के बैनर तले सैंकड़ों किसानों ने 19 नवंबर 2022 को एक विजय जुलूस निकाला। यह विजय जुलूस जीपीओ गोलंबर से शुरू होकर स्टेशन रोड होते हुए बुद्ध स्मृति पार्क के पास पहुंच कर एक सभा में परिणत हो गया। जिसे संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि  मोदी सरकार ऐतिहासिक किसान आंदोलन के परिणामस्वरूप हुए 15 सूत्री समझौते को लागू न करके देश के किसानों के साथ वादाखिलाफी और विश्वासघात कर रही है। अतः अब देश के किसान इसे बर्दास्त नहीं करेंगे और समझौते को लागू कराने के लिए पहले से भी अधिक जोरदार तरीके से पुनः आंदोलन शुरू करेंगे।

किसान नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने हमारे आंदोलन को देखा है, जब हम देश भर के किसान तीनों काले कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं को घेर कर बैठ गए और ठंड व गर्मी को धत्ता बताते हुए अपने सात सौ से अधिक किसानों की शहादत के बाद भी 13 महीनों तक डटे रहे। जिसके फलस्वरूप मोदी सरकार ने बाध्य हो कर किसानों के साथ 15 सूत्री समझौते किए और तीनो काले कृषि कानूनों को वापस लिए। देश के संसद में पहली बार हुआ जब कानून संसद से वापस लिए गए। यह किसान आंदोलन की भारी जीत थी, जिसके एक वर्ष पूरा होने पर आज हम विजय जुलूस व सभा कर रहे हैं।

किसान नेताओं ने इसी कड़ी में इसी कड़ी में 24 नवंबर 2022 को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के तत्वावधान में बिहार के प्रमुख किसान संगठनों के नेताओं द्वारा पटना के छज्जु बाग में एक प्रेस वार्ता आयोजित की गई तथा इस प्रेस वार्ता के माध्यम से किसान नेताओं ने 26 नवंबर को ऐतिहासिक किसान आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ पर पटना में राजभवन मार्च का आह्वान किया।

किसान नेताओं ने पत्रकारों को संबोधित कर बताया कि जैसा कि सर्वविदित है, 26 नवंबर 2022 को किसान आंदोलन के दो वर्ष पूरे हो जाएंगे। एक वर्ष से लंबे चले इस ऐतिहासिक आंदोलन ने केंद्र सरकार को तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने को मजबूर कर दिया था। इसके बाद किसान आंदोलन की लंबित मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के नाम एक पत्र लिखकर लिखित आश्वासन भी दिया था।

लेकिन आज ग्यारह महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी केंद्र सरकार ने किसानों से किए गए वायदे पूरा नहीं किया है। इस विश्वासघात के खिलाफ और किसानों की अन्य मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 नवंबर 2022 को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। इस दिन देश भर के किसान अपने-अपने राज्यों में राजभवन मार्च निकालेंगे और राज्यपाल के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपेंगे।

इस मौके पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले बिहार के किसान भी राजभवन तक मार्च निकालेंगे। यह मार्च पटना के गांधी मैदान से सुबह 12 बजे निकलेगी और इसमें राज्य भर के किसानों की भारी भीड़ जुटेगी। इस मार्च के माध्यम से किसान अपनी मांगों को उठाएंगे, जिसमें किसान आंदोलन की छ: लंबित मांगों के अलावा बिहार के किसानों की भी मांगें शामिल है।

1. सभी कृषि उपज के लिए स्वामिनाथन आयोग के आधार पर सी2+50% के फॉर्मूला से न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी।

2. एक व्यापक ऋण माफी योजना के माध्यम से कर्ज मुक्ति।

3. बिजली संशोधन विधेयक, 2022 की वापसी।

4. लखीमपुर खीरी में किसानों व पत्रकारों के नरसंहार के आरोपी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी एवं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई।

5. प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने पर शीघ्र क्षतिपूर्ति के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा योजना।

6. सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को ₹ 5,000 रुपये प्रति माह की किसान पेंशन।

7. किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों की वापसी।

8. किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान और शहीदों किसानों के लिए सिंघु मोर्चा पर स्मारक बनाने के लिए भूमि आवंटन का आवंटन।

9. तेल और ईंधन की कीमत में कमी। अनाज पर लगाए गए कर की वापसी।

10. बिहार में एपीएमसी कृषि मंडी की पुनः बहाली।

11. इंद्रपुरी जलाशय (कदवन बांध) का निर्माण, कोयल नहर का पुनरुत्थान, 400 रू प्रति क्विन्टल गन्ना की कीमत की घोषणा।

प्रेस वार्ता को किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड राजा राम सिंह, किसान सभा के राज्य महासचिव कॉमरेड विनोद कुमार, जय किसान आंदोलन के ऋषि आनंद, नन्द किशोर सिंह, एआईकेकेएमएस के इंद्रदेव राय और एनएपीएम के उदयन राय ने संबोधित किया।

(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट)

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